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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Sunday, 23 June 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : घनश्याम की फैमली, पूर्वी लोहानीपुर, पटना



22 जून, शनिवार की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के पूर्वी लोहानीपुर, स्लम एरिया में फिल्म सुपर 30 में अभिनय कर चुके घनश्याम के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में पटना रंगमंच के वरिष्ठ नाट्य निर्देशक राजीव रंजन श्रीवास्तव जी भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों घनश्याम की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- घनश्याम बी.ए. पार्ट -1, आरकेडी कॉलेज, कंकड़बाग के स्टूडेंट हैं. किलकारी बाल भवन से भी जुड़े रहे हैं. इनके पिता राजेंद्र बनारसी भूंजा की दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते हैं. घनश्याम के दादा जी का भी कभी नाला रोड में भूंजे का दुकान हुआ करता था. इनका परिवार यू.पी. से बिलॉन्ग करता है. पहले घनश्याम के पिता जी ठेले पर घूम-घूमकर भूंजा बेचते थें लेकिन कुछ समय पश्चात् घर के बगल में अपनी दुकान खोल लिए. माँ आशा देवी गृहणी हैं. घनश्याम तीन बहन और दो भाई हैं. दो बड़ी बहनों रेणु कुमारी, प्रीति कुमारी और बड़े भाई मुकेश कुमार की शादी हो चुकी है. छोटी बहन दीक्षा कुमारी की अभी शादी करनी है. घर की आर्थिक स्थिति की वजह से बड़े भाई ने मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ ही भूँजे के व्यवसाय में लग गएँ.

नाट्य क्षेत्र में कैसे हुई घनश्याम की शुरुआत ? - यूँ तो घनश्याम का नाटक -अभिनय से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था लेकिन लोगों को नाटक करते देखकर मन में आता कि ये भी एक्टिंग करें और इन्हे देखकर लोग तालियां बजाएं. मगर कहाँ जाएँ क्या करें यह पता नहीं था. फिर इनके मोहल्ले में एनजीओ वालों का आना-जाना हुआ जो अपने अभियान के बारे में नुक्क्ड़ नाटक के जरिये समझाते थें. यह देखकर घनश्याम के अंदर का कलाकार और जोर मारने लगा. तब घनश्याम की बहनें तो सरकारी स्कूल में थीं लेकिन इनका दाखिला इनकी मम्मी ने प्राइवेट स्कूल में करा दिया था. लेकिन जब इनके स्कूल के दोस्तों को पता चला कि ये लोहानीपुर के स्लम एरिया में रहते हैं तो वे चौंककर कहते कि "अरे तुम वहां से आते हो, इतना गंदा एरिया है, हम कभी नहीं आएंगे तुम्हारे घर." और सच में तब इनके घर कोई स्कूली फ्रेंड इनसे मिलने नहीं आते थें. ये बात घनश्याम को अच्छी नहीं लगी और विचार आया कि क्यों नहीं अपने मोहल्ले को साफ़-सुथरा रखा जाये. और तभी इन्होने अपने मोहल्ले में कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया और नुक्क्ड़ नाटक के माध्यम से साफ़-सफाई को लेकर जागरूक करने लगें. एक दिन ये प्रेमचंद रंगशाला में गएँ तो वहां का माहौल देखकर इन्हे इतना अच्छा लगा कि बस उसी पल इन्होने निश्चय कर लिया कि अब वे भी नाटक ही करेंगे. मन में यह भी ठान लिया कि एक दिन यहाँ के स्टेज पर हम भी प्ले करेंगे. शुरुआत नुक्कड़ नाटकों से हुई. लेकिन मंच पर नाटक करने की तमन्ना थी. एक दिन घनश्याम को प्रेमचंद रंगशाला में रंगकर्मी अभिजीत चक्रवर्ती से मुलाकात हुई जिन्होंने बिहार बाल भवन किलकारी में जाने की सलह दी. किलकारी से जुड़ने की जब बात घनश्याम ने घरवालों से कही तो माँ ने मना कर दिया कि "एक तो ऐसे ही मटरगश्ती करते रहता है, वहां जायेगा तो और बर्बाद हो जायेगा." जब घनश्याम ने अपने पिता जी से बहुत जिद्द की तो वे मान गएँ और सायकिल पर बैठाकरकिलकारी ले जाकर एडमिशन करा दिया. अपने मोहल्ले के ग्रुप में सिर्फ घनश्याम का ही किलकारी में एडमिशन हो पाया बाकि दोस्तों को उनके घरवालों ने इजाजत नहीं दिया. 2014 -2015 की बात है किलकारी ज्वाइन करने के बाद भी घनश्याम ने नाटक क्लास शुरू नहीं किया था. हुआ ऐसा कि नाटक क्लास के सर से उन्हें डर लगता था और इसी वजह से जानबूझकर वे वहां नहीं जाकर दूसरे क्लास अटैंड करने लगें. दो-तीन महीना पेंटिंग क्लास में बिताएं फिर क्राफ्ट, मूर्ति कला का क्लास किये लेकिन नाटक ही दिमाग में बसा हुआ था. जब सुनते थें कि नाटक क्लास करके यहाँ से कोई रियलिटी शो में भाग लेने गया है, कोई फिल्म करने गया है तो बहुत अच्छा लगता था. उसके बाद घनश्याम अपने मोहल्ले के उन दोस्तों के माँ-बाप को मनाकर उनका भी एडमिशन किलकारी में करवाएं. फिर अपने उन दोस्तों के साथ नाटक क्लास ज्वाइन किए. पहला नाटक जब करने को मिला तब घनश्याम रात भर सो नहीं पाएं, यही सोच रहे थें कि जिस प्रेमचंद रंगशाला में हम सोचा करते थें प्ले करने को अब वहीँ करने जा रहे हैं. अगले दिन घरवालों को भी बोल दिए थें कि मेरा नाटक देखने आपलोग आइयेगा. अंदर से बहुत बेचैनी हो रही थी लेकिन जब स्टेज पर आएं तो सबकुछ भूल गएँ कि कौन कहाँ बैठा है, बस खुद में कॉन्फिडेंस पैदा करके नाटक में खो गएँ. फिर मौके मिलते गएँ और ये नाटक की बारीकियां सीखते गएँ. पेंटिंग, राइटिंग, आर्ट एन्ड क्राफ्ट जो कुछ पहले सीखा था वो सब क्रिएटिविटी के माध्यम से अपने नाटक में उतार लाएं. बिहार से बहार भी नाटक करने जाने का मौका मिला. नाटक का निर्देशन करने का भी मौका मिला. अबतक 5-6 नाटक निर्देशित कर चुके हैं. हाल फ़िलहाल में किलकारी में 'विक्रम बैताल' नाटक का निर्देशन किये हैं जिसकी खूब सराहना हुई थी.

