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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Friday, 15 November 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : फ्लूट आर्टिस्ट बीएमपी जवान विष्णु थापा की फैमली, अनीसाबाद , पटना



शुक्रवार,15 नवंबर को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार एवं तबस्सुम अली) पहुंची पटना के अनीसाबाद इलाके में फ्लूट आर्टिस्ट विष्णु थापा के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में एक्टर एवं डांस टीचर विकास मेहरा भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों विष्णु थापा की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- विष्णु थापा बिहार पुलिस के अंतर्गत आर्मर के रूप में बी.एम.पी.1 गोरखा बटालियन में तैनात हैं जिनका काम है हथियारों की जाँच-परख करना. ये अगस्त 2002 में बहाल हुए थें. सिलीगुड़ी से बिलॉन्ग करते हैं. इनका एक घर नेपाल के जनकपुर में भी है. चूँकि इनका परिवार बिहार में है तो वहां बहुत कम आना-जाना होता है. इनके पिताजी का स्वर्गवास हुए तीन साल हो गए हैं. इनकी माँ दीदी के पास जनकपुर में रहती हैं. विष्णु जी दो भाई दो बहन हैं. बहनों की शादी हो चुकी है. इनके भइया कविराज आर्मी में हैं, दानापुर में पोस्टेड हैं. विष्णु जी ने बहुत कम उम्र में ही लव मैरेज कर ली थी. इनका ससुराल पटना,बिहार में ही है. इनकी पत्नी बसंती देवी का जन्म एवं परवरिश यहीं पटना में हुई है. इसलिए वो इनसे ज्यादा अच्छी भोजपुरी बोल लेती हैं. विष्णु जी का बड़ा बेटा तिलक कुमार थापा संत कैरेंस में 12 वीं का स्टूडेंट है तो छोटा बेटा रोहित थापा एस.राजा स्कूल में 8 वीं क्लास में है.

https://www.youtube.com/watch?v=G6NN91EV3PE&t=8s

संगीत से जुड़ाव - म्यूजिक में बचपन से शौक था. 15 साल से बांसुरी वादन कर रहे हैं. इनके गुरु जी हैं बजेन्द्र सिंह जी जो पंजाब से बिलॉन्ग करते हैं और बहुत बड़े फ्लूट आर्टिस्ट हैं. ये ऑनलाइन उनको ही फॉलो करते हुए सीखते हैं. शुरुआत में बीएमपी के ही सुखबीर भइया से बेसिक सीखा था. पहले जब बचपन में बहुत सारा सॉन्ग सुनते थें तो उसमे बांसुरी की धुन बहुत ज्यादा पसंद आती थी. कृष्ण भगवान के भजन भी बहुत सुना करते थें तो फिर बांसुरी वादन के प्रति आकर्षित हुए. फिर पहले खुद से ही सीखने लगें. विष्णु जी बताते हैं- बांसुरी वादन को शास्त्रीय संगीत में ही लिया जाता है. जब आप राग वगैरह सारी चीजें सीख लेते हैं तो उन्ही रागों के आधार पर आप खुद भी स्वरों की रचना कर सकते हैं.

स्ट्रगल- मैट्रिक तक की पढ़ाई सिलीगुड़ी में हुई फिर पुलिस सेवा में आ गएँ और पहली पोस्टिंग बिहार में हुई. विष्णु जी के परिवार में इससे पहले किसी का सरकारी जॉब नहीं था. इनका पहले प्रयास में ही जॉब हो गया. पुलिस का जॉब ही क्यों...? यह पूछने पर थापा जी बताते हैं, "क्यूंकि मेरा शौक था कि देश के लिए कुछ करें.चाहे संगीत के माध्यम से या सरकारी सेवा के माध्यम से देश का नाम रौशन करूँ." ये मीडिल क्लास फैमली से हैं तो जानते हैं कि ऐसे में जॉब कितना मायने रखता है. परिस्थितियां इनको सरकारी सेवा में ले आयी. पुलिस जॉब और म्यूजिक दोनों अलग-अलग क्षेत्र है फिर भी विष्णु जी बैलेंस कर लेते हैं.

