तारे ज़मीं पर
By : Rakesh Singh 'Sonu'
उम्र महज एक साल 9 महीना लेकिन अभी से ही स्वर कोकिला बनने की राह पर....इस नन्ही सी उम्र में बच्चे जहाँ ठीक से बोल नहीं पातें वह एकदम सुर में सरगम, सा रे गा मा पा धा नी सा, सा नी धा पा मा गा रे सा.... गा लेती है. हम बात कर रहे हैं हिया कि जो बिहार के जाने-माने शास्त्रीय गायक रजनीश कुमार और नौबतपुर के त्रिभुवन उच्च माध्यमिक विधालय में संस्कृत की शिक्षिका बिन्नी कुमारी बाला की लाडली है. इस छोटी सी उम्र में ही हिया की सुर पर ऐसी पकड़ हो गयी है कि तानपुरे के साथ उसे जिस भी स्केल में गवाया जाये वह उसी स्केल में शुरू हो जाती है. राग यमन का टेस्ट भी उसको मिल गया है. राग यमन का आरोह-अवरोह करती है जिसमे सुर नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे लिया जाता है. इसके अलावा अन्य राग, दुर्गा का जो बंदिश है उसके कुछ स्वर को सुनकर याद कर ली है. सुर को जिस तरीके से समझती है ताल को भी समझती है. रजनीश जी जब घर में म्यूजिक का क्लास ले रहे होते हैं उस दौरान सभी बच्चों का अलग-अलग स्केल होता है तो जिसका भी स्केल बजता रहता है उसी में हिया शुरू हो जाती है.
हिया की माँ बिन्नी बाला जी को डायरी लिखने का शौक है और उन्होंने हिया के जन्म के पहले ही लिखा था कि बेटा या बेटी नेक्स्ट जो भी बच्चा आएगा वो स्पेशल होगा. जब हिया का जन्म हुआ तो कुछ दिनों में ही माँ-बाप को समझ में आने लगा कि ये सुर में है. ठंढ के दिनों में हिया का जन्म हुआ. उन्हीं दिनों हिया नहाने के दौरान रो रही थी तो उसका बड़ा भाई अथर्व जो अभी 10 साल का है और वह भी सुर में गाता है उसे गाना सुनाने लगा और तब हिया चुप हो गयी. जब तक उसका नहाना, कपड़ा पहनना हुआ तब तक वह बिलकुल शांत रही जबतक उसका भाई गाता रहा. उसके बाद से जब भी वह रोती उसका भाई अथर्व उसे गाना सुनाता है और वह चुप हो जाती है. इस घटना से घरवाले समझ गए कि हिया को म्यूजिक पसंद है.
उसके पापा रजनीश जी सुबह-शाम रियाज करते हैं. हिया जब 6 -7 महीने की थी तो उसके पिता रियाज के दौरान गा रहे थें और वह सोइ हुई होती थी तो उठकर बैठ जाती और मम्मी के गोद में जाकर सो जाती. म्यूजिक क्लास लेने के दौरान जब वह 8 -9 महीने की थी तो सब देखते कि वह भी उसमे सा लगा रही है. उस समय पूरा गाना कुछ भी हो रहा हो वो सिर्फ सा लगाती थी. जब वह एक साल तीन महीने की थी तो छुट्टियों के दौरान मम्मी-पापा के संग राजगीर से लौट रही थी तो रास्ते में भाई का गुनगुनाना सुनकर वह भी गाना शुरू कर दी - सा नी धा पा..... और जब घर आयी तो उसी स्केल से सा नी धा पा लगाने लगी. डेढ़- दो महीने तक वह सा नी धा पा... गायी और मई आते-आते वह पूरा सा नी धा पा मा गा रे सा...गाने लगी. फिर घरवाले देखकर चौंक गए कि ये इस उम्र में ही सुर पकड़ रही है. डेढ़ साल की होते-होते वह अच्छे से गाने लगी. नेक्स्ट स्टेप उसका हो गया कि जब भी राग सुनती उस राग को आत्मसात कर लेती. सुर का प्रभाव उसपर बहुत ज्यादा पड़ने लगा. ऐसा दो गाना है जिसमे कोमल सुर लगने के कारण वो वहां पर रोने लगती थी. एक है अर्जित सिंह का 'तुझे याद कर लिया है...' इस गाने का मुखड़ा खत्म होने के बाद अलाप शुरू होता है. और जब भी अलाप शुरू होता वो रोना शुरू कर देती. और दूसरा गाना है फिल्म 'ए दिल है मुश्किल' का बुलया.... इसमें जो लड़की अलाप शुरू करती है तो हिया वहां भी रोना शुरू कर देती. मतलब अलाप के समय उसके चेहरे का एक्सप्रेशन एकदम सैड हो जाता और अलाप खत्म होते ही जैसे लड़की की आवाज में अंतरा शुरू होता हिया बड़ा सा स्माइल देती थी. लेकिन धीरे-धीरे वह समझ गयी और अब वह अलाप सुनकर सीरियसली नहीं रोती है बल्कि रोने की एक्टिंग करती है. अब तो अलग-अलग गाने पर उसका अलग-अलग एक्सप्रेशन रहता है. अगर सैड सॉन्ग सुन रही है तो उसका वैसा ही मुँह बना रहता है. और हैप्पी सॉन्ग में खुश रहती है. मतलब एक ही समय में दोनों तरह का गाना सुनने पर उसका मूड अलग दिखता है.