सुपर 30 में ब्रेक - 2017 में किलकारी का समर कैम्प समाप्त हुआ था. घनश्याम और इनके कुछ दोस्त सिक्सटीन प्लस हो गए थें, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या काम किया जाये. किलकारी से अब निकलने ही वाले थें. फिर सुपर 30 फिल्म की बात चली और पहली बार पटना में कोई बड़ा ऑडिशन हुआ था. किस्मत ने साथ दिया और किलकारी से निकले सिक्सटीन प्लस वालों को ही चांस मिला ऑडिशंस फेस करने का. पटना सहित कई अन्य जगहों पर 8 -9 राउंड ऑडिशंस हुयें, उनमे सलेक्ट होकर फिर मुंबई फ़ाइनल ऑडिशंस के लिए बुलाया गया. तब घनश्याम ने मुंबई जाने से पहले अपने घरवालों को फिल्म के बारे में कुछ नहीं बताया था. घरवाले बस इतना ही जान रहे थें कि किलकारी वाले नाटक कराने मुंबई ले जा रहे हैं. घनश्याम और बाकि बच्चों को तब ये भी नहीं मालूम था कि इस फिल्म में ऋतिक रौशन होंगे और इतने बड़े लेवल का काम होगा. मुंबई में 7 दिन के वर्कशॉप के बाद बिहार के 31 बच्चे फिल्म में चयनित हुयें जिनमे 14 बच्चे किलकारी के तो बाकि आरा इत्यादि बिहार के अन्य जिलों के हैं.

ऋतिक रौशन से क्या टिप्स मिला ? - सेट पर एक बार घनश्याम ने ऋतिक से पूछा - "सर, अगर फिल्म लाइन में जाना होगा तो कैसे जाएँ..?"  ऋतिक ने कहा था- "तुम फिल्म लाइन में बनना क्या चाहते हो, हीरो, विलेन या कैरेक्टर आर्टिस्ट...? पहले अपने आपको जांचों कि तुम क्या बनने के लायक हो. हीरो बनने के लायक हो या हीरो के भाई या फिर विलेन...यह जांचने के बाद ही तुम इसमें हाथ आजमाना. क्यूंकि हर कोई हीरो नहीं बन सकता, हर कोई विलेन नहीं बन सकता और हर कोई हीरो का भाई नहीं बन सकता. सबका बंटा हुआ है, अगर तुम अपने आपको जाँच लिए तो फिर फिल्म लाइन में तुम्हारा स्वागत है." फिर ऋतिक ने अपना उदाहरण देते हुए बताया था कि - "हम भी अपने पापा के अंडर में जब असिस्टेंट डायरेक्टर थें तब ये नहीं सोचते थें कि हम बड़े हीरो बनेंगे, तब हम भी लाइट उठाते थें, स्टेज पर झाड़ू लगाते थें, गर्मी में पापा के साथ एक छोटे रूम में रहे थें." घनश्याम ने 'बोलो ज़िन्दगी' को यह भी बताया कि एक इमोशनल सीन करने के बाद ऋतिक सर खुश होकर उससे बोलें थें- "वाह, कमाल कर दिया तुमने."

