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Monday, 25 September 2017

बी.एच.यू. की छात्राओं पर हुए पुलिसिया दमन के खिलाफ दिशा छात्र संघटन ने किया विरोध प्रदर्शन

सिटी हलचल
Reporting : Bolo Zindagi

बी.एच.यू. की घटना के विरोध में प्रदर्शन करते दिशा छात्र संघठन के छात्र 
पटना, 25  सितम्बर, दिशा छात्र संघटन द्वारा पटना विश्विधालय गेट पर दोपहर 12 बजे बी.एच.यू. की छात्राओं पर हुए बर्बर पुलिसिया दमन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान जनसभा की गयी जिसमे दिशा छात्र संघटन की वारुणी ने 'बोलो ज़िन्दगी' से कहा कि 'बी.एच.यू. में एक छात्रा के साथ छेड़खानी की घटना के बाद बी.एच.यू. की छात्राओं ने जिस तरह से जुझारू संगठित प्रतिरोध को जन्म दिया है वो एक मिसाल है. यह प्रतिरोध महिला विरोधी कुलपति और उसकी सरपरस्ती में पलनेवाले लम्पटों के मुँह पर एक करारा तमाचा है जो छात्राओं के साथ होनेवाली बदसलुकियों के लिए छात्राओं को ही 'संस्कार' और 'चरित्र' का पाठ पढ़ाते हैं.' छात्र संघटन के एक छात्र ने बताया कि 'वास्तव में छात्राओं का फुट पड़ा ये आक्रोश गुंडागर्दी व प्रशासनिक तानाशाही के खिलाफ अरसे से इकट्ठा हुए गुस्से की अभिव्यक्ति है. बी.एच.यू. में यौन हिंसा और महिला विरोधी अपराधों का आलम यह है कि एक लड़की का रेप होता है और प्रशासन अपराधियों पर कार्रवाई करने के बजाये लड़की को ही मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर देता है. अब जब छात्राओं ने आंदोलन का रास्ता पकड़ा तो बी.एच.यू. प्रशासन और पुलिस इस आंदोलन को लाठियों के बल पर कुचल देना चाहती है. बी.एच.यू. की हमारी बहादुर साथी संघर्ष कर ही रही हैं साथ ही इस आंदोलन को सतत आगे ले जाने की जरुरत है.'
एक अन्य छात्र ने अपने सम्बोधन में आज के युवाओं को झकझोड़ते हुए उनसे यह गुजारिश की कि 'सोशल मीडिया पर वे इस घटना से सम्बंधित पिक्चरों एवं न्यूज को सिर्फ लाइक एन्ड शेयर न करें बल्कि आगे बढ़कर इस मुहीम में हमारा और हमारे जैसे सभी लोगों का समर्थन व सहयोग करें.'
अन्य एक छात्र ने कहा कि ' एंटी-रोमियो स्क्वाड' का हल्ला मचानेवाले प्रदेश में पुलिस ही छेड़खानी का विरोध कर रही छात्राओं पर लाठियां बरसा रही है. सचाई यह है कि पुलिस ऐसा नहीं करना चाहती लेकिन प्रशासन के आदेश की वजह से मज़बूरी में वो यह कदम उठा रही है. पुलिस से ज्यादा जिम्मेदार उसे ऐसा दमनकारी आदेश देनेवाला प्रशासन है.'
वारुणी ने आगे कहा कि ' स्त्रियों के उत्पीड़न की घटनाओं के खिलाफ हमें संगठित होकर एक हाथ से पतृसत्ता की गर्दन दबोचनी होगी तथा दूसरे हाथ से मौजूद व्यवस्था की, जो पतृसत्ता को निरंतर खाद पानी देने का काम करती रहती है. यह लड़ाई पुरुषों से नहीं बल्कि औरतों को पैरों की जूती समझने वाली, उनपर हुकूमत गाठनेवाली, उन्हें कमतर समझनेवाली पुरुष स्वामित्ववादी मानसिकता से है.'
इस प्रदर्शन के दौरान छात्रों व आम लोगों के बीच इस मुद्दे से सम्बंधित पर्चे भी बांटे गएँ. इस प्रदर्शन में कई कॉलेज के छात्र शामिल हुए जिनमे मधुर, वारुणी, आकाश, जयवीर, करण, विवेक आदि मौजूद रहें.  

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