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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Saturday 31 August 2019

राज्य आयुक्त निशक्तता,बिहार ने किया एम्स, पटना का दौरा



31 अगस्त, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना में दिव्यांगजन हेतु बाधारहित परिसर का राज्य आयुक्त निशक्ततता (दिव्यांगजन) की अध्यक्षता में अंकेक्षण व निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर औटिज्म स्पेक्ट्रम डिसौडर (स्वलिनता संबंधी विकार) पर एम्स,पटना की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य आयुक्त निशक्ततता, बिहार डॉ॰ शिवाजी कुमार ने कहा कि "किसी भी तरह की दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। दिव्यांगजन भी  समान जन जैसा कार्य कर सकते हैं। हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए को दिव्यांगजन भी हमारे समाज का ही हिस्सा हैं।" औटिज्म पीड़ित माता-पिता को संबोधित करते हुए बताया कि "आपके बच्चे में असीम संभावनाएँ हैं। अबतक जितने भी शोध हुए या जितने भी उपकरण निर्मित हुए उनमें औटिज्म पीड़ित लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जरूरत इस बात की हैं कि उनमें मौजूद गुणों को समय पर परख कर कौशल विकास कराया जाये। इस समस्या से पीड़ित लोगों को उनके अभिभावकगण को भी विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता होती हैं ताकि वह अपने बच्चों की उचित देखरेख कर सके।" इसके साथ ही डॉ॰ कुमार ने राज्य में दिव्यांगजन के लिए चलाये जा रहे विभिन्न योजनाओं की जानकारी एम्स,पटना के चिकित्सकों, प्रोफेशनल व विद्यार्थियों को दिया। अपने संबोधन के बाद पूरे संस्थान का निरिक्षण सह दिव्यांगजन की सुग्मता हेतु बाधारहित परिसर का अंकेक्षण किया।

इस अवसर पर डॉ॰ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक ने विभिन्न विभागों के चिकित्सकों से समन्वय स्थापित कर दी जाने वाली सुविधाओं पर चर्चा की। मानसिक रोग विभाग,एम्स,पटना के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार व शिशु रोग विभाग,एम्स, पटना के डॉ॰ लोकेश तिवारी से भी राजधानी पटना के मनोवैज्ञानिक डॉ॰ मनोज कुमार ने चर्चा में बताया कि "औटिज्म पीड़ित माता-पिता को काफी बारीक़ प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अर्ली इंटरवेशन तकनीक इस दिशा में कारगर पहल कर सकता है। माता-पिता के साथ ग्रामीण इलाकों में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक इसकी जागरूकता आवश्यक रुप से होनी चाहिए। सभी चिकित्सकों को इसपर मिलकर काम करने से समाज में इसका व्यापक असर होगा।" आज के इस महत्वपूर्ण दौरे की अध्यक्षता में राज्य आयुक्त निशक्ततता (दिव्यांगजन), बिहार द्वारा शिशु विभाग,मानसिक रोग विभाग, भौतिक चिकित्सा व पुनर्वास विभाग के विभागाध्यक्ष के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देशन दिये गये। एम्स,पटना के निदेशक के साथ भी महत्वपूर्ण मिंटिग कर दिव्यांगजन के सर्टिफिकेट बनाने व एक ही दिन में किसी भी दिव्यांगजन को प्रमाणपत्र बनाने में मदद करने का अह्वावान किया गया। इस अवसर पर बिहार के विभिन्न जिलों से प्रबुद्ध नागरिकों, कानूनविद्,मेडिकल स्टुडेन्टस व पीड़ित व उनके अभिभावकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

रोटरी चाणक्या एवं रोटरी आर्यन ने स्कूली छात्राओं को सर्वाइकल कैंसर के प्रति किया जागरूक



पटना, 31 अगस्त, संत कॉन्वेंट स्कूल, भूतनाथ रोड में रोटरी चाणक्या एवं रोटरी आर्यन द्वारा 500 से ज्यादा लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर के लिए जागरूक किया गया.
रोटरी चाणक्या के अध्यक्ष डॉ श्रवण कुमार ने बताया कि "बच्चादानी का कैंसर एच पी वी वायरस (HPV virus) से होता है , लेकिन इस वायरस का संक्रमण शारीरिक सम्बन्ध के बाद लगभग सभी को होता है लेकिन 90% स्वतः ठीक हो जाता और बचे 10 % में  केवल 1% को सर्वाइकल कैंसर में प्रवर्तित हो सकता है। इस इंफेक्शन को पूरी तरह बचाया जा सकता है टीका (vaccine) से ।"


रोटरी पटना आर्यन के अध्यक्ष डॉ विनीश रंजन ने कहा कि "इसे हम दुनिया से खत्म कर सकते हैं अगर PAP smear द्वारा इसकी जांच हर 3 साल पर हर महिलावों में की जाए।"


डॉ मीना समंत, डॉ श्रद्धा  चखीयर ने सर्वाइकल कैंसर के प्राथमिक लक्षण को बताया और कहा कि "PAP smear पॉजिटिव आने के बाद भी पूरी तरह कैंसर बनने में 10 साल से ज्यादा समय लगता है
अतः हम जागरूक रहे तो कैंसर होगा ही नहीं।" मौके पर उपस्थित थे रोटरी आर्यन के संतोष कुमार, रवि प्रकाश। अंत में स्कूल की प्रिंसिपल और डायरेक्टर ने सभी को धन्यवाद दिया।

कवि गोपाल सिंह नेपाली की याद में आयोजित हुई कवि गोष्ठी


30 अगस्त, राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक संघ के तत्वावधान मे एक कवि गोष्ठी 11 लालबहादुर शास्त्री मार्ग, उत्तरी कृष्णापूरी, पटना मे आयोजित की गयी। मुख्य अतिथि के रूप मे जाने-माने साहित्यकार एवं कवि आदरणीय श्री गोरख मस्ताना ने अपनी गरिमामयी उपस्थित दर्ज कराई । जाने-माने साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी की अध्यक्षता मे कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।



कार्यक्रम की शुरुआत गीतों के सम्राट गोपाल सिंह नेपाली की तस्वीर पर कवि विश्वनाथ वर्मा द्वारा माल्यार्पण कर की गयी क्योंकि अभी गोपाल सिंह नेपाली पखवारा चल रहा है।


कवि गोष्ठी मे श्री गोरख मस्तानाजी, श्री द्विवेदीजी, श्री मधुरेश नारायण, श्री घनश्यामजी, श्री सिद्धेश्वर जी, डाक्टर निखिलेश वर्मा, डाक्टर रमाकान्त पाण्डेय, डाक्टर एम के मधू, श्री शुभचन्द्र सिन्हा, श्री एकलव्य एवं विश्वनाथ वर्मा ने अपनी कविताओ एवं गज़लों द्वारा शाम को रंगीन बना दिया ।

