रविवार की शाम 26 जनवरी,
रिपब्लिक डे के दिन 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश
सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार एवं तबस्सुम अली) पहुंची पटनासिटी के धवलपुरा इलाके में
संस्था यू ब्लड बैंक की संचालिका शिखा मेहता के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल
गेस्ट के रूप में पटना सचिवालय में कार्यरत एवं सचिवालय कोऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर
उदय कुमार भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को सपोर्ट किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने
जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों शिखा जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट
किया गया. 26 जनवरी, रिपब्लिक डे के मौके पर
भी शिखा जी की टीम ने पटना के खुदा बक्स लायब्रेरी के पास बिहार यंग मेंस में रक्तदान
शिविर का आयोजन किया था जहाँ निशुल्क नेत्र जाँच की व्यवस्था भी कराई गयी थी.
फैमली परिचय- शिखा
अभी पटना यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट हैं, सोशोलॉजी से पीजी कर रही हैं. दो बहन और एक
भाई में दूसरे नंबर पर हैं. छोटा भाई अभिनव शुभम कोटा में रहकर मेडिकल की तैयारी कर
रहा है. बड़ी बहन मेधा की शादी हो चुकी है. पापा सुधीर कुमार कैमिकल का बिजनेस करते
हैं. माँ अनीता देवी हाउसवाइफ हैं.
यू ब्लड बैंक ऑर्गेनाइजेशन
की शुरुआत - संस्था यू ब्लड बैंक यानि यूनिवर्सल ब्लड बैंक की संस्थापिका शिखा ने बताया
कि "28 सितंबर, 2016 में इसकी शुरुआत हुई थी. पहले अर्जेन्ट में किसी की मदद होती
थी लेकिन अब हमलोग कैम्पेन के द्वारा करते हैं ताकि कभी रात के एक-दो बजे भी किसी ब्लड
बैंक को हम हेल्प पहुंचा सकें." जब शिखा ने यू ब्लड बैंक की स्थापना की तो उन्हें
घर-परिवार का भी अच्छा सपोर्ट मिला. उसी वक़्त ध्यान आया कि एक-दो जन के यूँ बल्ड दे
देने से काम चलेगा नहीं इसलिए इनकी टीम ने ब्लड डोनेशन कैम्प लगाना शुरू किया ताकि
ज्यादा से ज्यादा लोग अवेयर होकर रक्तदान कर सकें. इनका फोकस ज्यादातर युवाओं को इस
मुहीम से जोड़ने का रहा और फिर उन्हें प्रेरित करके ये जितने भी ब्लड बैंक हैं पटना
में सभी को ब्लड मुहैया कराते हैं, यह सोचकर कि किसी जरूरतमंद को वक़्त पर काम आये,
ब्लड की कमी से किसी की मृत्यु ना हो.
प्रेरणा कहाँ से मिली
? - छोटा भाई अभिनव शुभम प्रेरणास्रोत बना. जब वो कोटा में ही था तो उसने देखा कि वहां
ब्लड की काफी जरूरत है और कई ग्रुप ब्लड डोनेशन के लिए काम कर रहे हैं. वो चाहता था
कि शिखा उसी तरह पटना में भी एक ग्रुप तैयार करें. पहले उसने कोटा में रहते हुए ही
एक व्हाट्सप ग्रुप बनाया जिसके तहत एक-दो महीने काफी सक्रीय रहा. कभी वो तो कभी उसके
दोस्त ब्लड डोनेट करने चले जाते थें. जब उसने शिखा को बताया तो उन्हें लगा कि ये हमसे
होगा नहीं. फिर भाई ने समझाते हुए कहा कि "एक बार तुम ट्राई करके देखो."
तब पहले शिखा ने पटना में अपना अलग एक व्हाट्सप ग्रुप बनाया और पहली बार 28 सितंबर
को एक कैंसर पीड़ित महिला के लिए रक्तदान किया. ये बिल्कुल नया अनुभव था शिखा के लिए
कि आप जिसे जानते नहीं हो उसे ब्लड देकर उसकी जान बचाते हो. इनके पापा के मन में चूँकि
शुरू से समाज सेवा की भावना रही है इसलिए वो इनके काम को बढ़ावा देते हैं. जहाँ कहीं
भी बैठते हैं तो बेटी के इस काम के बारे में बताते हैं हर किसी को कि "मेरी बेटी
ऐसा कर रही, आपको भी करना चाहिए."
