18 जनवरी, शनिवार की
शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू',
प्रीतम कुमार एवं तबस्सुम अली) पहुंची पटना के बेलीरोड, शास्त्रीनगर इलाके में फाइनआर्ट
टीचर उपासना दत्ता जी के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में ह्यूमन
बूस्ट संस्था की सेक्रेट्री हेमलता भारती भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को सपोर्ट किया
है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों उपासना दत्ता
जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.
फैमली परिचय- उपासना
दत्ता फाइन आर्ट की टीचर हैं जिन्होंने आइजीएमएस, डीएवी में काम किया है. फ़िलहाल फ्रीलांस
करती हैं. पेंटिंग बहुत पसंद है. खासकर मधुबनी पेंटिंग और टिकुली आर्ट पर ज्यादा फोकस
रहता है. बच्चों को सिखाने का क्रम भी चलता रहता है. घर में शिल्पायन नाम की संस्था
के तहत सैटरडे- संडे को क्लास लेती हैं. कई ऐसे अभावग्रस्त बच्चे हैं जिन्हे फ्री में
भी सिखाती हैं. इनके अपार्टमेंट के बहुत से बच्चों ने भी इनसे सीखा है. इनके खुद के
बच्चे भी इन्ही बच्चों के ग्रुप में बैठकर सीखते हैं और एक सुंदर सा मौहौल बना रहता
है. भागलपुर से बिलॉन्ग करती हैं लेकिन अभी मायका पटना सिटी में है. पिता जी बिहार
सर्वेक्षण विभाग में थें, अब रिटायर्ड हैं. पति अनूप कुमार दत्ता एलआईसी में कार्यरत
हैं. इनकी छोटी उम्र में ही माँ का स्वर्गवास हो गया था. पहले बहुत सारे शौक थें लेकिन
पिता के अचानक गुजर जाने से जिम्मेदारियों ने मौका नहीं दिया. बड़ा बेटा दिव्यरूप दत्ता
और छोटा बेटा कार्तिकेय दत्ता 5 वीं में तो घर की लाडली बेटी जॉयति क्लास 2 में है.
तीनों ही संत एल्बर्ट स्कूल में पढ़ते हैं.
पूरे परिवार का टैलेंट
- पेंटिंग के अलावा उपासना दत्ता ने इलाहबाद यूनिवर्सिटी के तहत गुलाटी जी महाराज के
सानिध्य में शास्त्रीय संगीत भी सीखा है. सुधा कपूर जी ने भी उन्हें बहुत अच्छी शिक्षा
दी है. गायन अब छूट गया है लेकिन कुछ भूली नहीं हैं और चाहती हैं कि ये परम्परा इनके
बच्चों तक जाये और उन्हें कुछ हासिल हो सके. ये मानती हैं कि म्यूज़िक और पेंटिंग में
बहुत सुकून है. इनके पति बचपन में जब स्कूल में गाना गाते थें तो टीचर चाव से सुनते
थें. बचपन से ही पेंटिंग और क्विज में पार्टिसिपेट करने का बहुत शौक था. बड़ा बेटा दिव्यरूप
चेस बहुत अच्छा खेलता है. जहाँ जहाँ उसने पार्टिसिपेट किया प्राइज लेकर ही आया. छोटा
बेटा कार्तिकेय माइकल जैक्शन का डांस फॉलो करके खुद से ही सीखता रहता है, पेंटिंग बहुत
अच्छा कर लेता है. कई पेंटिंग कॉम्पटीशन में इनाम जीते हैं. खुद का एक यू ट्यूब चैनल
भी है गेमिंग मास्टर के नाम से जिसमे ये गेमिंग के वीडियोस डालते हैं. छोटी बेटी जॉयति दत्ता को सिंगिंग, डांसिंग और पेंटिंग
बहुत पसंद है. कम उम्र में ही उसे कुकिंग का शौक जग गया है. एक बार उपासना जी बीमार
पड़ीं और फीवर से उठ नहीं पा रही थीं तो जॉयति ने कहा "माँ मैं बना देती हूँ..."
