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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Saturday 9 November 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : रंगकर्मी एवं नर्तक कुमार उदय सिंह की फैमिली, पूर्वी लोहानीपुर, पटना






दीपावली के पहले 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू' एवं प्रीतम कुमार के साथ) पहुंची पटना के पूर्वी लोहानीपुर इलाके में 'द लिपस्टिक ब्वाय' फेम रंगकर्मी एवं नर्तक कुमार उदय सिंह के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी एवं उद्घोषिका सोमा चक्रवर्ती भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों कुमार उदय की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- नालंदा जिले से बिलॉन्ग करनेवाले कुमार उदय सिंह रंगकर्मी एवं नर्तक हैं और विशेषकर 'लौंडा नाच' के लिए ख्याति बटोर चुके हैं. अब उनकी जीवनी पर एक फिल्म भी बन रही है 'द लिपस्टिक ब्वाय'. उदय सिंह के पिता जी का नाम है श्री नन्दलाल यादव और माता जी का नाम है सुंदरी देवी. जब एक-डेढ़ साल के थें तभी माँ का देहांत हो गया था. ये दो भाई हैं. अभी पटना स्थित फैमली में इनकी पत्नी सोनी कुमारी, भाभी मंजू देवी, भतीजा सोनू कुमार, सौरभ कुमार और एक चार साल का बेटा आलेख राज है.

उनके जीवन पर कैसे बनी फिल्म 'द लिपस्टिक ब्वाय' ? - एकबार कुमार उदय एनएसडी गए थें एक नाटक लेकर, वहां एक डायरेक्टर थें मुंबई के अभिनव ठाकुर जी, वो कुछ काम से वहां आये थें. इनसे मिलें तो पूछें- "आप लौंडा नाच कबसे करते हैं ?" कुमार उदय ने बताया कि "बचपन से ही.... तब घर में भी बहुत मार पड़ता था, समाज में भी बहुत कुछ सुनने को मिला. लौंडा, मउगा और न जाने क्या क्या..? लोग अच्छी दृष्टि से नहीं देखते थें. फिर भी हम लगातार करते रहें." इसपर वे बोलें कि "25-30 साल की जर्नी में जो इतना कुछ सहे हैं तो आपके जीवन पर हम बायोपिक बनाएंगे." फिर वे सहमति देने के बाद कुमार उदय की पूरी कहानी रिकॉर्ड करके 2 साल पहले ले गए थें. और अब वो आकर बोलें कि "हमको एक प्रोड्यूसर मिले हैं अमिताभ बच्चन जी के मेकअप मैन दीपक सावंत जी, वे आपकी जीवनी पर फिल्म बनाना चाहते हैं और उनको आपकी स्क्रिप्ट पसंद आयी है." फिर मुंबई से लोग आएं और फिल्म का शूट हुआ. कुमार उदय ने बोलो ज़िन्दगी को यह जानकारी दी कि वो स्क्रिप्ट चार फिल्म फेस्टिवल में सलेक्ट हो चुकी है. फिल्म के नाम के बारे में जब पूछा गया कि 'द लिपस्टिक ब्वॉय' ही नाम आखिर क्यों ? कुमार उदय ने बताया कि "डायरेक्टर साहब बोलें, तुम्हारे अनुसार जब एक लड़के का लड़की बनकर डांस करना मुश्किल काम है तो लिपस्टिक लगाना उसके लिए कितना मुश्किल होगा. इसलिए इस फिल्म का नाम पड़ा 'द लिपस्टिक ब्वॉय'." इस फिल्म में उदय भी थोड़ा बहुत एक्टिंग किये हैं लेकिन इनका रोल मनोज पटेल जी ने किया है. फिल्म 2020 में नवंबर तक बनकर रिलीज हो जाएगी.