घरवालों का सपोर्ट- घनश्याम को माँ-बाप, भाई-बहनों का पूरा सपोर्ट मिला है. आये दिन जब घनश्याम को खोजते हुए मीडियावाले उनके घर पर दस्तक देते हैं तो इनकी माँ को ख़ुशी होती है. एक दिन अख़बार में ऋतिक रौशन के बगल में बैठे अपने बेटे की छपी तस्वीर देखकर यह ख़ुशी दुगनी हो गयी थी. घनश्याम के पापा को फिल्मों की उतनी समझ नहीं है लेकिन घनश्याम के नाटक करने से वो खुश रहते थें कि चलो बेटा, अवारों की तरह तो नहीं ना घूम रहा है. फाइनली जब उन्हें पता चला कि घनश्याम अब फिल्म सुपर 30 में एक अहम किरदार में ऋतिक के साथ नज़र आएगा तो उन्हें भी बहुत अच्छा लगा और उन्होंने बेटे को यही सलाह दी कि "तुमको जो मन लगता है वही करो, लेकिन इतना याद रखना कि भटकना नहीं. अगर इसी फिल्ड में करियर बनाना है तो ईमानदारी से खूब मेहनत करना."

https://www.youtube.com/watch?v=onWKIkkhnJ4

बोलो ज़िन्दगी के रिक्वेस्ट पर घनश्याम ने अपने साथियों के साथ घर की छत पर एक प्ले करके दिखाया जो पर्यावरण पर आधारित था. हमने और नाट्य निर्देशक राजीव रंजन जी ने भी ऑन द स्पॉट तुरंत तैयार कर किये गए इस एक्ट की दिल खोलकर तारीफ की.
      उनका साथ देने वाले पूर्वी लोहानीपुर मोहल्ले के ही साथी अश्वनी जो एक लोहार के बेटे हैं, सन्नी जो कबाड़ीवाले के बेटे हैं, प्रिंस कश्यप जो गाडी वॉश करनेवाले के बेटे हैं और सूरज प्रकाश जो कम्पाउंडर के बेटे हैं, ये सभी घनश्याम के साथ फिल्म सुपर 30 का हिस्सा हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=bRBTlGI1TLY

सन्देश : बोलो ज़िन्दगी के स्पेशल गेस्ट नाट्य निर्देशक राजीव रंजन श्रीवास्तव ने मौके पर घनश्याम के प्रदर्शन को देखते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि "लगभग 2014 -2015 में जब किलकारी में घनश्याम की इंट्री हुई तब मैंने इन्हे जाना. रंगमंच के आलावा लेखन विधा से भी इनका जुड़ाव रहा है. किसी चीज को ऑब्जॉर्ब करके दूसरों के सामने प्रस्तुत करने की कला घनश्याम में अद्भुत है. किलकारी में जो इन्होने सीखा वो तो सीखा ही लेकिन कुछ अपनी खुद की क्रिएटिविटी भी वे अपनी निजी जिंदगी से निकालकर ले आएं और कुछ-कुछ नयी चीजें प्रस्तुत करनी शुरू कर दीं. जैसा कि हमलोगों को जानकारी है कि इनकी जो भूमिका सुपर 30 फिल्म में है वो लीक से हटकर होगी. आनेवाले समय में हमें लगता है कि घनश्याम कि एक अलग पहचान बनेगी. बस अंत में हम इनसे यही कहना चाहेंगे कि वो अपनी सफलता को पचाने कि कला भी सीख लें, क्यूंकि यहाँ सफलता के नशे में अच्छे-अच्छों को हमने बिखरते हुए भी देखा है."

(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)

Sunday, 16 June 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : अनन्या आनंद की फैमली, पोस्टलपार्क कॉलोनी, पटना






15 जून, शनिवार की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के पोस्टलपार्क इलाके में गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर बिहार की उभरती कराटे चैम्पियन अनन्या आनंद की फॅमिली के घर जो अभी 10 से 13 जून को नयी दिल्ली में आयोजित सीनियर नेशनल कराटे चैम्पियनशिप 2019 में ब्रॉन्ज मैडल जीतकर पटना लौटी है. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में वुशू मार्शलआर्ट की इंटरनेशनल प्लेयर और एन.आई.एस. की कोच नूतन कुमारी भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों अनन्या की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- कराटे गर्ल अनन्या अभी पटना के टीपीएस कॉलेज में पार्ट 1 की स्टूडेंट हैं और इंग्लिस ऑनर्स से ग्रेजुएशन कर रही हैं. अभी अनन्या इंडियन आर्मी कराटे टीम के साथ आसाम रेजिमेंटल सेंटर, शिलॉन्ग में पिछले एक साल से ट्रेनिंग ले रही है. इसलिए अनन्या अपने फादर के साथ ज्यादातर शिलॉन्ग में ही रहती है. वहीँ से बाहर-बाहर चैम्पियनशिप में भाग लेने चली जाती है.  अनन्या का परिवार अरवल जिले से बिलॉन्ग करता है. इनके पिता श्री ओंकार शरण सिविल इंजीनियर हैं जिनका सेल्फ कंस्ट्रक्शन का बिजनेस है. लेकिन अभी वे अपना बिजनेस बंद करके अनन्या के करियर ग्राफ को बढ़ाने में सहायक की भूमिका में जुटे हुए हैं. अनन्या की माँ श्रीमती आशा कुमारी हाउसवाइफ हैं जो इंग्लिस ऑनर्स से ग्रेजुएट हैं भागलपुर के सुंदरवती महिला कॉलेज से. अनन्या का बड़ा भाई उत्सव आनंद देवघर , बीआईटी मेसरा से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहे हैं. अनन्या के दादा जी श्री चितरंजन सिंह सिंचाई विभाग में इंजीनियर थें. दादी का नाम सीता देवी है.  ओंकार शरण जी का 4 साल का भतीजा प्रियांशु राज जो अभी से बॉक्सिंग की क्लास अटेंड कर रहा है.


