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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Sunday 26 May 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : निभा श्रीवास्तव की फैमली, बुद्धा कॉलोनी, पटना






25 मई, शनिवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के बुद्धा कॉलोनी में आकाशवाणी- दूरदर्शन की अनाउंसर-एंकर निभा श्रीवास्तव की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में अमेरिका से आयीं एनआरआई संध्या सिंह जो अभी हाल ही में बोलो ज़िन्दगी की यूएस में ब्रांड एम्बेसडर बनी हैं शामिल हुईं.
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों निभा श्रीवास्तव की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- निभा श्रीवास्तव आकशवाणी पटना में अनाउंसर और पटना दूरदर्शन के कृषिदर्शन प्रोग्राम की एंकर हैं. पति कृष्ण भूषण श्रीवास्तव आरा से बिलॉन्ग करते हैं जो एसबीआई के रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं. निभा जी की दो बेटियां और एक बेटा है. बड़ी बेटी मेधा भूषण ने पटना वीमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद अभी हाल ही में 185  रैंकिंग के साथ यूपीएससी कंपीट किया है . छोटी बेटी सुदिति भूषण कॉलेज की पढाई पूरी कर सिविल सर्विसेज की तैयारी में लगी हैं.  बेटे सत्यम भूषण श्रीवास्तव डीएवी बीएसईबी में 12 वीं के स्टूडेंट हैं जो मोटिवेशनल कवितायेँ भी लिखते हैं.


मेधा भूषण से बोलो जिंदगी की विशेष बातचीत -

सवाल- यूपीएससी की परीक्षा में आप 5 वीं बार में सफल हुईं तो इसकी तैयारी आपने कैसे की ?
जवाब- मैंने इसकी तैयारी कॉलेज के फर्स्ट ईयर से ही शुरू कर दी थी. मेरा हिस्ट्री ऑप्शनल था यूपीएससी में और मैंने हिस्ट्री से ऑनर्स किया हुआ है तो मैंने हिस्ट्री और अदर सब्जेक्ट्स के नोट्स वैगरह ग्रेजुएशन में प्रिपेयर करके रखे थें. उसके बाद मैंने कॉलेज से ही न्यूज पेपर्स पढ़ना शुरू कर दिया था. उसके बाद मैं दिल्ली गयी तैयारी के लिए, मैंने कोचिंग भी किया फिर वहां पर मुझे अच्छा गाइडलाइंस मिला और बहुत अच्छा फ्रेंड सर्किल बना जिससे मुझे बहुत सीखने को मिला.

सवाल- आप जैसा कि 5 वीं बार के प्रयास में सफल हुईं तो इस बीच हताश होकर कभी ऐसा महसूस हुआ कि सब छोड़छाड़ दें, कोई और क्षेत्र चुनें ? 
जवाब - जी, ऐसा मुझे दो बार लगा. थर्ड अटेम्प्ट में जब मेरा इंटरव्यू में नहीं हुआ तब बहुत दुःख हुआ था. मैं डिप्रेशन में भी चली गयी थी. लेकिन फिर मैंने चौथी बार एक्जाम दिया जो कि तीसरे अटेम्प्ट के 17-18 दिन बाद ही था. तो उस मनस्थिति में मैंने चौथी बार प्रयास किया लेकिन जब वो भी क्लियर नहीं हुआ तो मुझे एक झटका सा लगा. एक महीने में दो फेलियर झेलते हुए उस दुःख की घड़ी के कुछ दिन बाद फिर से मैंने यूपीएससी की कमान उठाई और फाइनली 5 वें प्रयास में मुझे सफलता मिली.

सवाल- आपने बताया कि आप डिप्रेशन में भी चली गयी थीं, तो फिर उससे बाहर निकलते हुए आप कैसे मोटिवेट हुई..? इस दौरान जब मैं डाउन होती थी तो मेरे घरवाले ही मुझे यह कहकर मोटिवेट करते रहें कि नहीं, हो जायेगा, हो जायेगा... और किसी को आपपर जब विश्वास हो तो रास्ता थोड़ा आसान हो जाता है. मेरा छोटा भाई सत्यम जिसे कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है वे मुझे चिट्ठियां लिखता था. उसमे अपनी कविताओं के माध्यम से मुझे मोटिवेट करता रहता था. उससे तब मेरी ज्यादा बात नहीं हो पाती थी लेकिन फिर ईमेल और व्हाट्सएप मैसेज के जरिये हम-दोनों जुड़े रहते थें और वो हर समय मुझे मोटिवेट किया करता था.