अब तक कला का प्रदर्शन - बिहार के बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे सोनपुर महोत्सव, राजगीर महोत्सव, पाटलिपुत्र महोत्सव, और पुलिस विभाग के जितने भी कार्यक्रम हैं उसमे अवसर मिलता रहा है. दूरदर्शन अदि के कई कार्यक्रमों में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं.

समझते हैं संयुक्त परिवार का महत्व - कभी कभी फेस्टिवल और बच्चों की स्कूली छुटियों के समय जब विष्णु जी की पूरी फॅमिली पटना इनके घर पर इकट्ठी होती है. बहन और बहनोई भी यहाँ आ जाते हैं तो सभी को एक भरे-पूरे परिवार में इंज्वाय करते हुए बहुत अच्छा लगता है. फिर थापा जी ने बोलो जिंदगी टीम से अपने बीवी-बच्चों और सिलीगुड़ी से आयी हुई अपनी बहन, जीजा और ससुर जी से मिलवाया. अपने भइया से भी मिलवाया. जब बोलो जिंदगी टीम की तबस्सुम ने पूछा- "आप अरसे से बिहार में हैं, ससुराल भी यहीं है तो अब आप खुद को नेपाली कहलाना पसंद करते हैं या बिहारी..?" थापा जी का सॉलिड जवाब आया - "मैं खुद को हिंदुस्तानी कहलाना पसंद करता हूँ क्यूंकि हिंदुस्तानी देश के किसी कोने में भी रह सकते हैं."


जब मजाक में ही तबस्सुम ने पूछा- "संगीतकार लोग तो बहुत सॉफ्ट दिल के होते हैं, ऐसे में जब आपको क्रिमनल मिल जाते होंगे तो आप कहाँ उन्हें पकड़ते होंगे ? आप तो उसको बांसुरी सुनाकर छोड़ देते होंगे." सभी हंस पड़ें. थापा जी हंसकर बोले - "ऐसा नहीं है, हमलोग शपथ लिए होते हैं.... भले ही हम गाने-बजाने का शौक रखते हैं लेकिन जब देश सेवा की बात आती है तो हम पीछे नहीं हटते." 


लाइव परफॉर्मेंस -  फिर बोलो जिंदगी टीम के सामने जब थापा जी ने बांसुरी वादन शुरू किया तो बोलो जिंदगी के निदेशक राकेश सिंह सोनू ने उनसे एक विशेष फरमाईस की कि " पहले आप मेरी पसंद का एक सॉन्ग हाफ गर्लफ्रेंड फिल्म से 'मैं फिर भी तुमो चाहूंगा....' की धुन बजाकर सुनाएँ क्यूंकि आपके माध्यम से यह सॉन्ग मैं अपनी प्रेमिका को डेडिकेट करना चाहता हूँ."  और फिर.... सच में उनकी बांसुरी की धुन सुनकर सभी भावुक हो गएँ. कुछ और अपनी पसंदीदा गीतों पर थापा जी ने बांसुरी की धुन सुनाई जो एकदम रूह को छूकर निकल रही थी.


स्पेशल गेस्ट की टिप्पणी - इस कार्यक्रम में बतौर स्पेशल गेस्ट के रूप में उपस्थित एक्टर एवं डांस टीचर विकास मेहरा जी ने बोलो ज़िंदगी टीम के साथ विष्णु जी का टैलेंट देखकर उनकी खुलकर तारीफ करते हुए कहा कि "पारिवारिक जिम्मेदारियों तले दबे होने के बावजूद भी ये दोनों क्षेत्रों के साथ न्याय कर रहे हैं. अपनी कला को कभी मरने नहीं दिए ये बहुत बड़ी बात है. और आज भी संयुक्त परिवार से जुड़े हुए हैं और उसका महत्त्व समझते हैं."

(इस पूरे कार्यक्रम को बोलोजिन्दगी डॉट कॉम पर भी देखा जा सकता है.)























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