लघु कथा
ऑफिस को देर हो रही थी, वह चाय के इंतज़ार में था. पत्नी ने आकर चाय का प्याला थमाया. चाय पीते ही उसका चेहरा उग्र हो गया, उसने तीखी नज़रों से पत्नी को घूरा और बरस पड़ा - " तुमसे हज़ार बार कहा है चाय में चीनी ज्यादा डाला करो लेकिन तुम....." वह कप खाली किये बिना ही तमतमाते हुए उठा और घर से निकल गया. शाम को ऑफिस से आते वक्त वह मिसेज दीक्षित के घर गया. पति शहर से बाहर गए थे और वो अकेली थीं. एक दूसरे को देख दोनों मुस्कुरा उठे. वह बहुत सुकून महसूस कर रहा था. मिसेज दीक्षित ने उसकी तरफ प्यार से चाय का प्याला बढ़ाया. चाय फीकी थी, वो चीनी डालना भूल गयी थीं मगर उसे एतराज न हुआ, एक ही सांस में पी गया. "चाय लाजवाब बनी है" कहकर वह मुस्कुराते हुए घर लौट आया.
ऑफिस को देर हो रही थी, वह चाय के इंतज़ार में था. पत्नी ने आकर चाय का प्याला थमाया. चाय पीते ही उसका चेहरा उग्र हो गया, उसने तीखी नज़रों से पत्नी को घूरा और बरस पड़ा - " तुमसे हज़ार बार कहा है चाय में चीनी ज्यादा डाला करो लेकिन तुम....." वह कप खाली किये बिना ही तमतमाते हुए उठा और घर से निकल गया. शाम को ऑफिस से आते वक्त वह मिसेज दीक्षित के घर गया. पति शहर से बाहर गए थे और वो अकेली थीं. एक दूसरे को देख दोनों मुस्कुरा उठे. वह बहुत सुकून महसूस कर रहा था. मिसेज दीक्षित ने उसकी तरफ प्यार से चाय का प्याला बढ़ाया. चाय फीकी थी, वो चीनी डालना भूल गयी थीं मगर उसे एतराज न हुआ, एक ही सांस में पी गया. "चाय लाजवाब बनी है" कहकर वह मुस्कुराते हुए घर लौट आया.
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