सवाल - अगर आप आईपीएस सर्विस में आती हैं तो आप क्या बड़ा सुधार करना चाहेंगी..?
जवाब - अगर मैं आईपीएस बन गयी तो मैं सबसे ज्यादा काम वीमेंस सेक्युरिटी के लिए ही करुँगी क्यूंकि एक महिला होने के नाते मुझे पता है कि महिलाओं को आये दिन कितना प्रॉब्लम फेस करना पड़ता है. पब्लिक प्लेसेस में घर से निकलने से पहले भी दो बार उन्हें सोचना पड़ता है. देर रात को नहीं निकल सकतीं. तो इन चीजों पर काम करना चाहूंगी कि अगर कोई लड़की अपना ड्रीम्स पूरा करने के लिए घर से बाहर जा रही है तो उसे कम-से-कम सिक्युरिटी का टेंशन न लेना पड़े और वह आराम से अपना काम कर सके.

इसी दरम्यान बोलो जिंदगी टीम के कहने पर सत्यम भूषण श्रीवास्तव ने मौके पर अपनी दो बहुत ही उम्दा मोटिवेशनल कवितायेँ सुनायीं.



सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट एनआरआई संध्या सिंह ने निभा श्रीवास्तव जी की फैमली से मिलकर व खासकर मेधा भूषण की मेधा को देखकर अपने सन्देश में कहा कि - "एक बिहारी होने के नाते मैं बहुत प्राउड फील कर रही हूँ कि बिहार की लड़कियां इतना आगे जा रही हैं. और मैं बाकि लड़कियों से भी यही कहना चाहूंगी कि कभी हिम्मत ना हारें. जिस तरह मेधा 4 दफे असफल होने के बावजूद भी डटी रहीं और 5 वीं बार इसने यूपीएससी निकाल लिया. साथ-ही-साथ मेधा के पैरेंट्स को मैं बहुत बधाई देना चाहूंगी कि ये अपनी बेटियों को इतना आगे बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, उन्हें बेटों की तरह ही महत्व दे रहे हैं. इसी का नतीजा है कि आज बिहार में भी लड़कियां लड़कों से हरेक क्षेत्र में कंधे-से-कन्धा मिलकर आगे बढ़ रही हैं, जो कि हमारे बिहारी समाज के लिए बहुत ही फख्र की बात है."


(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)




Tuesday 21 May 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : (डॉ. विकास शर्मा की फैमली, ईस्ट बोरिंग कैनाल रोड, पटना)