जबतक उपासना जी कुछ समझ पातीं तबतक जॉयति सत्तू पुरी बनाकर झट से ले आयी.
उपासना दत्ता का स्ट्रगल
- बचपन में बहुत ज्यादा तबियत खराब होने की वजह से सबने कहा कि अब ये बच नहीं पायेगी.
डॉक्टर्स के फॉल्ट और बहुत सारी वजहों से प्रॉब्लम आयी थी. लेकिन फाइनली कई जगह से
थक हारकर दिल्ली एम्स में जब गयीं तो डॉक्टर अजय रॉय चौधरी की वजह से नया जीवन मिला.
फिर पढ़ाई के बाद तुरंत शादी हो गयी. शादी के बाद एक ट्विस्ट आया लाइफ में स्टेप मदर
इन लॉ का होना. उसी दौरान हसबैंड का बाहर ट्रांसफर हो जाना जैसे कई सारे फेजेस को स्ट्रॉन्ग्ली
फेस किया. कई बार सोचा कि अब नहीं हो पायेगा, लेकिन हसबैंड के सपोर्ट से बच्चों के
लिए आगे बढ़ती गयीं और निरंतर प्रयासरत रहीं. उपासना जी कहती हैं , "उसी हालातों
में मैं खुद को कहीं डिस्टर्ब न पाऊं इसके लिए मैंने पेंटिंग जारी रखी और इससे मेरी
घर की ज़रूरतें भी पूरी हुईं. क्यूंकि कई बार हसबैंड की बीमारी ने भी मुझे हालातों से
लड़ने लायक बनाया. लाइफ में बहुत अप एन्ड डाउन देखें लेकिन पेंटिंग में रमी रहती हूँ
तब सारे दर्द भूल जाती हूँ."
स्पेशल मोमेंट - बोलो
ज़िन्दगी टीम की फरमाईश पर जहाँ उपासना जी ने अपनी आवाज में कुछ गीत सुनाएँ तो वहीँ
छोटे बेटे कार्तिकेय ने माइकल जैक्शन डांस और बेटी जॉयति ने हारमोनियम पर मधुर धुन
बजाकर सुनाया. उपासना जी ने हर तरह की बनायीं अपनी कुछ पेंटिंग्स का दीदार कराया तो
ओवर ऑल इस फैमिली पैक
प्रदर्शन को देखकर बोलो ज़िन्दगी टीम और स्पेशल गेस्ट के रूप में मौजूद हेमलता भारती
जी ने इस फैमिली की खूब प्रशंसा की. चूँकि घर में बोलो ज़िन्दगी टीम के प्रवेश करने
के साथ ही उसका स्वागत चाय-नाश्ते से हो चुका था और जैसे ही कार्यक्रम खत्म करते ही
टीम के मेंबर्स विदा लेने को उठें तो उपासना जी ने सबको डायनिंग टेबल पर आमंत्रित करने
के साथ ही रात का खाना परोसने की तैयारी शुरू कर दी. खाने के लिए जब टीम ने मना किया
तो घर की लाडली नन्ही जॉयति ने बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा कि "अरे वाह, आप ऐसे
ही चले जायेंगे ! फिर हमारी मम्मी ने जो इतनी मेहनत से सबके लिए खाना बनाया है वो तो
वेस्ट जायेगा ना..." उसका इतना प्यारा आग्रह सुनकर पूरी टीम के चेहरे पर मुस्कान
खिल उठी और अब कोई भी प्यारी जॉयति को नाराज नहीं करना चाहता था. खाने में वेज और नॉनवेज
दोनों की ही व्यवस्था थी, बोनस में गुलाबजामुन भी था . उपासना जी के हाथ से बने स्वादिष्ट
व्यंजनों का लुफ्त उठाने के बाद रात में बोलो जिंदगी की टीम अपने गंतव्य की ओर लौट
पड़ी.
(इस पूरे कार्यक्रम
को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)
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