कला जगत से जुड़ाव - उदय गांव में बचपन से नाच वगैरह होते देखते थें तो खुद भी करते थें. कहीं भी गाना सुनने को मिल जाता तो नाचना शुरू हो जाता. पिताजी को अच्छा नहीं लगता था, मारने-पीटने लगते थें. बोलते - "घर में कोई ऐसा नहीं है, तुम नचनिया-बजनिया बनोगे, कहाँ से आ गए हो तुम हमारे खानदान में..!" फिर उदय के बड़े भाई को बोलें कि "इसको पटना ले जाओ साथ में रखना और पढ़ाना. यहाँ नहीं पढ़ पायेगा, नाच-गाना में ही रह जायेगा." फिर उदय के भइया पटना लेकर उनका एडमिशन कराएं 7 वीं क्लास में. लेकिन यहाँ भी पढाई से ज्यादा कल्चरल प्रोग्राम में मन लगता. हमेशा इंतज़ार में रहतें कि कब 15 अगस्त, 26 जनवरी, सरस्वती पूजा आये. इनमे आगे रहते थें, टीचर को भी अच्छा लगता था, प्रोत्साहन मिलता था. लेकिन घर से सपोर्ट नहीं मिलने के कारण सीख नहीं पाएं कहीं, बस खुद से ही करते जाते थें. एक बार अख़बार में निकला कि कुमार उदय ने बहुत अच्छा डांस किया तो यह बात उनके भइया को पता चल गयी और वो पापा को बोल दिए. उस वक़्त 8-9 वीं में थें. तब फिर पापा आएं और गुस्से में बोलें कि "क्या है ये, फिर नाचने-गाने लगा तुम, कैसे निकल गया अख़बार में, ये अच्छा काम कर रहे हो कि ऐसा खबर छप रहा है...?" तब उदय बोले- "अच्छा काम ही तो है डांस करना तभी तो पेपर में निकला." लेकिन फिर पिटाई हुआ और उनके पापा बोलें "अब तुम्हें कहाँ भेजें...? गांव से तो पटना शहर में भेजें. तुम नहीं सुधरोगे." उदय ने कहा- "अच्छा ठीक है, अब से नहीं करेंगे." पापा चले गएँ. कुमार उदय ने इंटर में कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में एडमिशन लिए. वहां मगध यूनिवर्सिटी का 'तरंग' कार्यक्रम होता था. उसमे भाग लिए तो 2002 में डांस में गोल्ड मैडल जीतें और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित हुए. जब पापा सुनें कि यूनिवर्सिटी में पूरे कॉलेज में ये जीता है, अच्छा किया है तभी तो राष्ट्रपति से सम्मानित हुआ है. तब उनमे थोड़ा परिवर्तन देखने को मिला. वे बोलें- "ठीक है करो, लेकिन वो वाला डांस नहीं करना साड़ी पहनकर जो करते हो. सब हँसता है." लेकिन फिर भी उदय वो करते रहते थें छुप-छुपाकर. तब उन्होंने  सुन रखा था कि बिहार का लौंडा नाच पहला नाच है, ये भोजपुर जिले में ज्यादा लोकप्रिय है. और भोजपुरी के सेक्सपियर कहे जानेवाले भिखारी ठाकुर जी ने भी इस नाच को आगे बढ़ाया था. यही सोचकर कि जब वो कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं, उन्होंने जारी रखा और ये सब करते हुए बहुत सारे शो करने का मौका मिला. बिहार गौरव गान जो 18 -20 मिनट का गाना है उसमे बीच में लौंडा नाच भी है जिसे कुमार उदय करते हैं. इनकी प्लानिंग ये है कि इस लौंडा नाच को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनायें.