19 मई, लोकतंत्र का महापर्व मनाने के बाद बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) चल पड़ी फैमली ऑफ़ द वीक की तलाश में. रविवार की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत जाना हुआ पटना के ईस्ट बोरिंग कैनाल रोड स्थित वेटनरी डॉक्टर विकास शर्मा जी की फैमली के घर. जहाँ बोलो ज़िन्दगी के स्पेशल गेस्ट के रूप में देश के महान साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी जी की पौत्रवधु वीणा बेनीपुरी  भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों डॉ. विकास शर्मा की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- विकास शर्मा वेटनरी डॉक्टर हैं और इनका प्रोफेशन सर्जन का है. खुद का इनका अनिमो पेट केयर क्लिनिक है. ये सोशल वर्क भी करते हैं. जैसे बहुत से स्ट्रीट डॉग को एंटी रेबीज का टीका लगाना, फ्री कैम्प, उनलोगों का फ्री में न्यूट्रिंग करना, सड़क पर अगर कोई डॉग घायल हो गया और उसको कोई इनके पास लेकर आता है तो फ्री में कंसल्टेंसी वगैरह करते हैं. पहले इन्होंने दिल्ली में अपना क्लिनिक खोला था जो अभी भी है. डॉ. विकास की पत्नी नीतू कुमारी प्रोफेशन से इंजीनियर हैं जो पहले सैबोटेक्स इंस्टीच्यूट में टीचिंग करती थीं. फ़िलहाल छोटी बच्ची की परवरिश को देखते हुए जॉब छोड़कर घर और बच्चों को संभाल रही हैं.
डॉ. विकास की दो बेटियां हैं. तनिष्का संत जोशफ कॉन्वेंट हाई स्कूल में 6 ठी की स्टूडेंट है. और छोटी बेटी ताकश्वी अभी डेढ़ साल की है, लेकिन अभी से ही वो संगीत की धुनों पर अपनी दीदी के साथ थिरकने लगी है.
डॉ. विकास के पिता जी श्री एस.पी. शर्मा बिहार के जानेमाने वेटनरी डॉक्टर हैं. पटना के वेटनरी कॉलेज में सर्जरी डिपार्टमेंट में एच.ओ.डी. थें. रिटायरमेंट के बाद 75 की उम्र में वो आज भी रात में 12 -1 बजे इलाज करने निकल जाते हैं. डॉ. विकास की माँ मोती देवी हाउसवाइफ हैं. डॉ. विकास दो भाई हैं और इनके छोटे भाई प्रकाश शर्मा 10 साल से जर्मनी में कार्यरत हैं. अपने एसोसिएशन बिहार फर्टिनिटी जर्मनी के जरिये उन्होंने पूरे यूरोप को एक कर दिया है. प्रकाश जी की पत्नी प्रिया शर्मा इंजीनियर हैं लेकिन फ़िलहाल वो भी छोटी बच्ची की वजह से हाउसवाइफ की भूमिका निभा रही हैं.

तनिष्का का एचीवमेंट - डांसिंग, पेंटिंग, मॉडलिंग और एक्टिंग का शौक रखनेवाली तनिष्का10 मई को ज़ी टीवी के रियलिटी शो 'उस्तादों के उस्ताद' के पटना ऑडिशन में सलेक्ट हुई है. अभी हाल ही में वेबसिरिज 'नेक्स्ट स्टार' जिसके जज रेमो डिसूजा हैं और जिसका ऑडिशन पूरे इंडिया में चल रहा है के लिए ऑडिशन दे चुकी है. कुछ दिन में रिजल्ट आनेवाला है. इसी 16 मई को 'इंडियाज रनवे रॉ स्टार' के ऑडिशन में 20 बच्चों में से जिन 6 बच्चों का सेलेक्शन हुआ है उनमे से एक तनिष्का भी हैं. इस ऑडिशन में तनिष्का ने डांस, एक्टिंग और मॉडलिंग के हुनर दिखाए थें. अभी वर्कशॉप और ग्रूमिंग कराया जायेगा और फिर हरेक बच्चे को उसके टैलेंट के हिसाब से अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भेजा जायेगा जहाँ ये बच्चे टीवी शोज, वेबसिरिज और मूवी में काम कर सकते हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=VHtw98lLDqg

डांसिंग-पेंटिंग की शुरुआत - करीब चार साल पहले से तनिष्का पेंटिंग कर रही हैं. आयल पेंटिंग, वाटर कलर, पोस्टर कलर इत्यादि तरह की पेंटिंग्स में माहिर है. डांस में वेस्टर्न और क्लासिकल दोनों में रूचि है. पटना के कई आयोजनों में अपने डांसिंग परफॉर्मेंस दिखा चुकी हैं. डांस के कई स्टेप्स वो खुद ही कोरियोग्राफी कर लेती है. बोलो जिंदगी की फरमाइश पर तनिष्का ने एक वेस्टर्न डांस भी परफॉर्म करके दिखाया जो सभी को बहुत पसंद आया.

