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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Wednesday 11 October 2017

आचार्य रामचंद्र शुक्ल जयंती पर कवि श्री हरिश्चंद्र प्रसाद 'सौम्य' की काव्य-पुस्तक 'अंतर्प्रवाह' का हुआ लोकार्पण

सिटी हलचल
Reporting : Bolo Zindagi 

'अंतर्प्रवाह' के लोकार्पण समारोह में दाएं से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री चन्दमौली प्रसाद,
'अंतर्प्रवाह' के कवि श्री हरिशंकर प्रसाद 'सौम्य' एवं 'बोलो ज़िन्दगी' के एडिटर राकेश सिंह 'सोनू'
 
पटना, 11 अक्टूबर, 'बिहार हिंदी साहित्य समेल्लन' के तत्वधान में आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जयंती के अवसर पर वरिष्ठ कवि श्री हरिश्चंद्र प्रसाद 'सौम्य' की काव्य-पुस्तक 'अंतर्प्रवाह' का लोकार्पण हुआ. पुस्तक लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि थें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एवं प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन श्री चंद्रमौली कुमार प्रसाद. वहीँ विशिष्ट अतिथि थें पटना हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री राजेंद्र प्रसाद. लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने. 'अंतर्प्रवाह' का लोकार्पण करते हुए न्यायमूर्ति श्री चंद्रमौली प्रसाद ने कहा कि 'पिछले 40 सालों से वे न्यायिक सेवा में हैं और इस वजह से उन्हें कभी किसी कार्यक्रम में हिंदी में बोलने का सुनहरा मौका नहीं मिल पाया. लेकिन आज इस मौके पर साहित्य सम्मलेन के सभागार में मुझे हिंदी में बोलने का अवसर मिला है तो मुझे खुशी महसूस हो रही है. मेरा जन्म पटना में हुआ और कदमकुआं के बिहार हिंदी साहित्य समेल्लन भवन के पास से कई बार गुजरना हुआ लेकिन मैं कभी हिंदी साहित्य समेल्लन के कैम्प्स में नहीं आया और ना ही कभी मुझे हिंदी साहित्य से वास्ता हुआ. जब मेरे परिचित कवि हरिश्चंद्र प्रसाद जी ने इस कार्यक्रम में मुझे बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया तो मैं यहाँ आने से अपने आप को रोक नहीं पाया. मेरा सौभाग्य है कि यहाँ आकर मुझे कई वरिष्ठ साहित्यकारों से रु-ब-रु होने का अवसर प्राप्त हुआ.'

काव्य-संग्रह 'अंतर्प्रवाह' का लोकार्पण करते हुए अतिथिगण 
वहीँ 'अंतर्प्रवाह' पुस्तक के कवि श्री हरिश्चंद्र प्रसाद 'सौम्य' जी ने 'बोलो ज़िन्दगी' को बताया कि 'अंतर्प्रवाह मन के चिंतन व ह्रदय के भावों की गहराइयों का वह प्रवाह है, जो शब्दों के माध्यम से प्रस्फुटित होता है. इस यात्रा की शुरुआत 'द्रुम पथिक वार्ता' काव्य रचना से हुई जिसे मैंने स्कूल की कक्षा 8 वीं में लिखा था. 'बापू वियोग' कविता महात्मा गाँधी की हत्या के दिन रचित हुई थी. इस पुस्तक में मेरे किशोरावस्था से लेकर अब तक लिखी काव्य रचनाओं का संकलन है जो सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं की ओर ध्यान इंगित करने का प्रयास करता है. पत्र-पत्रिकाओं और कवि गोष्ठियों में तो मेरी कविता को सराहना मिली लेकिन उम्र के इस आखिरी पड़ाव पर 'अंतर्प्रवाह' के रूप में मेरा पहला काव्य-संग्रह प्रकाशित हुआ है. अभी मेरी उम्र 85 साल की है और इस उम्र में मेरा यह सपना कभी संभव नहीं हो पता अगर मेरे परिवार खासकर मेरे पुत्रों का विशेष सहयोग मुझे नहीं मिला होता.'
   लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ. अनिल सुलभ ने बताया कि 'वरिष्ठ कवि श्री हरिशंकर प्रसाद 'सौम्य' जी आरम्भ में साहित्यिक संस्था 'साहित्यांचल' पटना से जुड़ गए थें. फिर बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन,पटना तथा अन्य मंचों से अपनी काव्य-रचनाओं का लगातार पाठ करते आ रहे हैं. उनका यह काव्य-संग्रह 'अंतर्प्रवाह' भारत की सभ्यता-संस्कृति एवं इसकी मजबूत आध्यात्मिक जड़ों को रेखांकित करने का सार्थक प्रयास है.' कार्यक्रम में बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव एवं साहित्य मंत्री डॉ. शिववंश पांडेय जी ने भी अपने-अपने वक्तव्य रखें. मंच का संचालन योगेंद्र प्रसाद मिश्र जी ने किया. 

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