पटना मारवाड़ी महिला समिति ने निकाली अंगदान-जीवनदान जागरूकता रैली



31 अगस्त, पटना मारवाड़ी महिला समिति द्वारा दोपहर में कॉलेज ऑफ कॉमर्स, कंकड़बाग से अंगदान-जीवनदान जागरूकता रैली निकाली गई।

समिति की अध्यक्ष श्रीमती नीना मोटानी ने बताया कि "इस रैली का मुख्य उद्देश्य है पूरे देश मे अंगदान के प्रति जागरूकता पैदा करना।अंगदान सबसे बड़ा दान है क्योंकि इसकी मदद से इंसान 50 जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकता है। अंगदान के द्वारा किसी को नया जीवन दिया जा सकता है। प्रतिवर्ष 5 लाख लोग अङ्गों के असमय छतिग्रस्त होने के कारण मौत के मुंह मे चले जाते हैं। हर साल करीब 2 लाख किडनी की जरूरत होती है लेकिन उपलव्ध है सिर्फ 6 हजार।
       50 हजार लीवर की जरूरत होती है लेकिन उपलब्ध है सिर्फ 750. हर साल 6000 हार्ट की जरूरत होती है लेकिन उपलब्ध है सिर्फ 100. अगर अंगदान के प्रति जनमानस में जागरूकता आ जाए तो हर साल हम लाखों जिंदगियां बचा सकते हैं।"

"सचिव सुमिता छावछरिया ने बताया कि "यह रैली अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के अंतर्गत भारत के 15 राज्यों की 250 शाखाओं द्वारा एक ही दिन निकाली गई।"

नेत्रदान प्रमुख श्रीमती केसरी अग्रवाल ने बताया कि "हमारे सम्मेलन द्वारा अंगदान जागरूकता रैली से इंडिया रिकॉर्ड बुक में राष्ट्रीय कीर्तिमान दर्ज कराने की कोशिश की गयी।"


उषा टिबड़ेवाल ने बताया कि "मरने के बाद हमारे अंगों को मिट्टी में मिल जाना है। कितना अच्छा हो कि मरने के बाद हमारे अंग किसी को जीवनदान दे सकें। ब्रेन डेथ के बाद घरवालों की इच्छा से डॉक्टर अंग निकालते हैं। देश का कोई भी नागरिक अपनी इच्छा से अंगदान कर सकता है।"
अंगदान रैली से पहले कॉमर्स कॉलेज के विद्यार्थियों को अंगदान के प्रति जागरूक किया गया ।तत्पश्चात विद्यार्थियों के साथ कॉमर्स कॉलेज कंकड़बाग से राजेंद्र नगर ओवरब्रिज के नीचे तक रैली निकालकर अंगदान-देहदान के लिए संदेश दिया गया ।

रैली में कुल मिलाकर  करीब 200 महिलाओं ने भाग लिया । मुख्य रूप से उपस्थित थीं -  प्रभालाल, रेखा जैन, सुषमा गुटगुटिया, शोभा खेतान, कुमुद अग्रवाल, मंजू खेतान, सरला छाबड़ा, कुसुम
तुलस्यान, सरोज जैन, किरण सर्राफ, सरिता मोदी, सुमन लता गोयल, आशा बंका इत्यादि।

Thursday 29 August 2019

"देहदान-महादान" विषय पर पटना मारवाड़ी महिला समिति ने छात्राओं के बीच कराई प्रतियोगिता



28 अगस्त, सुबह 10:30 बजे, पटना मारवाड़ी महिला समिति द्वारा कन्या मध्य विद्यालय अमलाटोला, गर्दनीबाग में सभी कक्षा की छात्राओं के बीच पेंटिंग स्लोगन और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । प्रतियोगिता का विषय था - देहदान-महादान ।


समिति की अध्यक्ष श्रीमती नीना मोटानी ने बताया कि "इस तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन समाज मे सभी को अंगदान नेत्रदान और देहदान के प्रति जागरूक करने के लिए हमारी समिति द्वारा हमेशा किया जाता है।"
श्रीमती केसरी अग्रवाल ने बच्चों को अंगदान का महत्व समझाया कि एक व्यक्ति अंगदान से 8 व्यक्तियों को जीवनदान दे सकता है।


उक्त प्रतियोगिता में प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान पर आने वाले बच्चों को पुरस्कृत कर उनका हौसला बढ़ाया गया। बच्चे पुरस्कार पाकर बहुत खुश हुए। प्रतियोगिता में भाग लेनेवाले सभी बच्चों के बीच बिस्किट और टॉफी का वितरण किया गया। 400 बच्चों के बीच समिति के सहयोग से 400 जोड़े मोजों का वितरण किया गया ।


कार्यक्रम में करीब 15 महिलाएं शामिल थीं जिनमे मुख्य रूप से थीं निशि अग्रवाल, उर्मिला संथालिया कौशल्या अग्रवाल,कांता अग्रवाल, परमात्मा भगत, लीलावती अग्रवाल, कृष्णा अग्रवाल इत्यादि।



Sunday 25 August 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : पूनम त्रिवेदी की फैमिली, ईस्ट बोरिंग कैनाल रोड, पटना