https://www.youtube.com/watch?v=Ssj-XvAR1_E&t=1s

मिड ब्रेन ऐक्टिवेशन - तनिष्का मिड ब्रेन एक्टिवेशन का 7 माह का कोर्स कर चुकी हैं और उसका डेमो हम सबके सामने दिखाया. आँखों पर काली पट्टी बांधकर तनिष्का ने कलर और कार्ड पर लिखे वर्ड्स को सिर्फ ब्रेन से टच करके बता दिया. इससे पहले बोलो जिंदगी की टीम ने उस काली पट्टी को खुद आँखों पर बांधकर चेक किया था जिससे सामने से कुछ दिख नहीं रहा था. मिड ब्रेन ऐक्टिवेशन से बच्चों को अपनी पढाई में कॉन्सट्रेट करने में फायदा होता है.

सन्देश: तनिष्का के टैलेंट को देखकर बोलो ज़िन्दगी की स्पेशल गेस्ट वीणा बेनीपुरी ने दिल खोलकर तारीफ की और यह भी कहा कि "डॉ. साहब अपनी बेटी को आगे बढ़ने में, उसके शौक, उसके सपने पूरे करने में सपोर्टिव हैं यह बहुत ख़ुशी की बात है. वैसे आज लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर खुद को साबित भी कर रही हैं."

(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)

फैमली ऑफ़ द वीक : सूरज कुमार की फैमली, कुर्जी मोड़,पटना



11मई , शनिवार की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के कुर्जी मोड़, चश्मा गली सेंटर के सूरज कुमार की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में रेडियो-टीवी एंकर राजेश कुमार भी शामिल हुयें.

इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों कोमल कश्यप की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.


फैमली परिचय- सूरज कुमार पटना जिला वुशु (मार्शलआर्ट) एसोसिएशन के जेनरल सेकेट्री और बिहार वुशु एसोसिएशन के ज्वाइंट सेकेट्री हैं जो पिछले 25 सालों से वुशु की ट्रेनिंग दे रहे हैं. फ़िलहाल सूरज जी का कोचिंग सेंटर एक कुर्जी मोड़ स्थित सृजन स्कूल कैम्पस में और दूसरा आशियाना मोड़ पर चलता है. सूरज जी की पत्नी का नाम किरण यादव है. यूँ तो किरण हाउसवाइफ हैं लेकिन सूरज जी को बढ़ने में उनकी पत्नी का बहुत सपोर्ट रहा है. जब कभी ट्रूनामेंट के लिए सूरज स्टेट या इंडिया से बहार जाते हैं तो इनके इंस्ट्च्यूट में पत्नी किरण जाती हैं और उनकी गैरमौजूदगी में सारा मैनेजमेंट तब पत्नी ही देखती हैं. सूरज के बड़े बेटे आयुष सिंह स्कॉलर्स एबोड में क्लास 10 के स्टूडेंट हैं. तो उनकी बेटी शगुन स्कॉलर्स एबोड में 9 वीं क्लास में हैं. दोनों ही वुशु प्लेयर हैं. सूरज की माँ कांति देवी भी साथ रहती हैं. सूरज के छोटे भाई का परिवार भी साथ ही रहता है. छोटे भाई राजकुमार लैब टेक्नीशियन हैं. मोनिका देवी राजकुमार की पत्नी हैं. भाई के भी दो बच्चे हैं, आर्यन राज नरसरी में तो आदित्य राज क्लास 3 में पढता है. ये दोनों भी नन्ही उम्र में प्लेयर हैं. आर्यन ने हाल ही में वुशु के स्टेट लेवल में गोल्ड मैडल जीता है, तो आदित्य राज डिस्ट्रिक्ट में गोल्ड मैडल जीत चुके हैं.