अभी कुछ दिनों पहले वो जो दो-तीन बंदिश से परिचित हुई है उसको गाने की डिमांड करती है. मोबाइल में गाने के जितने ऐप्प हैं वह सब पहचानने लगी है. जैसे गाना डॉट कॉम, जियो म्यूजिक, गूगल म्यूजिक के ऐप्प और पर्सनल म्यूजिक एलबम गैलरी को खुद से निकालकर खोल लेती है. पिक्चर देखकर उसके दिमाग में यह सेट हो गया है कि यहाँ ये वाला गाना सेव है. इसलिए वह खुद से मोबाईल में अर्जित सिंह का 'तुझे याद कर लिया है...' गाना निकालकर सुनती है. हिया की दिनभर में जो ऐक्टिविटी रहती है सब सुर में ही होती है. जैसे उसे भइया को बुलाना है तो वह उसे दो-तीन तरीके से गाकर बुलाती है. उसके कुछ शौक भी हैं. खाने में बहुत अच्छी है, कोई नखड़ा नहीं. लेकिन उसे चटपटा खाना पसंद है. अभी ही तीखा -तीखा मिक्चर खा लेती है. बाहर घूमना पसंद है. शॉप पर साथ जाती है तो सीधे मिक्चर का पैकेट इशारे से दिखाती है. हिया नहाना बहुत ज्यादा इंजॉय करती है. कभी भी बाथरूम खुला रहे तो वह जाकर बाल्टी में बैठी रहती है. उसे सजना-संवरना, मेकअप करना और फिर आईने में देखना बहुत अच्छा लगता है. रोज वह माँ से कहकर बिंदी और लिपस्टिक लगवाती है. पापा का कहना ज्यादा मानती है. रोने पर ही मम्मी को याद करती है. घर के सभी मेंबर के नाम उसे याद हो गए हैं. हिया वीडियो कॉलिंग खूब इंजॉय करती है.
By : Rakesh Singh 'Sonu'
उम्र महज एक साल 9 महीना लेकिन अभी से ही स्वर कोकिला बनने की राह पर....इस नन्ही सी उम्र में बच्चे जहाँ ठीक से बोल नहीं पातें वह एकदम सुर में सरगम, सा रे गा मा पा धा नी सा, सा नी धा पा मा गा रे सा.... गा लेती है. हम बात कर रहे हैं हिया कि जो बिहार के जाने-माने शास्त्रीय गायक रजनीश कुमार और नौबतपुर के त्रिभुवन उच्च माध्यमिक विधालय में संस्कृत की शिक्षिका बिन्नी कुमारी बाला की लाडली है. इस छोटी सी उम्र में ही हिया की सुर पर ऐसी पकड़ हो गयी है कि तानपुरे के साथ उसे जिस भी स्केल में गवाया जाये वह उसी स्केल में शुरू हो जाती है. राग यमन का टेस्ट भी उसको मिल गया है. राग यमन का आरोह-अवरोह करती है जिसमे सुर नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे लिया जाता है. इसके अलावा अन्य राग, दुर्गा का जो बंदिश है उसके कुछ स्वर को सुनकर याद कर ली है. सुर को जिस तरीके से समझती है ताल को भी समझती है. रजनीश जी जब घर में म्यूजिक का क्लास ले रहे होते हैं उस दौरान सभी बच्चों का अलग-अलग स्केल होता है तो जिसका भी स्केल बजता रहता है उसी में हिया शुरू हो जाती है.
हिया की माँ बिन्नी बाला जी को डायरी लिखने का शौक है और उन्होंने हिया के जन्म के पहले ही लिखा था कि बेटा या बेटी नेक्स्ट जो भी बच्चा आएगा वो स्पेशल होगा. जब हिया का जन्म हुआ तो कुछ दिनों में ही माँ-बाप को समझ में आने लगा कि ये सुर में है. ठंढ के दिनों में हिया का जन्म हुआ. उन्हीं दिनों हिया नहाने के दौरान रो रही थी तो उसका बड़ा भाई अथर्व जो अभी 10 साल का है और वह भी सुर में गाता है उसे गाना सुनाने लगा और तब हिया चुप हो गयी. जब तक उसका नहाना, कपड़ा पहनना हुआ तब तक वह बिलकुल शांत रही जबतक उसका भाई गाता रहा. उसके बाद से जब भी वह रोती उसका भाई अथर्व उसे गाना सुनाता है और वह चुप हो जाती है. इस घटना से घरवाले समझ गए कि हिया को म्यूजिक पसंद है.