अनन्या का अचीवमेंट- अभी अनन्या का वर्ल्ड रैंकिंग 14 वां है. ये अभी अंडर 21 आयुवर्ग प्लस 68 केजी में खेलती है. 2018 -19 में कराटे अंडर 21 आयुवर्ग में अनन्या गोल्ड मैडल जीतनेवाली बिहार की पहली कराटे प्लेयर है. 2018 में एशियन कराटे चैम्पियनशिप में इंडिया के लिए ब्रॉान्ज मैडल जीत चुकी है. 2018 में डाक विभाग, भारत सरकार ने उसके परफॉर्मेंस के लिए अनन्या के नाम से एक डाकटिकट जारी किया. पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी को नेशनल यूनिवर्सिटी गेम में रिप्रजेंट करते हुए 2019 में कराटे में गोल्ड मैडल जीत चुकी है. अनन्या बिहार की पहली कराटे प्लेयर है जिसने नेशनल स्कूल गेम्स 2015 , 2016 और  2017 में ब्रॉन्ज मैडल और 2018  में गोल्ड मैडल जीता है. बिहार की पहली लड़की जिसे वर्ल्ड कराटे फेडरेशन की तरफ से ब्लैक बेल्ट मिला. बिहार की पहली प्लेयर जिसने इण्डिया को रिप्रजेंट करते हुए वर्ल्ड स्कूल गेम्स में सिल्वर मैडल जीता. पहली बिहारी लड़की जिसने कॉमनवेल्थ कराटे चैम्पियनशिप को रिप्रजेंट किया. पहली बिहारी लड़की जिसने कराटे में लगातार चार बार बिहार सरकार द्वारा खेल सम्मान हासिल किया. अनन्या आनंद की पूरी कहानी आप bolozindagi.com के कॉलम ‘शाबाश’ में पढ़ सकते हैं.


बोलो ज़िन्दगी टीम ने पाया कि जहाँ अनन्या के माँ-बाप तो पहले से सपोर्टिव हैं ही, उसके दादा जी भी अनन्या के प्रदर्शन से काफी खुश दिखें और इंटरव्यू के दौरान बीच-बीच में खुद ही अनन्या के कई अचीवमेंट की याद दिलाते रहें. फिर बोलो ज़िन्दगी के रिक्वेस्ट पर वहीँ मौके पर ही अनन्या ने सेल्फ डिफेन्स का एक डेमो भी प्रस्तुत किया और इसमें उनका सहयोग हमारे टीम मेंबर प्रीतम ने बखूबी किया.


सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट नूतन कुमारी ने अनन्या की फैमली से मिलकर व खासकर अनन्या के टैलेंट को देखकर अपने सन्देश में कहा कि - "मुझे यहाँ आकर बहुत अच्छा लग रहा है कि आजकल लड़कियों को भी इतना सपोर्ट करनेवाली फैमली है अपने बिहार में. अनन्या की बात करें तो लड़कियों के लिए मार्शल आर्ट चूज करना अपने आप में साहस की बात होती है जो मैंने अनन्या में देखा. अगर अनन्या के पिता जैसा सपोर्ट हर लड़की को अपने पिता से मिले तो अपना सपना पूरा करने में कोई भी लड़की पीछे नहीं रहेगी. अपना काम छोड़कर जिस तरह से अनन्या के पिता अनन्या को अच्छा माहौल दे रहे हैं, हर तरह से उसका सपोर्ट कर रहे हैं तो ऐसे पिता ही आदर्श पिता की श्रेणी में आते हैं."

(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)




Friday, 14 June 2019

विश्व रक्तदाता दिवस पर बिहार में 1000 यूनिट से ऊपर ब्लड का हुआ कलेक्शन



पटना, शुक्रवार 14 जून 2019 को विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी (बिहार सरकार ) ने माँ वैष्णो देवी सेवा समिति को 2018-19 वर्ष में बिहार में 4 कैम्पों की मदद से सबसे ज्यादा 1059 यूनिट ब्लड इकठ्ठा करने के लिए प्रथम स्थान के साथ सम्मानित किया.

पीड़ित मानवता के सेवा में पूरे बिहार की स्वयं सेवी संस्थाए बिहार सरकार के साथ सहयोग कर रही है.
विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर भीषण गर्मी में ब्लड की कमी से जूझ रहे बिहार के सरकारी ब्लड बैंको के लिए आज दिल खोलकर रक्तदान किया. आज 1000 यूनिट से ऊपर का कलेक्शन हुआ है जो ब्लड के लिए परेशान बिहार के जरूरतमंदों के काम आएगा.