सूरज जी का वुशु की तरफ रुझान  - सूरज जब बचपन में फिल्म देखते थें तो फाइट देखकर सोचते कि हमको भी इसी तरह का फाइटर बनना चाहिए. तब जहाँ कहीं भी मार्शलआर्ट हो रहा होता तो रुककर गौर से देखने लगतें. पैरेंट्स से बोलते की हमको भी मार्शलआर्ट्स सीखना है लेकिन अनुमति नहीं मिलती थी. फिर भी किसी तरह करके पॉकेट मनी निकालकर जाते थें और छुप छुपकर क्लास करते थें. पहले आर.एस.एस. का पाटलिपुत्र में शाखा लगता था जहाँ मुफ्त में सिखाया जाता था. सूरज को संघ से कोई लेना देना नहीं था लेकिन मुफ्त में सीखने वो वहां जाया करते थें. शुरुआत कराटे से हुई थी और कराटे में ये नेशनल में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. तब उतना आज की तरह ट्रूनामेंट नहीं होते थें. फिर धीरे-धीरे खेलते हुए ये कोचिंग फिल्ड में आ गएँ क्यूंकि सोचते थें कि इतनी प्रैक्टिस की है तो कुछ करना चाहिए. सबसे पहले कुर्जी पुल के पास एक प्राइवेट स्कूल में मार्शलआर्ट सिखाने का ऑफर मिला. फिर उन्होंने अपना एक सेंटर डाला और धीरे-धीरे बहुत से बच्चे सीखने के लिए आ गएँ.



गरीब बच्चों को मुफ्त में वुशु की ट्रेनिंग - सूरज को यह आज भी याद है कि एक समय ऐसा था जब इनके पास पैसा नहीं था तो इधर-उधर कहीं फ्री में जाकर थोड़ा बहुत सीखते थें. फिर लगा की कुछ ऐसे बच्चे हैं जिनको शौक है सीखने का जो वंचित न रह जाएँ इसलिए उनको मुफ्त में ट्रेनिंग कराया. और वैसे अभावग्रस्त बहुत से बच्चे जो इनसे ट्रेनिंग ले चुके हैं बहुत सारा अचीवमेंट लाये हैं. पिछले साल इनके एकेडमी की वैसी दो लड़कियों अंशु कुमारी और आयुषी स्तुति ने बहुत कमाल किया है. अंशु ने जहाँ नेशनल में गोल्ड,सिल्वर,ब्रॉन्ज तीन मैडल जीते हैं तो वहीँ आयुषी ने नेशनल स्कूल गेम्स में हाल ही में गोल्ड मैडल जीता है. सूरज बताते हैं कि "प्रॉब्लम ये है कि गरीब घर के बच्चों को उनके अभिभावक जल्दी इन खेलों में या बिहार से बहार जाने नहीं देना चाहते, उन्हें लगता है कि वे घर में रहेंगे तो उनके काम-काज में हेल्प करेंगे. कई बच्चों को गाय,भैंस और बकरी पालन करना होता है तो कितनो को खेती से जुड़े काम. कितनी बच्चियां ऐसी हैं जिनकी माँ को चौका बर्तन करने जाना होता है तो वे घर में रहकर छोटे बच्चों को खिलाती हैं. ऐसी ही समस्याओं से जूझते हुए ऐसे कई बच्चे हैं जो वुशु की ट्रेनिंग लेकर राज्य और देश का नाम रौशन कर रहे हैं."



आयुष का एचीवमेंट - सूरज के बेटे आयुष का जब स्टेट के लिए ट्रायल हो रहा था तभी लेफ्ट सोल्डर क्रैक कर गया था फिर भी वो पिछले साल दिल्ली में नेशनल खेलने के लिए गए थें. लेकिन खेल के दौरान फिर से सोल्डर में चोट आ गयी थी. उससे पहले मिक्स मार्शल आर्ट में नेशनल के लिए गोल्ड मैडल जीत चुके हैं. स्टेट लेवल पर 5-6 दफा गोल्ड और 5-6 दफा सिल्वर मैडल जीत चुके हैं. ब्रॉन्ज मैडल 4 बार जीते हैं. आयुष 5 साल की नन्ही उम्र से ही वुशु खेल रहे हैं. अभी पढाई का प्रेशर ज्यादा है इसलिए वुशु की प्रैक्टिस इधर थोड़ी कम हो रही है.