24 अगस्त, शनिवार की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', तबस्सुम अली एवं प्रीतम कुमार) पहुंची ईस्ट बोरिंग कैनाल रोड इलाके में आर्ट ऑफ़ लिविंग की टीचर व सिंगर पूनम त्रिवेदी के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में पुरोधालय के सचिव श्री प्रणय कुमार सिन्हा भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों पूनम त्रिवेदी जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.
फैमली परिचय- पूनम त्रिवेदी आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था में टीचर हैं और योग, प्राणायाम, ध्यान और सुदर्शन क्रिया सिखाती हैं. सोशल वर्क से भी जुड़ाव है, मायका और ससुराल दोनों भागलपुर में ही है. पति श्री सचिन्द्र कुमार त्रिवेदी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से एक्सक्यूटिव मैनेजर के पद से रिटायर्ड हैं. इनकी इकलौती बेटी शाम्भवी त्रिवेदी इंजीनियरिंग करके बिहार से बाहर गयी हैं. अभी टीसीएस कम्पनी में असिस्टेंट इंजीनयर हैं.
पूनम त्रिवेदी और उनके फैमिली मेंबर का टैलेंट -  सिंगिंग हॉबी है, संगीत में प्रभाकर किया है प्रयाग समिति से और गुरु श्री राजीव सिन्हा से संगीत की तालीम ली है. पूनम त्रिवेदी को भजन के अलावा फोक, गजल और सूफी गाना पसंद है. बेटी शाम्भवी ने वहीँ से 6 ठा ईयर कम्प्लीट किया है. गवर्नमेंट के कई प्रोग्राम में भी पटना में वो गए चुकी हैं. हारमोनियम तो अब चलता नहीं है तो पूनम जी तानपुरा रखकर काम करती हैं और इनको साथ देते हैं प्रवीर कुमार जी जो आर्ट ऑफ़ लिविंग में तबला बजाते हैं. जब पूनम जी की बेटी शाम्भवी छुटियों में पटना आती है तो हर 8 दिन में तबलावादक प्रवीर जी को बुलाते हैं और फिर साथ में रियाज करते हैं.
पूनम त्रिवेदी के संगीतमय सफऱ की कहानी - पूनम जी जब शादी करके ससुराल आयीं तो संगीत का इतना शौक था कि तब भी गाती थी. शुरू में गुरु तो नहीं मिलें लेकिन कुछ लोग ज़रूर मिलें जो इन्हे गाइड करते थें. स्कूल और कॉलेज में भी स्टेज पर चांस मिला गायन का उसके बाद फिर जब शादी हो गयी तब लगा कि अब संगीत छूट जायेगा लेकिन जब सौरल आयीं तो देखीं पति के पास गजल का बहुत सारा कलेक्शंस था. उस वक़्त पूनम गजल भी बहुत गाती थीं. इसपर पूनम खुश हुईं कि पति को भी गाने सुनने का शौक है तभी तो इतना नायाब कलेक्शंस है. कम से कम ये तो नहीं होगा कि उन्हें गाने को लेकर कोई टोक-टाक करे. उसके बाद जब पूनम ने अपनी इक्छा जाहिर की और जब ससुरालवालों ने गायन सुना तो फिर एक टीचर प्रोवाइड किया शुबीर मुखोपाध्याय जी को जो सिखाने लगें. हारमोनियम वगैरह की व्यवस्था हुई. फिर वहां से सीखते-सीखते करीब चार साल बाद पति का ट्रांसफर धनबाद से गिरिडीह में हो गया. उसके बाद गिरिडीह में थोड़ा बहुत गाने का चला लेकिन फिर जब पूनम ने देखा कि कुछ खास नहीं हो रहा तब लॉ की पढ़ाई शुरू कर दी. फिर कुछ समय बाद वहाँ पर जो भी स्टेज वैगेरह का प्रोग्राम होता था पूनम जी ने भाग लेना शुरू किया. फिर धीरे-धीरे मौके मिलते चले गएँ. जब पटना आयीं तो लगा कि अब इनसे गायन नहीं हो पायेगा. लेकिन जब आर्ट ऑफ़ लिविंग ज्वाइन किया तो वहाँ पर जो भजन होते हैं वो बहुत मधुर और राग पर आधारित होते हैं, वो इनको बहुत अट्रैक्ट किया. पूनम जी ने जब उसको ज्वाइन किया तो बहुत अच्छा लगा. फिर वहां सिंगर के रूप में सत्संग में गाने लगीं. फिर जब एहसास हुआ कि उनका हारमोनियम वगैरह पड़ा हुआ है तो फिर पूनम जी ने अपनी बेटी को भी सिखाना शुरू किया. सेकेण्ड ईयर उसने जब कर लिया तब पता चला संस्था निनाद के बारे में तो फिर पूनम त्रिवेदी अपनी बेटी के लिए वहां गयी लेकिन फिर वे खुद भी वहां के राजीव सिन्हा जी से संगीत की बारीकियां सीखीं. 

संगीत विरासत में मिला - पूनम जी की माँ का नाम विशाखा पांडेय है जो एक ज़माने में गाया करती थीं और इनके पापा श्री कृष्णानंद पांडेय जो बहुत अच्छी बांसुरी बजाया करते थें. मायके में भी संगीत का शौक सबमे होते हुए भी बाकि लोगों ने संगीत सीखने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई लेकिन पूनम इस दिशा में थोड़ा आगे बढ़ गयीं.

ससुराल का सपोर्ट - ससुराल वालों ने बहुत सपोर्ट किया तभी आगे बढ़ पायीं. पूनम जी ने एक राज की बात बताई कि "ससुराल में जब हमलोग टेबल पर खाना खाते थें तो खाना खाने के बाद टेबल पर ही बैठकर हमलोग गाना सुनने-सुनाने लगते थें. फिर 11-12 बजने को आएं, तानपुरा लगा हुआ है और हमलोगों का गायन चल रहा है, इस तरह से बहुत मज़ा आता था. जब गलतियां होतीं तो लोग टोकते भी थें कि यहाँ गलती हुई है, ऐसा नहीं कि कुछ भी सुनकर आप बस वाह-वाह कर रहे हैं."

अब विदा लेने से पहले बोलो ज़िन्दगी टीम ने पूनम त्रिवेदी की फैमली को एक साथ बैठाया और प्रीतम कुमार ने उनका फैमिली पिक्चर क्लिक कर लिया.
(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है)


Monday 19 August 2019

हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित कवि कुम्भ 2019 में नालंदा के युवा मगही कवि संजीव मुकेश हुए सम्मानित




हिन्दी साहित्य अकादमी, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में दो दिवसीय कवि कुम्भ 2019 में नालंदा जिले के बिहारशरीफ निवासी युवा कवि संजीव कुमार "मुकेश" को कवित्व प्रतिभा अल्प अवधि में राष्ट्रीय साहित्यिक मंचों पर अपना विशिष्ट पहचान बनाने पर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। 

नालन्दा साहित्यिक मंडली के संयोजक राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि अपने पिता के विरासत को आगे बढाने में संजीव कुमार "मुकेश"  की मगही व हिन्दी की रचनाएं राष्ट्रीय स्तर पर काफी सराही जाती है। मुकेश राजधानी दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में अपनी रचनाओं के माध्यम से मगही भाषा का प्रचार-प्रसार करने में अपने पिता मगही के प्रख्यात साहित्यकार व कवि उमेश प्रसाद "उमेश" के साथ कदम से कदम मिलाकर हिंदी, मगही भाषा के विकास के लिए  निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
श्रीमुकेश जी के योगदान में सामयिक परिवेश साहित्यिक पत्रिका के संपादन में अब तक मगही बयार, काव्य उपवन, समकालीन काव्य धरा साझा संग्रह प्रकाशित किये जा चुके हैं। इनके द्वारा रचित मगही कविताओं की पुस्तक "माय के अंचरा" बहुत जल्द प्रकाशित होने बाली है। 

