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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Thursday 6 July 2017

21 साले-सालियों के साथ फिल्म देखने जाना गजब ढ़ा गया : बीरेंद्र बरियार 'ज्योति', वरिष्ठ पत्रकार एवं चित्रकार

ससुराल के वो शुरूआती दिन
By: Rakesh Singh 'Sonu'




1993 में मेरी शादी पटना के कदमकुआं मोहल्ले में रहनेवाली अनुपम राज से हुई. हमारे ससुर जी 5  भाई और 5 बहन थें. पांचों भाई एक ही मकान में साथ रहते थें. मेरी पत्नी के पापा दस भाई-बहनों में सबसे बड़े थें. मेरी पत्नी उनकी बड़ी बेटी थी. उस जेनरेशन से परिवार में पहली शादी उसी की हुई. ससुराल में मेरे कुल 21 साला-साली हैं. शादी के बाद जब पहली दफा मैं ससुराल गया तो फिर हमलोगों का बाहर घूमने का प्लान बना. मैं मेरी पत्नी और सभी 21 साले-सालियाँ फिल्म 'हम आपके हैं कौन?' फिल्म देखने गए. ज्यादातर साले-सालियों की तब उम्र 5 से 15 साल के ही बीच थी. सभी का टिकट एक जगह नहीं मिल पाया लिहाजा सिनेमा देखने के दौरान सभी को हॉल में इधर-उधर बैठना पड़ा. जिसे जहाँ टिकट मिला वहां बैठ गया. कोई पूरब कोने में तो कोई पश्चिम कोने में बैठा. मैंने सबके लिए पॉपकॉर्न और कोल्ड्रिंक्स के ऑर्डर दे रखे थें. कुछ देर बाद मुझे बड़ी विचित्र स्थिति का सामना करना पड़ा. थोड़ी थोड़ी देर पर कोई साला चिल्लाता कि 'जीजा जी मुझे भी कोल्ड्रिंक्स पीना है'. किसी कोने से कोई साली चिल्लाती कि 'जीजा जी मुझे पॉपकॉर्न नहीं मिला.'  पूरी फिल्म के दौरान सभी हॉल में धमा चौकड़ी मचाते रहे और सिनेमा देखने का मजा किरकिरा करते रहें. तब शादी के शुरूआती दिनों में मुझे जीजा जी सुनने की आदत नहीं पड़ी थी. मुझे सिनेमा हॉल में जीजा जी सुनकर काफी शर्म आ रही थी. हॉल के सभी दर्शक गुस्से से मुझे देख रहे थें. कुछ एक झल्लाहट भरी  आवाज में कह रहे थें 'किन किन लोगों को लेकर आ गया है हॉल में !' इधर-उधर से जीजा जी सुनने के बाद भी झेंपते हुए मैं सिनेमा देखने का नाटक करता रहा. सोच रहा था कि जल्दी सिनेमा खत्म हो और मैं भागूँ यहाँ से. मैंने अपनी पत्नी से कहा कि 'सब को संभालो, शांत रहने को कहो.' लेकिन हालात ऐसे थें कि पत्नी भी चाहकर कुछ ना कर सकी. सिनेमा हॉल से निकलकर ससुराल लौटने के बाद मैंने कान पकड़ा कि आईन्दा से सभी साले-सालियों को लेकर कोई फिल्म देखने नहीं जाऊंगा.

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