शगुन का एचीवमेंट - सूरज की बेटी शगुन पिछले साल जम्मू कश्मीर में नेशनल खेल के आयी हैं. अभी नेशनल में कुछ अचीव नहीं कर पायी हैं लेकिन स्टेट लेवल में तीन बार गोल्ड मैडल जीत चुकी हैं. तीन बार सिल्वर और एक बार ब्रॉन्ज मैडल जीता है. शगुन भी स्पोर्ट्स में ही अपना करियर बनाना चाहती हैं. जब बोलो जिंदगी ने शगुन से पूछा की "जब तुम्हारे पापा ही तुम्हारे टीचर हैं तो क्या उनसे वुशु सीखते हुए कभी दर नहीं लगा, कोई झिझक नहीं हुई...?" इसपर शगुन ने कहा- "नहीं, पापा से सीखने में मेरा कॉन्फिडेंस लेवल और बढ़ता है कि मेरे फादर हैं जो सिखाएंगे अच्छा ही सिखाएंगे. जहाँ तक डर की बात है तो वो अगर दूसरे टीचर रहते तो ये मन में चलता रहता कि ये उनसे पूछे की नहीं पूछें, सबके सामने डाँट दिया तो बेइज्जती न हो जाये..." शगुन जब डिस्ट्रिक्ट की तैयारी कर रही थीं तब उनका खेल के दौरान ही एक्सीडेंट हुआ था फिर वे 2-3 महीना खेल नहीं पायी थीं. फिर ठीक होने के 12 दिन बाद शगुन ने अपना फॉर्म वापस पा लिया. 



बोलो जिंदगी की फरमाइश पर सूरज के दोनों बच्चों आयुष और शगुन दोनों भाई-बहन ने घर में ही वुशु मार्शलआर्ट का ट्रायल खेलकर दिखाया जिसे देखकर सभी अचंभित रह गएँ.


सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट राजेश कुमार ने सूरज जी की फैमली से मिलकर व उनके बच्चों का खेल प्रदर्शन देखकर अपने सन्देश में कहा कि - सूरज अपने बच्चों के साथ-साथ जितने बच्चों को ट्रेंड कर रहे हैं, और राज्य एवं राष्ट्रिय स्तर पर लेकर आ रहे हैं सच में अद्भुत है उनके द्वारा किया जा रहा यह प्रयास.

लौटते वक़्त बोलो जिंदगी के राकेश सोनू और तब्बसुम के बीच यही सीरियस चर्चा चलने लगी कि अगर गलती से कोई चोर सूरज जी के घर में घुस गया तो क्या होगा...जहाँ लगभग आधी फैमली ही मार्शलआर्ट चैम्पियन हैं.....फिर एक जोरदार ठहाका गूंजा जो इस सवाल का जवाब भी था.

(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)

Sunday 5 May 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : कोमल कश्यप की फैमली, आशियाना नगर,पटना


5 अप्रैल, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के आशियाना नगर इलाके में उभरती हुई गायिका कोमल कश्यप की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में दूरदर्शन, बिहार बिहान की एंकर प्रतिभा सिंह भी शामिल हुईं.
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों कोमल कश्यप की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- कोमल पटना के मगध महिला कॉलेज से म्यूजिक में ग्रेजुएशन (थर्ड ईयर) कर रही हैं. और पिछले तीन सालों से जानेमाने शास्त्रीय गायक रजनीश जी से संगीत की तालीम ले रही हैं. चम्पारण जिले से बिलॉन्ग करनेवाले कोमल के पिता श्री सुशिल कुमार तिवारी म्युच्युअल फंड में कार्यरत हैं. माँ श्रीमती शीला तिवारी हाउसवाइफ हैं. कोमल का कोई भाई नहीं है, ये तीन बहने हैं. कोमल बहनों में सबसे छोटी हैं. सबसे बड़ी बहन पूजा पीजी करके नेट की तैयारी कर रही हैं. पूजा टॉपर भी रह चुकी हैं और ग्रेजुएशन और पीजी दोनों में गोल्डमेडलिस्ट हैं. कोमल की मंझली बहन हर्षिता बी.कॉम कम्प्लीट कर अभी एम.बी.ए. के लिए तैयारी कर रही हैं.