हिंदी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में आयोजित ऐतिहासिक कवि कुम्भ 2019 में कवि सम्मेलन में भारत भर से आये लगभग 150 नवोदित कवियों ने अपनी-अपनी कविता को सस्वर काव्य पाठ किया। इस दो दिवसीय साहित्यिक कुम्भ में टीवी स्टार सुरेश अलबेला व राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल, ओज के सशक्त हस्ताक्षर अंतरराष्ट्रीय कवि सौरव जैन सुमन, प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर राजेश चेतन जी ने कवियों को व्यक्तित्व विकास व आजकल के समय मे सोशल मीडिया के उपयोग हेतू शानदार सूत्र बताए। 

  श्रीशर्मा ने बताया कि 22 राज्यों से आये हुए सभी 150 मुख्य संयोजक के रूप में अंतराष्ट्रीय कवि सौरभ  जैन सुमन  रहे। उनके साथ हिंदी साहित्य अकादमी की सम्पूर्ण कार्यकारिणी सदस्य सहित अध्यक्ष वेद ठाकुर, उप संयोजक डॉ प्रतीक गुप्ता, कोषाध्यक्ष विमल ग्रोवर भी सम्मान समारोह में मौजूद रहे और उनका भरपूर सहयोग रहा।

कवि कुम्भ 2019 में कवि संजीव कुमार "मुकेश" को देश के महान हस्तियों के बीच अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।


सम्मानित किए जाने पर नालन्दा साहित्यिक मंडली ने दी बधाई

नालन्दा साहित्यिक मंडली ने अपने संस्था के  सक्रिय सदस्य मुकेश कुमार "मुकेश" को साहित्य में दीर्घकालीन एवं बहुमूल्य सेवा के लिए कवि कुम्भ 2019 के द्वारा अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर विभूषित किए जाने पर 
साहित्यिक मंडली नालंदा के संयोजक साहित्यप्रेमी शिक्षाविद राकेश बिहारी शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० लक्ष्मीकांत सिंह, साहित्यकार हरिश्चंद्र प्रियदर्शी, समाजसेवी डॉ० दिनेश्वर दयाल,समाजसेवी चन्द्र उदय कुमार मुन्ना, गीतकार मुनेश्वर समन, कवि सुभाष चन्द्र पासवान, मगही कवि व साहित्यकार उमेश प्रसाद "उमेश" समाजसेवी दीपक कुमार, समाजसेवी आशुतोष कुमार मानव, धीरज कुमार सहित जिले के कई साहित्यकारों व कवियों व बुद्धिजीवियों ने बधाई देते हुए हर्ष व्यक्त किया है।

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : मिसेज इंडिया रूबरू सेकेण्ड रनरअप डॉ. नाज़िया मजीद हसन की फैमिली, खगौल,दानापुर



18 अगस्त, रविवार की दोपहर 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', तबस्सुम अली एवं प्रीतम कुमार) पहुंची खगौल, दानापुर इलाके में मिसेज इंडिया रूबरू 2019 की सेकेण्ड रनरअप डॉ. नाज़िया मजीद हसन के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में ए.एन. कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल एवं जियोग्राफी डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो. पूर्णिमा शेखर सिंह भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों नाजिया मजीद हसन की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- मिसेज इंडिया रूबरू 2019 की सेकेण्ड रनरअप डॉ. नाज़िया मजीद हसन पटना के रुबन हॉस्पिटल में रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर हैं. इनके हसबैंड मु. मंजरूल हसन जो भारतीय रेलवे में वरीय मंडल वित्त प्रबंधक के पद पर दानापुर में कार्यरत हैं. 6 साल की बेटी है आइज़ा जो क्लास वन में है. ससुर एम. पी. हसन स्कूल में प्रिंसिपल रह चुके हैं और सास मनिरा हसन हॉउस वाइफ हैं. नाज़िया के हसबैंड के दो भाई और दो बहने हैं. नाज़िया के पापा मु. शाहरुख़ मजीद रिटायर्ड आईपीएस हैं और माँ गृहणी हैं. छोटा भाई अभी आईआईटी से ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया है. इनका मायका भागलपुर हुआ और ससुराल हुआ मुजफ्फरपुर.

नाज़िया और उनकी फैमिली मेंबर का टैलेंट -  नाज़िया मजीद हसन की हॉबी है बैडमिंटन खेलना, ट्रैवलिंग, पेंटिंग, क्राफ्ट एवं मूवी देखना. बिहार में 2003 में अम्बेडकर बैडमिंटन टूर्नामेंट में ये विनर बन चुकी हैं. अपने स्कूल टाइम में ये एंकर गोल्ड क्लब जीती थीं क्राफ्ट के लिए.  इनकी 6 वर्षीय बेटी आइज़ा का शौक है प्यानो बजाना और थोड़ा बहुत गाना भी गा लेती है. उसे स्पोर्ट्स में स्विमिंग का काफी शौक है. नाज़िया के हसबैंड मु. मंजरूल हसन का शौक सिंगिंग, पोएट्री है. शायरी अच्छी लिखते हैं, राइटिंग स्किल बहुत अच्छी है मुख्यतः उर्दू. और नाज़िया के ससुर जी भी बहुत अच्छे राइटर हैं. वो भी नज़्म-शायरी लिखते हैं. जब बोलो ज़िन्दगी ने और फैमली मेंबर्स का टैलेंट देखने की इच्छा जाहिर की तो फिर मु. मंजरूल हसन जी ने अपनी पत्नी नाज़िया को डेडिकेट करते हुए एक गीत और 8 वीं क्लास में लिखी अपनी एक कविता सुनाई. बेटी आइज़ा ने भी प्यानो पर देशभक्ति गीत के धुन बजाकर सुनाएँ. वहीँ नाज़िया के ससुर जी ने भी अपनी एक नज़्म पढ़कर सुनाई जो उन्होंने अपनी पोती आइज़ा के पैदा होने की ख़ुशी में लिखा था.

नाज़िया मजीद हसन की शिक्षा व कैरियर - इन्होने स्कूलिंग देहरादून से किया है फिर 12 वीं दिल्ली पब्लिक स्कूल पटना से किया. एमबीबीएस कटिहार मेडिकल कॉलेज से किया है. उसके बाद रेलवे में कुछ दिन जॉब किया था बतौर मेडिकल ऑफिसर, फिर जमशदेपुर के एक स्कूल में जॉब किया और अभी जब पटना शिफ्ट हुई हसबैंड के ट्रांसफर होने की वजह से तब रुबन हॉस्पिटल में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया है. शादी एमबीबीएस करने के ही दौरान 2007 में हो गयी थी. फिर आगे की पढ़ाई शादी के बाद कम्प्लीट की. शादी के बाद कटिहार के एक हॉस्टल में रहती थी. बीच में जब छुट्टियां होती थी तब हसबैंड के घर या अपने मायके जा पाती थी. इनके पैरेंट्स और ससुरालवालों का काफी सपोर्ट मिला.