मधुबनी ब्लड प्लस 208 यूनिट
छात्र संघ मधुबनी 175 यूनिट
U Blood बैंक पटना 131
सुरसंड, पुपरी सीतामढ़ी 65
सनातन रक्तदान समुह और सेव ह्यूमैनिटी,समस्तीपुर 73
DBDT गोपालगंज 8
लायंस क्लब दरभंगा 65
लायंस क्लब बिहारशरीफ 26

Sunday, 9 June 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : शालिनी की फैमली, दीघा हाट, हरिपुर कॉलोनी, पटना




8 जून, शनिवार की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के दीघा हाट, हरिपुर कॉलोनी में इनोवेशन के लिए राष्ट्रपति से सम्मानित शालिनी की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में युवा मनोवैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार भी शामिल हुयें.
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों शालिनी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- शालिनी दानापुर, बी.एस. कॉलेज में बी.एस.सी. सेकेण्ड ईयर की छात्रा हैं और मेडिकल की तैयारी कर रही हैं. हार्टमन गर्ल्स हाई स्कूल में शालिनी जब 9 वीं क्लास में थीं तभी इन्होने वॉकर विद एडज़स्टेवल लेग का इनोवेशन किया. इसके लिए शालिनी को 2011 में भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी .जे अब्दुल कलाम के हाथों अहमदाबाद में सम्मान मिल चुका है. शालिनी के दादा जी श्री लखनलाल भगत उद्योग विभाग के एकाउंट्स डिपार्टमेंट से 1996 में रिटायर्ड किएँ. शालिनी की दादी का नाम है श्रीमती सरोज देवी. शालिनी के पिता श्री सुबोध कुमार भगत का यूनिफॉर्म मैनफैक्चरिंग का अपना बिजनेस है. माँ श्रीमती किरण देवी हाउसवाइफ हैं. शालिनी के बड़े भाई सत्यांकर शानू अकाउंट्स ऑनर्स से ग्रेजुएशन कर एम.बी.ए. की तैयारी कर रहे हैं. छोटा भाई शांतनु संत पॉल्स में 10 वीं का स्टूडेंट है.


शालिनी का इनोवेशन - शालिनी के दादा जी को एक बार चोट लगी तो उन्हें कुछ दिनों तक वॉकर के सहारे चलना पड़ा लेकिन वे सीढ़ियों पर नहीं चढ़ पाते थें. उनके हालात को देखकर शालिनी को ख्याल आया कि ऐसा वॉकर बनाया जाये जिसके सहारे सीढ़ियों या ऊँची-नीची जगहों पर भी चला जा सके. इसके बाद से ही वह इस आइडिया पर वर्क करने लगीं तब वह 9 वीं क्लास की स्टूडेंट थी. डिजाइन तैयार होते ही उसे नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के पास भेजा जहाँ सेलेक्शन भी हो गया. शालिनी को इस नायाब इनोवेशन के लिए 2011 में अहमदाबाद के आई.आई.एम. में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के हाथों इग्नाइट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. शालिनी के एचीवमेंट की पूरी कहानी आप  के कॉलम शाबाश में पढ़ सकते हैं.
शालिनी ने बोलो जिंदगी को यह जानकारी दी कि मुंबई की एक कम्पनी विश्को से उनका एग्रीमेंट हुआ है जिसके तहत जल्द ही उनके इनोवेटिव आईडिया पर बने मोडिफाइड एडजस्टेबल वॉकर की सेल मार्किट में होने लगेगी.

क्या कहते हैं शालिनी के पापा ? -  सुबोध कुमार भगत शालिनी की इस कामयाबी से ख़ुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि ‘आमतौर पर हमारे सामाजिक परिवेश में बेटे की शोहरत से बाप-दादा का नाम रौशन होता है लेकिन हमारे घर-परिवार में तो बेटी की वहज से पूरे खानदान का नाम रौशन हो रहा है, इसलिए हमें गर्व है अपनी बेटी के ऊपर’.

परिवार के अन्य लोगों का टैलेंट - शालिनी का छोटा भाई शांतनु भी शालिनी से प्रेरित होकर कोई ना कोई इनोवेशन करता रहता है. अपने इनोवेशन आईडिया को उसने एक-दो बार भेजा है लेकिन अभी उसका सलेक्शन नहीं हुआ है. फिर भी उसका प्रयास जारी है. तीनों भाई बहनों में एक चीज कॉमन है कि तीनों को पेंटिंग का शौक है और उनके अंदर ये शौक पैदा होने की वजह उनकी माँ हैं. क्यूंकि उनकी माँ सरोज देवी भी बहुत अच्छी पेंटिंग किया करती थीं. वे 18 -19 की उम्र में पेंटिंग सीखने जाया करती थीं. जमशेदपुर में पेंटिंग की डिग्री भी हासिल कर चुकी हैं. बोर्ड एवं कपड़े पर फेब्रिक पेंटिंग बहुत किया है. शादी के बाद भी पेंटिंग का शौक जारी रहा और आस-पड़ोस की लड़कियां तब आकर इनसे मुफ्त में सीखा करती थीं.


सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट डॉ. मनोज कुमार ने शालिनी की फैमली से मिलकर व खासकर शालिनी के टैलेंट को देखकर अपने सन्देश में कहा कि - "शालिनी ने जिस तरह अपने दादा जी को प्रॉब्लम में देखकर जो इनोवेशन कर डाला, उनके प्रयास को इमोशनल इंटेलिजेंस कहा जाता है. परिवार से लगाव व संस्कारों की वजह से इनका इमोशनल इंटेलिजेंस हाई रहा. जब आप अपने परिवार से संस्कृति से जुड़े रहते हैं तो इमोशनल इंटेलिजेंस आपका बढ़ता जायेगा. अभी तो शालिनी की शुरुआत है अभी इन्हे बहुत आगे तक जाना है जिसे हम ही नहीं पूरी दुनिया देखेगी."
(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)