कोमल के गायन की शुरुआत - दस साल की उम्र में कोमल के घर एक आंटी आयी थीं उन्होंने उसकी आवाज सुनकर कोमल के माँ-बाप से बोला कि 'इसकी आवाज अच्छी है तो इसको सिखाइये.' फिर घरवालों को कहकर उन्होंने कोमल को एक इंस्टीच्यूट में एडमिशन कराया. कोमल की माँ बताती हैं कि "जब कोमल छोटी थी तब टीवी में भजन सॉन्ग देखकर आईने के सामने दुपट्टा लेकर वही गाना गाती थी, तभी घरवालों को कोमल के इस टैलेंट का पता चला." जब डी.ए.वी, 7 वीं क्लास में कोमल का एडमिशन हुआ तो वहां के म्यूजिक टीचर दीपक मिश्रा सर ने ना सिर्फ कोमल को संगीत सिखाया बल्कि उसे हमेशा प्रोत्साहित करते रहें, जिसका नतीजा ये हुआ कि स्कूल में होनेवाले कल्चरल प्रोग्राम में पार्टिशिपेट कर कोमल ने बहुत सारे प्राइज और मेडल्स जीतें. डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल के 25 वें सालगिरह समारोह में बेस्ट फीमेल सिंगर के अवार्ड से भी सम्मानित हुई.

एचीवमेंट - 2012 में रेडियंट इंटरनेशनल स्कूल में हुए दो दिवसीय इण्डिया लेवल पर हुए वाल्मीकि रामायण श्लोक कम्पटीशन में श्लोक पाठ गाने के लिए कोमल को फर्स्ट प्राइज़ मिल चुका है. 2013 में पटना के रियलिटी शो 'हमसे बढ़कर कौन' की फाइनलिस्ट रह चुकी हैं और 2014 के 'सिंगिंग सेंसेशन' शो में सेमीफाइनलिस्ट रही हैं. यूनिसेफ के लिए भी कोमल ने गाने रिकॉर्ड किये हैं जो अभी रिलीज नहीं हुआ है. कहानीघर संस्था के थीम सॉन्ग 'बचपन भोला...' को कोमल ने कम्पोज किया है. 2017 में पटना के ज्ञान भवन में इसी गाने को कोमल ने अपनी ही कम्पोजिशन में हजारों ऑडियंस के बीच गाया था. 2018 में इंडिया लेवल पर म्यूजिक के फिल्ड में अच्छा परफॉर्म करनेवालों को दिए जानेवाले भारत लीडरशिप अवार्ड को अपने नाम किया जिसमे बिहार से कोमल का सलेक्शन हुआ था. दिसंबर 2018 में हुए फोक सॉन्ग कम्पटीशन "उत्साह" में मगही गीत ग्रुप में गाकर कोमल ने फर्स्ट प्राइज जीता. 2018 में 'दो दुनिया' भोजपुरी शॉर्ट फिल्म के लिए कोमल ने एक भोजपुरी गीत "हमरे गांव की खबर ले अइहा..." गा चुकी हैं. ग्रेट इंडिया शो यु ट्यूब चैनल के लिए भी कई सॉन्ग गा चुकी हैं. पटना की लड़कियों के कव्वाली ग्रुप 'महब्बा' के लिए भी बिहार दिवस महोत्सव पर गा चुकी हैं. पटना के गाँधी मैदान में 2016-2017 के बसंतोत्सव में हुए सिंगिंग कम्पटीशन में दोनों ही साल कोमल थर्ड प्राइज जीती. फेम गुरुकुल सोशल एन्ड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन "तारे जमीं पर" -2019 में फर्स्ट प्राइज जीता. कई और पुरस्कार यथा, बिहार कला मंच सम्म्मान, इंटरनेशनल यूथ अवार्ड, सावन सम्मान आदि से पुरस्कृत हो चुकी हैं. दैनिक जागरण के इवेंट 'उमंग' में परफॉर्म कर चुकी है. वर्ल्ड म्यूजिक डे 2017 के अवसर पर रेडियो मिर्ची 98.3 एफ.एम पर गा चुकी है. 2018 के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी फेस्ट रागा में परफॉर्म कर चुकी है. पटना यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम में सोलो और ग्रुप कम्पटीशन में भी पुरस्कार जीत चुकी है. 2019 में इंटर कॉलेज पेट्रियोटिक सॉन्ग कम्पटीशन में सोलो सिंगिंग में फर्स्ट प्राइज मिल चुका है. कला संस्कृति प्रकोष्ठ बीजेपी बिहार के सौजन्य से मोतिहारी में आयोजित अटल बिहारी वाजपयी की याद में स्मृति नमन कार्यक्रम में परफॉर्म कर चुकी हैं.