मिसेज इंडिया का सफर - नाजिया के लिए प्रोफेशन के लिहाज से कभी मॉडलिंग का फिल्ड रहा ही नहीं. पहली बार जब इन्होने मिसेज इंडिया रूबरू ब्यूटी कॉन्टेस्ट का एड देखा तो मन में असमंजस था कि जाऊं या ना जाऊं. लेकिन इनकी मम्मी ने खुद फॉर्म मंगवाकर इनको भाग लेने को कहा. जब सासु माँ को पता चला तो उन्होंने भी कहा कि ज़रूर हिस्सा लो. फिर हसबैंड के प्रोत्साहित करने से इन्होने कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया. तब हाइ हिल पहनने की आदत नहीं थी इसलिए कैटवॉक के वक़्त थोड़ी परेशानी होती थी, पैरों में दर्द होने लगता था. लेकिन फिर घरवालों के सपोर्ट एवं आई ग्लैम की डायरेक्टर देवयानी मित्रा जी के ग्रूमिंग क्लासेस के बाद नाज़िया के लिए सब आसान हो गया. मिसेज इंडिया रूबरू 2019 की सेकेण्ड रनरअप बनने के बाद अब अगला पड़ाव लास्ट सितंबर में थाईलैंड होगा जहाँ नाजिया हसन इंडिया को रिप्रसेन्ट करेंगी 'मिसेज नेशनल यूनिवर्स' ब्यूटी कॉन्टेस्ट में. 

अब विदा लेने से पहले बोलो ज़िन्दगी टीम ने डॉ. नाज़िया मजीद हसन की फैमली को एक साथ बैठाया और प्रीतम कुमार ने उनका फैमिली पिक्चर क्लिक कर लिया.
 (इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है)





Monday 12 August 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : पर्यावरण संरक्षक नरेश अग्रवाल की फैमली, नाला रोड, पटना



11 अगस्त, रविवार की सुबह 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', तबस्सुम अली एवं प्रीतम कुमार) पहुंची पटना के नाला रोड इलाके में पर्यावरण संरक्षक नरेश अग्रवाल के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में मुकेश अम्बानी द्वारा रियल हीरो के ख़िताब से नवाजे गए समाजसेवी गुड्डू बाबा भी शामिल हुएं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों नरेश अग्रवाल की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- पेशे से कपड़ा व्यवसाई नरेश अग्रवाल के पिता जी को पटना में आये लगभग 40 -45  साल हो गएँ. ये राजस्थान के चूरू जिले से बिलॉन्ग करते हैं. पिताजी श्री गोपी राम अग्रवाल भी व्यापारी हैं. माँ पुष्पा देवी हाउसवाइफ हैं. परिवार में एक छोटा भाई प्रवीण अग्रवाल, बड़ी बहन सुमन अग्रवाल और एक छोटी बहन रूबी अग्रवाल हैं. दोनों बहनों की शादी हो चुकी है. भाई प्रवीण अग्रवाल एसबीआई, रफीगंज में कार्यरत है. नरेश जी की पत्नी हैं श्वेता अग्रवाल. 8 साल का एक बेटा है उमंग जो सेकेण्ड क्लास में पढ़ता है.

प्लांटेशन का शौक - बचपन से पेड़-पौधों व जानवरों से बहुत लगाव रहा है. आज से साल-डेढ़ साल पहले पटना के बेली रोड में रोड चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ कट रहे थें. शायद सरकार की मज़बूरी रही होगी फिर भी बहुत पेड़ काटे गएँ. 100 -150 सौ साल पुराने पेड़. वहां मौजूद अधिकारीयों से नरेश अग्रवाल ने सम्पर्क साधा. पूछना चाहा - "ये क्यों हो रहा है और इसके एवज में पेड़ कहाँ लगाए जा रहे हैं." उन्हें राजीवनगर का पता दिया गया यह कहते हुए कि "जाइये आप पर्यावरण विभाग के औफिस में मिलिए यहाँ कुछ बोलने से फायदा नहीं है." वहां जाने पर भी कोई सटीक जवाब नहीं मिला. फिर नरेश जी ने पर्यावरण विभाग को मेल किया. मेल किये महीने भर बाद भी कोई रिप्लाई नहीं आया. फिर वही मेल इन्होने फॉरवर्ड किया राज्य के मुख्यमंत्री को. उनकी तरफ से वो मेल नरेश जी को फॉरवर्ड किया गया पर्यावरण विभाग को अटैच करके. लेकिन पर्यावरण विभाग को उसका भी डर नहीं था कि मुख्यमंत्री ने यह मेल फॉरवर्ड किया है. कोई कार्यवाही नहीं की गयी. उस दिन के बाद नरेश जी ने ठान लिया कि अगर सिर्फ सरकार के भरोसे रहें तो कुछ नहीं होने वाला. तब पटना में ऐसे ग्रिल चिन्हित किये जो गंदे पड़े थें, जिनमे पौधे सूख चुके थें. और उनकी साफ़-सफाई करते चले गएँ, उसमे प्लांटेशन करते चले गएँ. फिर जहाँ भी खाली जगह मिलती नरेश उसमे प्लांटेशन करते. और ये सिलसिला जारी रहा. ऐसे तो एक-डेढ़ सालों में इन्होने तीन-चार सौ पेड़ लगाएं लेकिन कुछ जानवर खा गए तो कुछ लोगों द्वारा उखाड़ दिए गएँ. लेकिन अभी इनकी देख-रेख में लगभग 200 पौधे होंगे जो कभी एक इंच लगाए थें वो अब 10 -15  फिट के हो चुके हैं.

चुनौतियाँ - साल भर पहले जब स्टार्ट किया था तो कई बार अपने लोग भी रोड पर देखते ग्रिल से गंदगी निकालते हुए तो घर पर आकर पैरेंट्स से शिकायत करते थें या लोगों को बोलते थें कि देखो पागल है, मारवाड़ी का बच्चा है और सड़क पर गंदगी साफ़ कर रहा है. लेकिन फिर भी अपने आप को कभी छोटा महसूस नहीं किए. जब शिकायत हुई तो सभी की तरह मेरे गार्जियन ने भी समझाया - "काम पर ध्यान दो, ये सबसे कुछ नहीं मिलनेवाला." लेकिन कहते हैं ना, आदत एवं जुनून ऐसी चीज होती है जिसे कभी आदमी नहीं बदल सकता. तो उनकी बातों को ये एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते क्यूंकि बिजनेस छोड़कर ये पर्यावरण के लिए समय नहीं दे रहे थें बल्कि सुबह 6 से 9 बजे तक के खाली वक़्त में ही इसके प्रति समर्पित रहते हैं. फिर इनका बिजनेस का समय 10 बजे के बाद शुरू होता है.