Tuesday, 4 June 2019

ट्रांसजेंडर समुदाय को भी पास की रियायतें बिहार राज्य में लागू होंगी



पटना, बिहार राज्य परिवहन निगम के द्वारा दिनांक 04/06/2019 को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें संस्था 'दोस्ताना सफर' की रेशमा प्रसाद को एक ट्रांसजेंडर रियायती पास देते हुए सभी ट्रांसजेंडर समुदाय को रियायती पास के नियम लागू किये गएँ। इस ख़ुशी में ट्रांसजेंडर रेशमा प्रसाद ने श्री संजय कुमार अग्रवाल (प्रधान सचिव परिवहन विभाग) और श्री संतोष कुमार निराला (माननीय मंत्री परिवहन विभाग) को धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि, "पूर्व में वर्ष 2015 में मेरे और मेरे संस्थान के साथियों के दौड़ भाग से एक सीट ट्रांसजेंडर समुदाय को बसों में आरक्षित होने का प्रावधान लागू है और इसका उपयोग हमारी साथी और मैं खुद बसों में बैठकर के लगातार करते रहती हूँ। पूरे भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय बिहार के अलावा कहीं भी बसों में आरक्षित सीटें नहीं प्राप्त करती है और ना ही कोई रियायत उनको मिलती है। यह बिहार के ट्रांसजेंडर समुदाय के साथियों के लिए गौरव का समय है कि हमें बिहार राज्य परिवहन निगम के द्वारा बहुत बड़ी रियायत तो नहीं लेकिन कुछ रियायतें मिली हुई है इसके अलावा एक सीट आरक्षित भी हुआ है।

एक ही मंच पर दिखी पूरे हिंदुस्तान की लोकसंस्कृति - ग्रीष्मोत्सव -2019

बंगाल, आसाम, राजस्थान, पंजाब, कश्मीर....इतने ही नहीं बल्कि एक साथ पटना के स्टेज पर 10 प्रान्त उतर आये थें. यह नजारा था पटना के कालिदास रंगालय का जहाँ विभिन्न राज्यों की लोकसंस्कृति से हम रु-बा-रु हो रहे थें. अवसर था 4 जून को 'प्रांगण' द्वारा आयोजित ग्रीष्मोत्सव -2019 रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का जहाँ  प्रांगण कला केंद्र के बच्चों ने बिहार ही नहीं बल्कि कई राज्यों के लोकनृत्य प्रस्तुत करके अपने बिहार में पुरे देश को जिवंत कर दिया.
कार्यक्रम की शुरुआत गुरु वंदना - गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवः महेश्वरा..... से हुई. उसके बाद एक-एक करके कई लोकनृत्यों की मनमोहक प्रस्तुति होती गयी, जिनमे से प्रमुख थें -

बांगला नृत्य - अप्सरा अली.....
असामी नृत्य - फागुन रे मोहनाये....
मुखौटा नृत्य - पल्लो लटके गोरी रे...
लोकनृत्य उत्तरप्रदेश - सासू पनिया कैसे लाऊँ.....
लोकनृत्य (भोजपुरी) - फार गईले निम्बुआ.....
राजस्थानी राजबारी 
डोगरी नृत्य (कश्मीरी) - सोने दी पक्की, चांदी दी चादर...
पंजाबी नृत्य - 

लोकनृत्यों के बाद अंत में रिमिक्स सॉन्ग डांस - दिलबरो, लौंग लाची, गलती से मिस्टेक हो गया..... की प्रस्तुतियां हुईं.

बीच-बीच के अंतराल पर शमा बांधे रखने के लिए शिखा कुमारी एवं मो. अलाउद्दीन अपनी गायिकी का जादू चलाते रहें. इतनी सी हंसी......,जब कोई बात बिगड़ जाए....,चक धूम-धूम...जैसे गाने गाकर वे दर्शकों की तालियां लूट ले गएँ.

कार्यक्रम की परिकल्पना एवं निर्देशन रहा, सोमा चक्रवर्ती, अर्पिता घोष एवं  आतिश कुमार का.
उद्घोषक एवं उद्घोषिका थें - संजय सिंह एवं सोमा चक्रवर्ती

मंच व्यवस्था- ओम प्रकाश, अमिताभ रंजन, आशुतोष कुमार, रामकृष्ण सिंह,

प्रेक्षागृह व्यवस्था- राजेश कुमार पांडेय, संजय कुमार, दिनेश कुमार, प्रतीक वर्मा, रतन कुमार, रेशव कुमार सोनी,
कार्यक्रम संयोजन- अभय सिन्हा

लोक नृत्य प्रस्तुत करनेवाले कलाकारों के नाम- सौम्या, अनन्या गुप्ता, मुनमुन घोष, सृष्टि मित्रा, सताक्षी पराशर, आस्था आनंद, ओ ऐशानी रॉय, ऐश्वर्या प्रिया, राधिका अग्रवाल, श्रुति कुमारी, मान्या घोष, रिया साहा, श्रीष्टि, सान्वी पराशर, श्रुति, काजल, कृति, रितिका चक्रवर्ती, रिया चक्रवर्ती, तनिष्क राज, तनिष्ठा गुप्ता, एकता कुमारी, स्नेहा शंकर, गुरप्रीत कौर, मुस्कान कुमारी, अवन्या भल्ला, रिया राज, आकांक्षा राज, भावना कुमारी, अनु कुमारी, प्रियंका सिंह, श्वेता कुमारी.