अचीवमेंट -  2006 में हुए युवा महोत्सव में कुमार उदय ने फर्स्ट किया था, मुख्यमंत्री भी प्रभावित हुए थें इनका खास नृत्य देखकर. बिहार गौरवगान का शो 2006 से अभी तक ये करते आ रहे हैं. 2008 में मॉरीशस गएँ जहाँ इनके ग्रुप का लौंडा नाच देखकर प्रधानमंत्री चकित रह गएँ. एक रोज भिखारी ठाकुर जी के नाती ने लेटर भेजा कि आपको भिखारी ठाकुर सम्मान मिलेगा. तभी से कुमार उदय ने ठान लिया कि इस नाच को, कला को आगे बढ़ाना है और जबतक सांसें रहेंगी तबतक वे इसको करते रहेंगे. उदय चाहते हैं कि इसमें भी युवा आगे आएं, इसको बढ़ाएं. ये खराब डांस नहीं है, बस इसको बिहार सरकार की तरफ से कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा है. 2008 में इसी डांस में कुमार उदय भारत सरकार से स्कॉलरशिप लिए. इसी डांस में 2017 में फेलोशिप भी मिला. पहली बार होली के पहले ये लालकिला में नृत्य प्रस्तुत किए. संस्था 'प्रांगण' की तरफ से बहुत तरह के नाटक, नृत्य सब करते रहें. लगभग 60 से ऊपर नाटक कर चुके हैं. डांस की वजह से ही रंगमंच से जुड़ाव हो गया. लौंडा डांस के बिना 'विदेसिया' अधूरा है. इसी तरह महिला कैरेक्टर में ये लोकप्रिय हुए. एक सीरियल 'दुनिया नाच पार्टी' जो जी- पुरवैया पर आता था जिसमे 100  एपिसोड से जायदा काम किए. सीरियल में ये किन्नर बनें थें और लौंडा नाच सबको बहुत पसंद आया था.

नाराज पत्नी को कई बार मनाना पड़ा - 2011 में पापा ने जानबूझकर इनकी शादी कर दी यह सोचकर कि शायद अब सुधर जायेगा नहीं तो लगता है ये नाच- गाना करता ही रह जायेगा, कुछ जीवन में करेगा नहीं. फिर उनके दबाव से शादी करनी पड़ी. लेकिन फिर भी लौंडा नाच नहीं छोड़ें. ससुराल गएँ तो वे लोग भी बोलें कि "छोड़ दीजिये महाराज, अलग कोई नौकरी कीजिये." बहुत मुश्किल से कुमार उदय उनको समझाएं. जब पत्नी आयीं शादी बाद तो बहुत लड़ाई करतीं कि "क्या आप ये सब करते हैं ? हम छोड़कर भाग जायेंगे, ये सब बंद करिये." कई बार भागा-भागी भी हो गया. तब कुमार उदय ने पत्नी को समझाते हुए कहा - "मेरी पहली पत्नी कला है, दूसरी तुम हो. पहले कला को मान देंगे फिर तुमको. जब तुम कला को एक्सेप्ट करोगी तब हमको भी कर पाओगी."


स्पेशल गेस्ट की टिप्पणी - इस कार्यक्रम में बतौर स्पेशल गेस्ट के रूप में उपस्थित वरिष्ठ रंगकर्मी सोमा चक्रवर्ती जी ने बोलो ज़िंदगी टीम के साथ कुमार उदय का नृत्य और अभिनय देखा और जितना उनके बारे में जानती हैं उस आधार पर अपना मंतव्य दिया कि "लौंडा नृत्य जो आज के समय में विलुप्त होने के कगार पर है, ऐसी संस्कृति, ऐसी लोककला को कुमार उदय आज भी अगर जीवित रखे हुए हैं तो यह हटकर और बहुत सराहनीय काम हुआ. इसके लिए बहुत हिम्मत और जिगर की ज़रूरत पड़ती है. और मैंने उदय के संघर्ष को करीब से देखा है तो मुझे पता है कि इन्होने क्या कुछ झेला है. तभी तो आज इनकी जीवनी पर बॉलीवुड में एक फिल्म भी बन रही है जो कि हमसब के लिए बहुत ख़ुशी कि बात है."

(इस पूरे कार्यक्रम को बोलोजिन्दगी डॉट कॉम पर भी देखा जा सकता है.)



















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