बदलाव - नरेश जी के शौक को लेते हुए इनकी कहानी जब अख़बारों में छपी तो इनपर हँसनेवाले लोगों ने भी देखा-पढ़ा तो सोचें- वाकई में ये सचाई है और जो ये कर रहा है उसका परिणाम सामने आ रहा है. तब वही लोग अब इनसे कहते हैं कि "चलो समय है तो मैं भी चलूँगा, प्लांट चाहिए तो मैं भी दूंगा." कुछ लोग बुलाकर 5 से 10 प्लांट दे देते हैं. एक समय था जब लोग पौधे उखाड़ कर फेंक देते थें, अब धीरे-धीरे पौधे बढ़ रहे हैं. आज 6 महीने में देख रहे हैं कि बाहरी लोग हों या परिवार से जुड़े लोग या फिर सरकार इतने जागरूक हैं कि हर कोई आज प्लांटेशन कर रहे हैं. और इसकी जानकारी आपको सोशल मीडिया और अख़बारों में छपी तस्वीरों से मिल जाएगी.
                    नरेश किराये के मकान में पिछले 25 साल से रह रहे हैं. मकानमालिक का बहुत सपोर्ट मिलता है. कई जगह मकान में लोग एक गमला तक नहीं रखने देते लेकिन इन्होने यहाँ मकान की छत पर सैकड़ों गमले रखे हैं. उसमे फल-फूल, सब्जियां उगती हैं. फिर नरेश जी बोलो ज़िन्दगी की टीम को घर की छत पर ले गएँ अपनी बागवानी दिखाने.


अन्य समाजसेवा - नरेश जी नियमित रक्तदाता हैं और हर तीन महीने पर रक्तदान करते हैं. थोड़ा बहुत लिखने का भी शौक है इसलिए सामाजिक कुरीतियों पर कुछ लिखना पसंद करते हैं. बेटियों को समर्पित उनकी एक कविता है  "बेटी बोझ नहीं लाठी" जिसे इन्होने बेटियों की भ्रूण हत्या को लेकर जागरूक करने हेतु लिखी थी. ये कविता नरेश जी ने 2017 में लिखी थी जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा प्रशंसित भी किया गया है. पटना के पूर्व सीनियर एसएसपी मनु महाराज द्वारा भी प्रशंसा पत्र भेजा गया है. ये कविता अख़बार और मैगजीन में भी छप चुकी है. कविता कुछ यूँ है -
(बोझ नहीं लाठी हैं बेटियां)

बोये जाते हैं बेटे , उग जाती हैं बेटियां
खाद-पानी बेटों में, पर लहलहाती हैं बेटियां.
एवरेस्ट पर ठेले जाते हैं बेटे, पर चढ़ जाती हैं बेटियां.
रुलाते हैं बेटे, और रोती हैं बेटियां.
कई तरह से गिराते हैं बेटे, पर संभाल लेती हैं बेटियां.
माँ से प्यार है
बहन से प्यार है
पत्नी से प्यार है
फिर गर्भ में पल रही बेटी से क्यों नहीं....?

बेटे उमंग का टैलेंट - दूसरी क्लास में पढ़नेवाला मात्र 8 वर्षीय उमंग अपनी उम्र के बाकि बच्चों की तरह अपना खाली वक़्त सिर्फ खेल-कूद में नहीं बिताता बल्कि घर में रखी अनावश्यक चीजों को इकट्ठा कर उसमे साइंस ट्रिक्स जोड़कर अभी से ही कुछ इनोवेशन तैयार करने में लगा हुआ है. वह यू ट्यूब पर कार्टून शो नहीं देखकर साइंस और टेक्नोलॉजी से संबंधित चीजों को बारीकी से अध्यन करके उसे प्रैक्टिकली बनाने की कोशिश करता है.
       जब नरेश जी ने बोलो जिंदगी से पूछा- आपकी नज़र में इसके लिए कोई बेहतर ऑप्शन हो तो बताइये हम इसे कहाँ ले जाएँ जहाँ इसके टैलेंट को और बल मिले. हमने सलाह दी की इसके लिए किलकारी से बढ़िया प्लेटफॉर्म और कुछ नहीं होगा. आपके घर से किलकारी बाल भवन ज्यादा दूर भी नहीं है. क्यूंकि आपके बेटे में हमे भी भविष्य के साइंटिस्ट वाले लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
मौके पर हमारे स्पेशल गेस्ट गुड्डू बाबा ने भी नरेश अग्रवाल द्वारा पर्यावरण के प्रति किये जा रहे नेक कार्यों की दिल खोलकर सराहना की और खासकर के उनके बेटे उमंग के टैलेंट ने काफी प्रभावित किया.

अब विदा लेने से पहले बोलो ज़िन्दगी टीम ने नरेश अग्रवाल की फैमली को एक साथ बैठाया और प्रीतम कुमार ने उनका फैमिली पिक्चर क्लिक कर लिया. विदा लेते वक़्त बोलो ज़िन्दगी टीम और स्पेशल गेस्ट को नरेश अग्रवाल ने आर्युवैदिक गुणों से युक्त कपूर तुलसी का पौधा भी भेंट किया.
 (इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है)

























Thursday 8 August 2019

जीते जी रक्तदान मरणोपरांत नेत्रदान-देहदान



54 वर्षीय श्रीमती हँसा झुनझुनवाला जी दुनिया छोड़ने के बाद नेत्रदान के द्वारा दो लोगों के लिए रौशनी बनकर धरती पर दूसरी पारी की शुरुआत करनेवाली दुनिया की अद्भुत महिलाओं में शुमार हो गयी हैं. पिछले 16 सालों से पत्नी सेवा द्वारा समाज के लिए प्रेरणा बन चुके श्री गिरिधर झुनझुनवाला जी ने अपनी पत्नी की अंतिम इक्छा का सम्मान करते हुए अपने पुत्र मोहित और पुत्रियां शैलजा, दामाद शमन और नूपुर की सहमति के साथ नेत्रदान का साहसिक निर्णय कर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गएँ. आइजीआइएमएस आई बैंक की तरफ से डॉ. आयुषी और नयन जी ने नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया. 

'सावन में रोमांस' के बहाने समाज को भी जागरूक किया गया



पटना, हरे-हरे लिबास ओढ़े जब सावन धरती पर उतर आया तो मन रोमांटिक हो उठा....फिर क्या था सावन के साथ-साथ नयी और पुरानी पीढ़ी की महिलाएं एक साथ झूम उठीं. यह नज़ारा था पटना मारवाड़ी महिला समिति द्वारा 8 अगस्त की शाम महाराणा प्रताप भवन, राजेन्द्र नगर में आयोजित सावन मिलन कार्यक्रम "सावन में रोमांस" का जिसमे 150 से ज्यादा महिलाओं ने भाग लिया.

