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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Tuesday, 9 July 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : दिव्यांग नेत्रहीन काजल की फैमली, बाकरगंज, पटना



8 जुलाई, सोमवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के बाकरगंज इलाके में बालश्री से सम्मानित दिव्यांग नेत्रहीन बच्ची काजल के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में बीजेपी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री वरुण कुमार सिंह भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों काजल की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय-  काजल दिल्ली के राष्ट्रिय बृजानंद अंध कन्या विधालय में 12 वीं की स्टूडेंट है और अभी छुट्टियों में अपने घर पटना आयी थी. काजल के पटना, बाकरगंज स्थित घर में पापा विपिन राय, मम्मी विभा देवी और उससे छोटे तीन भाई है. पापा एक टेस्टोरेन्ट में काम करते हैं.

काजल का अचीवमेंट - काजल कविता लेखन के लिए राष्ट्रपति द्वारा ‘बाल श्री’ अवार्ड से सम्मानित हो चुकी है. उसे कविता लेखन के लिए चार टॉपिक मिले थें – बारिश, माँ, रोटी व स्कूल बैग. काजल ने बारिश और माँ के टॉपिक पर लिखा और देश के कई सारे बच्चों के बीच उसकी कविता को सर्वाधिक पसंद किया गया. 2014 से उसने कविता लेखन की शुरुआत की थी. फिर किलकारी बालभवन से जुड़कर कई जगह हुई कविता प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और ढेरों इनाम जीते. काजल गायन में भी उस्ताद है और बड़े- बड़े आयोजनों में लोकगीत खासकर कजरी और झूमर प्रस्तुत कर चुकी है. 2013 में स्कूल स्तर पर दिल्ली में हुई गायन प्रतियोगिता में थर्ड प्राइज जीता था. दिल्ली में ही 2016 के कला उत्सव कार्यक्रम में नेशनल लेवल पर हुई गायन प्रतियोगिता में काजल ने सेकेण्ड प्राइज जीता था. पटना के कालिदास रंगालय, कृष्ण मेमोरियल जैसे कई मंचों से उसने अपनी गायिकी का टैलेंट दिखाया है. 2012 में कोलकाता में नेशनल लेवल पर हुए डांस कम्पटीशन में उसने क्लासिकल डांस में सेकेण्ड प्राइज अपने नाम किया था. पटना के अंतर्ज्योति बालिका विधालय में पढ़ने के दौरान काजल कराटे भी सीखा करती थी और उसे येलो बेल्ट मिल चुका है.

https://www.youtube.com/watch?v=5WJ1r3g4dBE

काजल का शौक - आजकल के नए गाने उसे उतने पसंद नहीं आते जितने की पुराने गाने. लता मंगेशकर, कुमार शानू और उदित नारायण के गाने उसे बहुत आनंदित करते हैं. काजल डांस का भी शौक रखती है. क्लासिकल के अलावा उसे गुजराती गरबा और डांडिया डांस करना भी पसंद है. इसके आलावा हस्तकला (क्राफ्ट) में भी काजल की रूचि है. वह हाथ से बैग, झूमर,झूला,तोरण और मोज़े की गुड़िया बनाना सीख चुकी है. कभी कभी स्टोरी भी लिख लेनेवाली काजल सिंगिंग और राइटिंग दोनों को लेकर चलना चाहती है.

क्या कड़वी सचाई बताई काजल के पापा ने ? - पापा विपिन राय ने बोलो ज़िन्दगी को बताया कि जब गांव में काजल के जन्म के कुछ दिनों बाद पता चला कि ये देख ही नहीं सकती तो गांव के कुछ लोगों ने उन्हें राय दी थी कि "ऐसी बच्ची को रखकर क्या होगा. आगे चलकर बदनामी ही होगी इसलिए इसे मार ही दीजिये तो अच्छा है." मगर काजल की मम्मी ने कह दिया कि "पहला बच्चा है इसलिए हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे." फिर जब काजल के पापा विपिन राय पटना में काजल को बड़े डॉक्टरों के पास ले गए तो उन्होंने कह दिया कि, "इसकी दृष्टिहीनता पैदाइश है, अब आँखों की रौशनी आने की उम्मीद नहीं है." तब विपिन राय पटना में अकेले रहते थें और काजल के साथ साथ बाकी फैमली गांव में रहती थी. एक दिन उन्हें किसी ने बताया कि "काजल जैसे बच्चों के लिए अलग से एक स्कूल है इसलिए उसे गांव से पटना ले आओ." तब विपिन जी अपनी पूरी फैमली के साथ काजल को शहर ले आये. फिर उन्होंने काजल को अंतर्ज्योति बालिका विधालय में ले जाकर दाखिला करा दिया. काजल जब वहां हॉस्टल में रहकर पढ़ने लगी तब उसके माँ-बाप की फ़िक्र थोड़ी कम हुई और आज काजल का टैलेंट जब लोगों को प्रभावित कर रहा है तब ऐसे में उसके माँ-बाप कहते हैं "हमारी बेटी सर्वगुण संपन्न है, और ऐसी बेटी पाकर हमें गर्व है."

बोलो ज़िन्दगी के रिक्वेस्ट पर मौके पर ही काजल ने एक खूबसूरत लोकगीत गाकर सुनाया और खुद अपने हाथों से बनाया हैण्ड बैग भी दिखाया.

सन्देश : बोलो ज़िन्दगी के स्पेशल गेस्ट वरुण कुमार सिंह ने मौके पर काजल के प्रदर्शन को देखते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि "काजल यूँ तो दिव्यांग नेत्रहीन बच्ची है लेकिन टैलेंट उसके अंदर कूट-कूटकर भरा हुआ है. जन्म से नेत्रहीन पैदा हुई इस बच्ची को देखकर तब इसके ही गांव के लोगों ने दोहरा रूप अपनाया था लेकिन जब ये बच्ची राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हुई तो इसके नाम से इसके माँ-बाप और पूरे गांव का भी नाम रौशन हुआ. हमें गर्व है ऐसी बेटी पर जो हमारे पटना, बिहार का नाम रौशन कर रही है. ऐसे दिव्यांग बच्चों के लिए हमारे बिहार ही नहीं, केंद्र सरकार द्वारा तरह-तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं लेकिन ज़रूरत है उनतक यह जानकारी पहुँचाने की. इसके प्रति अवेयरनेस की जो कमी है वो हम व आप भी आगे आकर दूर कर सकते हैं. सरकार के साथ-साथ हमलोग भी अपने प्रयासों से ऐसे बच्चों को समाज के बीच से निकालकर उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दे सकते हैं. इसके लिए एक जुझारूपन की ज़रूरत है जो हम में आप में सभी में है. ताकि ऐसी बेटियां जो अच्छा कर रही हैं और आगे बढ़ें, आत्मनिर्भर बनें, सरकारी क्षेत्रों में नौकरी पाएं एवं कला के क्षेत्र में भी अच्छी पहचान बनायें."

https://www.youtube.com/watch?v=4RRy2-zkAUY

(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)

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