क्या मुश्किलें आयीं
? - शिखा को शुरुआत में समझ में नहीं आ रहा था कि शिविर आयोजित कर रहे हैं तो लोगों
को कैसे एकत्रित करें. फिर सोशल मीडिया आधार बना. उसके जरिये लोगों को जोड़ना शुरू किया
गया. सबसे पहले शिखा ने फैमिली मेंबर को जोड़ा. कोई रोक-टोक तो नहीं हुई...? यह पूछे
जाने पर शिखा कहती हैं, "अगर आप समाज के लिए कुछ करने निकलते हैं तो पोसिटिव-निगेटिव
दोनों बातें देखने को मिलती हैं लेकिन जब घर का सपोर्ट हो और खुद का विश्वास हो तो
आपका हौसला बढ़ जाता है."
सहयोगी - यू ब्लड बैंक
संस्था के अभी 5 ग्रुप हैं. टीम की बात करें तो शिखा के सहयोगियों की संख्या 15 से
20 है जिनमे संतोष पाठक, सत्यदीप पाठक, अमरजीत कुमार, आमोद कुमार शेखावत, अविनाश कुमार
मेहता, प्रेमचंद कुमार, पुष्पलता कुमारी, राजेश गुप्ता, मनोज कुमार मंडल, रंजना मेहता,
विवेक कुमार, आशीष यादव ,आलोक कुमार, ब्यूटी सिंह, सृष्टि कुमारी, मनोज यादव, सूरज
सिंह तोमर का वोलेंटियर के रूप में बहुत अच्छा सहयोग मिलता है. लेकिन जो ब्लड डोनेट
करनेवाले सदस्य हैं उनकी संख्या हजार से ऊपर है. इसके आलावा बाल लीला गुरुद्वारा, पटना
साहिब से बाबा कश्मीर सिंह भूरीवाले, बाबा गुरविंदर सिंह एवं सामाजिक कार्यों से जुड़े
सभी युवाओं के लिए अभिभावक के रूप में गुरमीत सिंह जी का हमेशा सहयोग रहता है यू ब्लड
बैंक के नेक कार्य में.
आगे का लक्ष्य
- शिखा बताती हैं, "शिविर करने से लोग
जागरूक तो होते ही हैं और एक प्लस पॉइन्ट ये होता है कि हर तीन महीने पर रक्तदान करने
की अच्छी लत उन्हें लग जाती है. हमारी इच्छा है कि वैसे गांव-कस्बों में जहाँ लोग रक्तदान
को लेकर कुछ सोचते तक नहीं हैं वहां जाकर हम ब्लड डोनेशन कैम्प लगाएं, उनके बीच डोर
टू डोर जाकर जागरूक करें कि आपके गांव में भी अगर किसी की ब्लड की कमी से मृत्यु हो
जाती होगी, प्रसव के दौरान कई महिलाएं ब्लड की कमी की वजह से दम तोड़ देती हैं तो अगर
आप इस चीज में आगे आएंगे तो कई लोगों की जान बचा सकते हैं." इसी लक्ष्य को लेकर
2020 में शिखा जी कि टीम ने पहली बार पटना से बाहर फतुहा इलाके में भी रक्तदान शिविर
आयोजित किया.
हॉबी - शिखा गाने सुनने,
गार्डनिंग और फोटोग्राफी का भी शौक रखती हैं. इनके पापा भी पुराने गाने बहुत सुनते
हैं. उन्हें बागवानी का भी शौक है तभी अपने घर की छत पर फल-फूल और शब्जियों के कई पौधे
लगा रखे हैं जैसे निम्बू, सपाटू, जामुन, अमरुद, आम का पेड़, सब्जी में टमाटर, नेनुआ,
कद्दू, भिंडी, पालक, मूली, धनिया इत्यादि.
स्पेशल मोमेंट - बोलो
ज़िन्दगी की फरमाईश पर शिखा मेहता ने एक गाना गुनगुनाकर सुनाया. जब टीम कि नज़र घर में
राखी कुछ ट्रॉफियों पर गयीं तो शिखा के पिता जी ने फख्र से कहा कि "ये सम्मान
मेरी बेटी को मिले हैं उसके नेक कार्यों को देखते हुए...." और यह कहते हुए बोलो
ज़िन्दगी की टीम ने करीब से महसूस किया अपनी बेटी की सराहना करते हुए एक पिता की आँखों
में दिख रही खास चमक को जो गर्व का एहसास करा रही थी. शिखा और उनकी फैमिली से मिलकर
बोलो ज़िन्दगी टीम के साथ आये स्पेशल गेस्ट उदय कुमार ने शिखा की तारीफ करते हुए यह
आश्वासन भी दिया कि, आपकी योजनाओं और मुहीम को हम सरकार तक पहुँचाने में मदद करेंगे.
अब रात हो चुकी थी
और बोलो ज़िन्दगी की टीम यहाँ से विदा लेने ही वाली थी कि शिखा के पिता जी के आग्रह
पर बोलो ज़िन्दगी की टीम सीढ़ियां चढ़ते हुए घर के छत पर पहुँची और उनकी खूबसूरत बागवानी
कला का मुआयना करके ही वापस लौटी.
(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा
जा सकता है.)
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