बोलो ज़िन्दगी के साथ विशेष बातचीत में समिति की अध्यक्ष नीना मोटानी ने बताया कि "सावन मिलन के आयोजन से जो राशि जमा होगी उसका उपयोग पटना के गायघाट स्थित उत्तर रक्षा गृह रिमांड होम की बच्चियों की शिक्षा में लगाया जाएगा."  वहीँ सचिव सुमिता छावछरिया ने बताया कि "इस अवसर पर सभी को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए हमने जल संरक्षण पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन करवाया है." कार्यक्रम में नाटक के द्वारा पर्यावरण बचाओ एवं जल ही जीवन है का संदेश भी दिया गया. इस अवसर पर महिलाओं के मनोरंजन हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाया गया. इचक दाना बीचक दाना, दाने ऊपर दाना... आया सावन झूम के....जैसे कई गीतों पर क्या पुरानी पीढ़ी-क्या नयी पीढ़ी सभी ने बढ़ चढ़कर नृत्य प्रस्तुत किया.

कार्यक्रम का मंच संचालन श्रीमती सुषमा गुटगुटिया ने किया. इस अवसर पर दैनिक भास्कर की महिला पत्रकार मिस एकता को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया जिन्होंने कम समय में ही अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

कोषाध्यक्ष उषा टिबरेवाल ने बताया कि "बहुत से महिला उद्यमियों द्वारा तरह-तरह के स्टॉल भी लगाये गए हैं इस उद्देश्य से कि खुद का व्यवसाय करनेवाली महिलों को प्रोत्साहन मिले और आनेवाले पर्व-त्योहारों के लिए एक ही जगह से लोग अपनी-अपनी जरूरत का सामान खरीद सकें." जब 'बोलो ज़िन्दगी' की टीम ने स्टॉल का मुआयना किया तो पता चला वहां एक ही छत के नीचे बच्चों के लिए टॉफी-चॉकलेट, रक्षाबंधन के लिए कुछ खास तरह की राखियां, लखनऊ की कुर्तियां, कॉस्मेटिक के सामान, अलीगढ के स्पेशल नमकीन आइटम, जन्माष्टमी को ध्यान में रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के पहनावे और भागलपुरी सिल्क से बने कपड़े भी मौजूद थें.


इस सावन स्पेशल कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से सहयोग दिया - रेणु वाष्र्णेय, रिमझिम सर्राफ, मीना अग्रवाल, पूनम मोर,  माला पोद्दार, कुमुद अग्रवाल, चंचल जैन, सुषमा गुटगुटिया, उर्मिला संथालिया, दया अग्रवाल, सरला छाबड़ा, किरण केडिया, प्रभा लाल, पूजा केडिया इत्यादि ने.

Sunday 4 August 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : टीवी एंकर प्रिया सौरभ की फैमली, गोला रोड, पटना



इस वीकेंड 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू' एवं प्रीतम कुमार) पहुंची पटना के गोला रोड इलाके में टीवी एंकर प्रिया सौरभ के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में हिंदी-भोजपुरी के जानेमाने साहित्यकार, फिल्म समीक्षक व टीवी प्रेजेंटर श्री मनोज भावुक भी शामिल हुएं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों प्रिया सौरभ की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- प्रिया सौरभ 2010 से टीवी एंकरिंग कर रही हैं. अभी दूरदर्शन बिहार की एंकर हैं साथ ही साथ इवेंट्स में फ्रीलांस एंकरिंग भी करती हैं. हसबैंड विकास कुमार की खुद की कंस्ट्रक्शन कम्पनी है, यशी ग्रीन होम्स प्राइवेट लिमिटेड और स्वप्न बिहार प्राइवेट लिमिटेड जो पार्टनरशिप में रन कर रही है.  बेटा अंश अनय जो यूकेजी में है, हाइपर ऐक्टिव है, कभी-कभी बहुत ज्यादा परेशान कर देता है. अभी कराटे में वाइट बेल्ट होल्डर है.

प्रिया का टैलेंट - लेखन-
आस-पास की घटनाओं से प्रभावित होकर लिखना शुरू किया. ऐसे लिखने की आदत तो हमेशा से रही है लेकिन तब लिखकर डायरी में रख दिया करती थीं, लेकिन सोशल मीडिया ने जबसे अच्छा प्लेटफॉर्म मिला तबसे वहां पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हैं. लोगों से प्रशंसा भी मिलती है. सबसे ज्यादा ख़ुशी तब होती है जब आपके गुरु आपको प्रोत्साहित करें, इनके कॉलेज में थें रवि रंजन सिन्हा सर जो बिहार के चर्चित जर्नलिस्ट रह चुके हैं, वो हमेशा से प्रिया को प्रोत्साहित करते आये हैं कि "तुम्हारे लिखने का लहजा अच्छा है, आगे भी जारी रखो." प्रिया बहुत भारी भरकम शब्द नहीं इस्तेमाल करती हैं, जो बोलचाल की भाषा के शब्द हैं उसका इस्तेमाल करती हैं. तो ये चीज उनके सर को बहुत अच्छी लगी. अभी थोड़ी ज्यादा व्यस्तता है इसी वजह से दो-चार महीने से नहीं लिख पा रही हैं लेकिन लिखने का शौक इतना जल्दी छूटने से तो रहा. हमेशा कुछ लिखकर फोन में सेव कर लिया करती हैं. इनकी कविताओं में व्यंग भी है, इमोशंस भी है, आक्रोश भी है यानि हरेक मूड की कवितायेँ हैं.