Sunday, 2 June 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : उद्घोषक, नृत्यांगना एवं रंगकर्मी सोमा चक्रवर्ती की फैमली, कदमकुआं, पटना


2 जून, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के कदमकुआं में टीवी-रेडियो एनाउंसर, डांसर व थियेटर आर्टिस्ट सोमा चक्रवर्ती जी की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में बीजेपी कला सांस्कृतिक प्रकोष्ठ, बिहार के सह-संयोजक आनंद पाठक भी शामिल हुयें.
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों सोमा चक्रवर्ती की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- सोमा चक्रवर्ती दूरदर्शन, आकाशवाणी व स्टेज की जानीमानी एंकर-उद्घोषक हैं. ये एक प्रशिक्षित डांसर व थियेटर आर्टिस्ट भी हैं. 'प्रांगण' संस्था में फोक डांस ग्रुप की लीडर भी हैं. 2015 -2016 में बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा इन्हे बिहार कला पुरस्कार भी मिल चूका है. सोमा चकर्वर्ती के संघर्षमई जीवन की पूरी कहानी आप bolozindagi.com के कॉलम 'स्टोरी ऑफ़ स्ट्रगल लाइफ' में पढ़ सकते हैं.
इनके पति अभय सिन्हा कल्चरल एनजीओ 'प्रांगण' के संस्थापक सचिव हैं. 1981 में प्रांगण की स्थापना हुई थी. सोमा चक्रवर्ती और अभय सिन्हा एक दूसरे से कला प्रेम की वजह से ही जुड़ें और फिर दोनों ने लव कम अरैंज मैरेज कर लिया. सोमा जी की दो जुड़वाँ बेटियां हैं सृष्टि सिन्हा व दृष्टि सिन्हा जो संत जोशफ कॉन्वेंट हाई स्कूल में क्लास 10 वीं की स्टूडेंट हैं. दोनों ने अभी ओडिसी नृत्य में भारतीय नृत्य कला मंदिर में प्रोफेसर तमाल पात्रा के संरक्षण में फिफ्थ ईयर किया है.
अभय जी के बड़े भाई हैं अनिल वर्मा जो पोस्टल ऑफ़ एकाउंट्स डिपार्टमेंट में सीनियर एकाउंटेंट थें, वो भी थियेटर से जुड़े रहे हैं. अनिल जी का एक बीटा है प्रतीक वर्मा जिसने अभी बैंगलोर क्रिस यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन करके लौटे हैं.

कलाकार फैमली - सोमा जी का पूरा परिवार ही कलाकारों से भरा है. सोमा जी ने बताया कि संस्था 'प्रांगण' के अंतर्गत होनेवाले पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव की चर्चा अब देश ही नहीं विदेशों में भी होनेलगी है. काफी बड़े-बड़े देश के दिग्गज नाट्य निर्देशकों का जमावड़ा होता है. इस नाट्य महोत्सव में दो पर्सनैलिटी को पाटलिपुत्र अवार्ड से सम्मानित करते हैं और जिसकी चर्चा बिहार बोर्ड व इंटरमीडिएट के कोश्चन पेपर्स में किया जाता है कि पाटलिपुत्र अवार्ड किस क्षेत्र के लिए दिया जाता है... और ये हमारे लिए गौरव की बात है. नाट्य ग्रुप को अभय जी देखते हैं और फोक डांस ग्रुप को लिड सोमा जी करती हैं.
अभय सिन्हा के गुरु सतीश आनंद जी रहे हैं तो उनके साथ ये काम करते-करते नाटक की बारीकी सीखें. उसके बाद जब सतीश जी का दिल्ली आने-जाने का हुआ तो अभय जी को लगा कि अपना कुछ अलग हटकर किया जाये. फिर कुछ लोगों के साथ जुड़कर 'प्रांगण' संस्था की नींव पड़ी. पहले नाटक से शुरुआत हुई. पहले खुद डायरेक्ट नहीं करते बल्कि सीनियर्स से डायरेक्ट कराते थें. फिर कुछ लोग जुड़े और कुछ लोग छोड़कर चले भी गए. लेकिन अभय जी ने काफी उतर-चढाव देखते हुए उस कारवां को लेकर आजतक चलते रहें. बाद में नाटक के साथ-साथ 'प्रांगण' में फोक डांस भी जोड़ा गया. उसका अलग से एक ग्रुप बना जो विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन करने लगा. देश में साऊथ को छोड़ कोई ऐसा राज्य नहीं जहाँ 'प्रांगण' के फोक डांस ग्रुप ने प्रदर्शन ना किया हो. यहाँ तक कि बाहर के कई देशों में भी प्रस्तुतियां दी हैं.
अभय सिन्हा जी के बड़े भाई अनिल वर्मा जी ने अपने ऑफिस के सहकर्मियों की एक टीम बनवाई थी जो नाटक प्ले किया करते थें. अनिल वर्मा जी के नाटक से जुड़ने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. जब इनके छोटे भाई अभय सिन्हा थियेटर से जुड़े तो पिता जी बहुत गुस्सा करते थें कि नौकरी नहीं करता है, नौटंकी करता है.... तो छोटे भाई को अपने पिता की डाँट से बचाने के लिए अनिल जी भी नाटक से जुड़ें कि कम-से-कम हम तो नौकरी करते हैं, हम भी जुड़ेंगे तो पापा भाई को कम डांटेंगे. और भाई के प्रति जो अनिल जी का प्यार है वो आज भी बना हुआ है तभी तो अभय सिन्हा व सोमा चक्रवर्ती उन्हें ही अपना गार्जियन मानते हैं.
अनिल जी के बेटे और सोमा जी के भतीजे प्रतीक वर्मा ने लास्ट ईयर दो शॉर्ट फिल्म बनाई है जो नेशनल शॉर्ट फिल्म उत्सव में भेजी गयीं जहाँ उनकी फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला. एक फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट स्क्रीन प्ले राइटर तो दूसरी फिल्म के लिए बेस्ट फिल्म 2018 का अवार्ड मिला. एक फिल्म का नाम है 'लोलिता चटर्जी' तो दूसरी फिल्म का नाम है 'नजरिया'.