उसके पापा रजनीश जी सुबह-शाम रियाज करते हैं. हिया जब 6 -7 महीने की थी तो उसके पिता रियाज के दौरान गा रहे थें और वह सोइ हुई होती थी तो उठकर बैठ जाती और मम्मी के गोद में जाकर सो जाती. म्यूजिक क्लास लेने के दौरान जब वह 8 -9 महीने की थी तो सब देखते कि वह भी उसमे सा लगा रही है. उस समय पूरा गाना कुछ भी हो रहा हो वो सिर्फ सा लगाती थी. जब वह एक साल तीन महीने की थी तो छुट्टियों के दौरान मम्मी-पापा के संग राजगीर से लौट रही थी तो रास्ते में भाई का गुनगुनाना सुनकर वह भी गाना शुरू कर दी - सा नी धा पा..... और जब घर आयी तो उसी स्केल से सा नी धा पा लगाने लगी. डेढ़- दो महीने तक वह सा नी धा पा... गायी और मई आते-आते वह पूरा सा नी धा पा मा गा रे सा...गाने लगी. फिर घरवाले देखकर चौंक गए कि ये इस उम्र में ही सुर पकड़ रही है. डेढ़ साल की होते-होते वह अच्छे से गाने लगी. नेक्स्ट स्टेप उसका हो गया कि जब भी राग सुनती उस राग को आत्मसात कर लेती. सुर का प्रभाव उसपर बहुत ज्यादा पड़ने लगा. ऐसा दो गाना है जिसमे कोमल सुर लगने के कारण वो वहां पर रोने लगती थी. एक है अर्जित सिंह का 'तुझे याद कर लिया है...' इस गाने का मुखड़ा खत्म होने के बाद अलाप शुरू होता है. और जब भी अलाप शुरू होता वो रोना शुरू कर देती. और दूसरा गाना है फिल्म 'ए दिल है मुश्किल' का बुलया.... इसमें जो लड़की अलाप शुरू करती है तो हिया वहां भी रोना शुरू कर देती. मतलब अलाप के समय उसके चेहरे का एक्सप्रेशन एकदम सैड हो जाता और अलाप खत्म होते ही जैसे लड़की की आवाज में अंतरा शुरू होता हिया बड़ा सा स्माइल देती थी. लेकिन धीरे-धीरे वह समझ गयी और अब वह अलाप सुनकर सीरियसली नहीं रोती है बल्कि रोने की एक्टिंग करती है. अब तो अलग-अलग गाने पर उसका अलग-अलग एक्सप्रेशन रहता है. अगर सैड सॉन्ग सुन रही है तो उसका वैसा ही मुँह बना रहता है. और हैप्पी सॉन्ग में खुश रहती है. मतलब एक ही समय में दोनों तरह का गाना सुनने पर उसका मूड अलग दिखता है.
अपने मम्मी-पापा और भाई के साथ हिया |
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ReplyDeleteHiya ko Maa saraswati ka aashirwad hai.. Uske Sur perfect lagte hai.. Humlog ke practice session mai bhi wo koi bhi raag ka scale aasani se pakad leti hai..
ReplyDeleteGod bless u hiya.. Apna aur guru ji ka naam roashan Karo
Pinku Acharya
So cute Heeya! Destined to be a far far more talented singer than her worthy father. Love you Beta.See you soon. Shreekant
ReplyDeleteYou can learn and you can understand surs, but feeling it the way it is, is uncommon and extremely rare. I am proud to be the brother of such a rare identity, HIYA. Thanx for coming to our family and giving us, what none could have. Read this someday you might understand my text, the same way you understand surs.
ReplyDeleteYour proud brother- Madhumay
दिल जीत लेती है हिया जब वो मुस्कुराती है,
Deleteलेकिन उससे भी ज़्यादा खुश और गर्वान्वित तब महसूस करता हु जब वो गाती है ।।
इतनी छोटी सी उम्र में इतना कुछ पता नही वो कैसे समझ जाती है,
जब ब बोलता हूं मैं "हिया गाओ" पहले हसकर थोड़ा शर्माती है,
फिर उसके मन मे जो गाना आये वो खुशी से गुनगुनाती है,
गाकर खुद ही सबसे पहले "वाह वाह" कहकर थोड़ा इतराती है ।
पर जो भी कहो हिया मेरी बहन तू दिल जीत जाती है ।।