बागवानी का शौक - प्रिया जब प्लांट्स खरीदने जाती हैं तो काफी रिसर्च करके जाती हैं कि घर में रखनेवाले वैसे प्लांट जो काबर्न डाई ऑक्साइड ज्यादा ऑब्जर्व करके ऑक्सीजन ज्यादा छोड़ते हैं जैसे स्नेक प्लांट, मणि प्लांट, जिनको कम सन लाइट और कम देखरेख की ज़रूरत पड़ती है. फिर वैसे प्लांट जो पूरे वर्ष आपको फूल दें जैसे गुलाब, अड़हुल आदि भी उनकी लिस्ट में होते हैं. पहले जिस घर में रहती थीं वहां सन लाइट कम आती थी, अब जब नए घर में आयी हैं तो यहाँ प्रॉपर सन लाइट है. शादी के पहले जब मायके में नाना जी के साथ रहती थीं, चूँकि नाना जी ऐग्रिकल्चर डिपार्टमेंट में बीडीओ थें. उनसे बहुत कुछ सीखा. प्रिया जी को पता है कि जब फ्लावर्स नहीं होते हैं तो कौन सा खाद डालना है, घर में हम किस तरह से खाद बना सकते हैं.... एक बहुत आसान सा खाद है जिसको अगर घर में बना लें तो महज 20 रुपये में आपके प्लांट्स बहुत अच्छा ग्रो करेंगे. जिसको सरसो खल्ली कहते हैं उसको गर्मी के दिनों में चार से पांच दिन तक और ठंढ के मौसम में 15 दिनों तक बंद डब्बे में पानी में डालकर छोड़ दें. फिर उसमे से एक पार्ट सरसो खल्ली का लिक्विड और 5 पार्ट पानी मिक्स करके आधा-आधा मग सारे प्लांट्स में डालिये फिर और कुछ भी डालने की ज़रूरत नहीं है.
       बागवानी आमतौर पर डेढ़ साल पहले से शुरू किया. इनके पास अभी 96 प्लांट के गमले लगे हैं, जिसमे अभी दस रंग के फूल वाले अड़हुल के पौधे हैं, गुलाब के लगभग सारे कलर्स हैं, स्पेशल में ब्लीडिंग हार्ट पौधा है प्रिया जी के पास. हर्बल में ऐलोवेरा, तुलसी और कढ़ी पत्ता है जो आपकी बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल नहीं डाइजेस्ट होने देता है. उसके जड़, पत्तियों से लेकर फूल तक अड़हुल का पौधा भी पूरा का पूरा मेडिसिन ही है.हम जिस सोसायटी में अभी नयी शिफ्ट हुई हैं वहां पहले से कुछ लोग प्लांटेशन करते हैं तो प्रिया ने उन्हें पूछ-पूछकर अपने पास से कोई ना कोई पौधा भेंट किया कि ये आपके पास नहीं है न तो इसे रखिये. अड़हुल का पौधा भी पूरा का पूरा मेडिसिन ही है, और इनकी बिल्डिंग में कोई भी आता है तो सबसे पहले उनका काम होता है कि वे मेरी बालकनी देखते हैं. खासकर सुबह के वक़्त तब बहुत सारा फूल खिला होता है. और सुबह-सुबह इतने फूल टूट जाते हैं जिससे भगवान की अच्छे से पूजा हो जाती है. कुछ लोग जब मेरे पौधों के बारे में पूछते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है. बहुत से लोग कहते हैं कि गमला नहीं रखेंगे, टाइम लगता है, ये दिक्कत है, वो दिक्कत है... लेकिन ऐसा नहीं है, अरे कुंआ से पानी भरना है, आपको नल खोलकर के पाइप या मग से पानी डालना है. मैं भी बहुत व्यस्त रहती हूँ, कभी-कभी दो-दो दिन हम पटना में नहीं रह पातें तो हमारे घर के प्लांट्स, फिश, बर्ड्स सबके लिए कुछ मैनेज करना पड़ता है और हम कर लेते हैं.
इसके अलावा घर सजाने का बहुत शौक है, अकेले घूमने का भी बहुत शौक है. कभी बिहार से बाहर सोलो ट्रिप पर जाने का मौका नहीं मिला लेकिन मिला तो ज़रूर जाना चाहूँगी.

हसबैंड का टैलेंट - जब बोलो ज़िंदगी ने सवाल किया कि आपके हसबैंड का कोई शौक है तो प्रिया जी बोलीं कि "हाँ उन्हें न्यूज सुनने का बहुत शौक है." फिर हमने पूछा "उनमे क्या टैलेंट है..?" तो तपाक से बोलीं - "हाँ उनका कंवेंसिंग टैलेंट गजब का है, किसी को भी कन्वेंस कर लेते हैं." फिर जब बोलो ज़िन्दगी ने खुद उनसे ही जानना चाहा तो वे फरमाएं- "टैलेंट क्रिकेट था जो समय और सिचुएशन के हिसाब से खत्म हो गया."
जब विकास कुमार की स्टडी लाइफ स्टार्ट हुई तो उन्होंने पढ़ते हुए जॉब किया था, क्रिकेट से इनको बहुत लगाव था, बिहार के लिए कलेक्शन भी हुआ था लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से ये खेलने नहीं जा पाएं. पापा चाहते थें कि हम डॉक्टर बनें लेकिन ये ऐसी पढ़ाई है जिसे एक मीडिल क्लास फैमिली अफोर्ड नहीं कर सकती और दूसरा ये कि हमारे फादर ज्वाइंट्स फैमली में थें, उनके ऊपर तब घर और छोटे चाचा की जिमेदारी थी इन्ही वजहों से कोई शौक चाहकर भी ये पूरा नहीं कर पाते थें. जब इनके पिता की नौकरी लगी तब कुछ स्थिति सुधरी, इसके बाद तो ये 12 वीं पास करने के बाद ही जॉब करने लगें. यूनिलीवर में सेल्स डिपार्टमेंट में ज्वाइन किया था, वहीँ से जॉब करते हुए पहले ग्रेजुएशन फिर एमबीए किये. जब मार्केटिंग में आएं तो मीडिया फिल्ड में भी मार्केटिंग किया, फिर 2007 में रियल स्टेट ज्वाइन किया. वहां से बढ़ते हुए इन्होने पार्टनरशिप में अपनी कम्पनी स्टार्ट की. विकास कहते हैं कि "कोशिश करता हूँ कि जिनको पता नहीं है कि क्या करना है, फ्यूचर में कुछ गोल लेकर नहीं चल रहा हैं, उनको प्रोत्साहित करता हूँ, आइडिया देता हूँ कि क्या करना चाहिए और कैसे अपने आप को आगे बढ़ाना चाहिए. अक्सर उनसे कहता हूँ कि "एक एम्बिशन लेकर चलो और जिसमे आपका इंट्रेस्ट है वो अगर आप करें तो ज्यादा बेस्ट होगा."

प्रिया सौरभ ने बोलो ज़िन्दगी टीम को अपनी बालकनी की बागवानी को दिखाया जो बहुत ही खूबसूरत लगा और फिर अपनी कुछ कविताओं को सुनाया जो सच में इमोशंस से भरी हुई थीं. उनके इस टैलेंट को देखकर हमारे स्पेशल गेस्ट मनोज भावुक जी ने प्रिया सौरभी को लेखन के कुछ टिप्स दिए और फिर बोलो ज़िन्दगी के कहने पर अपनी कुछ कविता-गजल भी सुनाई.
अब विदा लेने से पहले बोलो ज़िन्दगी टीम ने प्रिया सौरभ की फैमली को एक जगह बैठाया और प्रीतम कुमार ने उनका फैमिली पिक्चर क्लिक कर लिया.
 (इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है)








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