अब सोमा-अभय जी की जुड़वाँ बेटियों की बात करें तो दोनों को बचपन से डांस का शौक है जो इनके खून में है. दोनों बहनों ने अभी-अभी रेडियो में ड्रामा आर्टिस्ट के लिए जो ऑडिशन दिया था वो पास कर गयी हैं. संजय सोनू जी के निर्देशन में बनी बॉलिवुड फिल्म 'डेथ ऑन सन्डे' में सृष्टि-दृष्टि का एक डांस सीक्वेंस है जो पद्मविभूषण शारदा सिन्हा जी के ठुमरी गाने पर है. फिल्म जल्द ही रिलीज होनेवाली है. थियेटर ओलम्पिक में हुए बटोही नाटक में भी दोनों प्ले कर चुकी हैं. सोमा जी बताती हैं कि "जब दोनों दो-ढ़ाई साल की थीं और हमारा रिहर्शल चलता था तो दोनों देखक-देखकर डांस सीखती थीं. तब दोनों किड्सजी में पढ़ती थीं, जब स्कूल का एनवल फंक्शन हुआ तो उसमे इन दोनों ने बिहार का फोक डांस "उमड़ल बदरिया चमके बिजुरिया..." पर साड़ी पहनकर परफॉर्म किया. फिर भारतीय नृत्य कला मंदिर का पूरा ऑडोटोरियम खड़ा हो गया कि ढ़ाई साल की दोनों बच्चियां एक साथ ऐसा डांस प्रस्तुत कर रही हैं. अगले दिन दोनों बहनों का अख़बारों में फोटो और नाम-वाम भी छपा. तबसे दोनों डांस लगातार सीख रही हैं. खुद ही कोरियोग्राफी भी कर लेती हैं." भारतीय नृत्य कला मंदिर के जो भी इन हॉउस प्रोग्राम होते हैं उसमे भी सृष्टि-दृष्टि परफॉर्म कर चुकी हैं, आईसीसीआर की तरफ से दोनों नेपाल में हुए प्रोग्राम में भी पार्टिशिपेट कर चुकी हैं. 'प्रांगण' के कई कार्यक्रमों में भी एक्टिव रही हैं, स्कूल में होनेवाले सभी कल्चरल प्रोग्रामों में भाग लेकर कई इनाम जीते हैं. जहाँ भी करना हो दोनों साथ ही परफॉर्म करती हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=COTcFLKgq2s

सृष्टि आगे होटल मैनेजमेंट करना चाहती है, लेकिन साइड में म्यूजिक, डांस को साथ लेकर चलेंगी. सृष्टि-दृष्टि को डांस के आलावा भी कई शौक हैं. जहाँ सृष्टि को गाने का भी शौक है वहीँ दृष्टि अच्छी पेंटिंग कर लेती हैं. सृष्टि को वेराइटी खाना बनाने का बहुत शौक है. जब सोमा जी ने सृष्टि की तारीफ करते हुए यह कहा कि सृष्टि चाय बहुत अच्छा बनाती है तो फिर बोलो जिंदगी के टीम मेंबर व स्पेशल गेस्ट ने भी मौके पर सृष्टि के हाथ से बनी चाय पीने की फरमाइश कर डाली.

https://www.youtube.com/watch?v=noEZ8kyLWLQ&t=3s 

सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट आनंद पाठक ने सोमा जी की फैमली से मिलकर व खासकर सृष्टि-दृष्टि के टैलेंट को देखकर अपने सन्देश में कहा कि - "बच्चियों के टैलेंट को जो मैंने देखा तो मैं यह कह सकता हूँ कि वाकई में एक कलाकार के घर में जो उनके बच्चे होते हैं वो किस तरह से अपने माँ-बाप के एक्टिविटी को ऑब्जर्ब करते हैं और किस तरह से आगे बढ़ते हैं वो आज हमने सोमा चक्रवर्ती जी के घर पर आकर देखा. सृष्टि व दृष्टि दोनों बच्चियां जो किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं तो इसमें उनके अभिभावकों का बहुत सराहनीय योगदान है. मौके पर दोनों बच्चियों के इस उम्दा डांस प्रदर्शन को देखकर यही कह सकता हूँ कि दोनों का भविष्य बहुत उज्जवल है."

(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)

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