रियलिटी शो -  2016 में रियल्टी शो 'दिल है हिंदुस्तानी' में पटना ऑडिशन में सेलेक्ट होकर कोमल दिल्ली गयी जहाँ तीसरे राउंड तक पहुंची. फिर सारेगामापा में पटना से सलेक्ट होकर चंडीगढ़ गयी. इंडियन आइडल 2014 में पटना से सलेक्ट होकर कोलकाता के दो राउंड तक जगह बनाई.


कोमल को घर से बहनों और माँ-बाप का फुल सपोर्ट मिल रहा है. जब भी ऑडिशन के लिए पटना या बिहार से बाहर जाना होता है तो कोमल को मम्मी-पापा साथ लेकर जाते हैं. जब हमने कोमल से पूछा कि "कभी भी कोई रिश्तेदार ने सिंगिंग को लेकर कोई कमेंटबाजी तो नहीं की ना..?" तो इसपर कोमल मुस्कुराते हुए कहती है "नहीं भईया, निगेटिव बात तो किसी ने नहीं की, लेकिन हाँ घर-परिवार के लोग कहते हैं कि अभी तक कोमल टीवी पर नहीं आयी है, बस उसका मलाल है..." बोलो जिंदगी की फरमाइश पर कोमल ने पहले भजन फिर बॉलीवुड सॉन्ग गाकर सुनाया जिसकी हर किसी ने तारीफ की. यहाँ तक कि बोलो जिंदगी टीम की तबस्सुम ने यह कह दिया कि "लगता है जैसे कोमल की आवाज नहीं बल्कि मिश्री है."


सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट प्रतिभा सिंह ने कोमल के सिंगिंग टैलेंट को देखक्र अपने सन्देश में कहा कि - "यहाँ आने के बाद इतनी प्यारी फैमली से मिलने के बाद मुझे अपने आप में बहुत प्राउड फील हो रहा है जहाँ खासकर के लड़कियों को आगे बढ़ाया जा रहा है. सोसायटी को इससे सीख लेने की जरूरत है कि कैसे आप बेटियों को कम नहीं आंकिये, बेटियाँ आज बेटों के बराबर हैं. और कोमल का परफर्मेंस देख-सुनकर यही कहना चाहूंगी कि बिहार के लोगों में टैलेंट कूट-कूटकर भरा है लेकिन जरूरत है कि किसकी फैमली किसको कितना सपोर्ट करती है, और कौन कितना आगे जा पाता है. क्यूंकि फैमली सपोर्ट के बिना यह उतना मुमकिन नहीं. कोमल को मेरी सलाह यही है कि वह कभी लाइफ में हार ना माने और कोशिश हमेशा करती रहे. हार या जीत उतना मायने नहीं रखता, मायने रखता है कि आप कितना ज्यादा कहीं पार्टिशिपेट करते हैं, कितना सीखते हैं, तजुर्बा हासिल करते हैं. आप प्रैक्टिस को जारी रखिये, अपने टैलेंट को पॉलिश करते रहिये सफलता एक दिन जरूर मिलेगी."

अंत में जब बोलो जिंदगी ने प्रतिभा सिंह से कहा कि 'हमें पता चला है कि आप भी थोड़ा-बहुत गाने का शौक रखती हैं. तो यहाँ हम सब आपके इस शौक को सुनना चाहेंगे. इसपर प्रतिभा जी ने एक पुरानी बॉलीवुड फिल्म का सदाबहार गीत गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया.





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