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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Sunday, 31 March 2019

'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' : रितु चौबे जी की फैमली, कृष्णानगर, पटना

31 मार्च, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के कृष्णानगर इलाके में रितु चौबे जी की फैमली के घर,
स्पेशल गेस्ट के साथ बोलो जिंदगी की टीम 
जहाँ हमारी स्पेशल गेस्ट केंद्रीय मंत्री माननीय श्री रविशंकर प्रसाद जी की धर्मपत्नी एवं पटना यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री की प्रोफेसर डॉ. माया शंकर भी शामिल हुईं.
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है 'बोलो ज़िन्दगी फाउंडेशन' ने जिसके सौजन्य से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों रितु जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय : दिव्यांग रितु के पति भी दिव्यांग हैं जो प्राइवेट जॉब करते हैं. रितु कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज में फाइनांस एक्जक्यूटिव के पद पर कार्यरत हैं. परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. बेटा आदित्य राज ने हाल ही में केंद्रीय विधालय से मैट्रिक किया है. बेटी शताक्षी प्रिया डीएवी बीएसईबी में 8 वीं की स्टूडेंट हैं. शताक्षी को डांस का बहुत शौक है. वह शोभना नारायण कत्थक एकेडमी में विगत 4 सालों से कत्थक सीख रही है जिसकी संचालिका हैं अंजुला कुमारी. शताक्षी फ़िलहाल भारतीय नृत्य कला मंदिर एवं कालिदास रंगालय के मंचों पर कत्थक नृत्य की प्रस्तुति कर चुकी हैं.






ऋतु चौबे की कहानी
 - जन्म के 10 महीने बाद ही रितु को पोलियो हो गया. शुरुआत में वे हाथों के बल पर चला करती थीं लेकिन फिर लगातार कई जगहों पर ट्रीटमेंट चलता रहा तब जाकर थोड़ा बहुत चलने में सक्षम हुईं. लेकिन पोलियो एक ऐसी बीमारी है जो आजतक लाइलाज है. धीरे- धीरे समय बीतता गया फिर पढ़ाई शुरू हुई. स्कूल के दौरान भी हज़ारों मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 10 वीं के एग्जामिनेशन में फर्स्ट डिवीजन से पास हुई. मगर उसी समय पिता ने तय किया कि शादी कर देनी चाहिए क्यूंकि उनके यहाँ सभी बेटियों की शादी कम उम्र में ही करने की प्रथा थी. मैट्रिक के रिजल्ट के पहले ही शादी कर दी गई.
       
फिर क्या हुआ रितु के साथ...? संघर्ष की कहानी बहुत लम्बी है और रितु की कहानी को आप पूरे विस्तार से www.bolozindagi.com के कॉलम 'सशक्त नारी' में पढ़ सकते हैं कि आखिर कब आया था रितु की लाइफ में टर्निग पॉइंट और कैसे बढ़ा उनका कॉन्फिडेंस....?







हमरी स्पेशल गेस्ट एवं बोलो जिंदगी टीम के रिक्वेस्ट पर रितु की बेटी शताक्षी प्रिया ने मौके पर कत्थक नृत्य भी प्रस्तुत करके दिखाया.




संदेश: बोलो जिंदगी की स्पेशल गेस्ट डॉ. माया शंकर ने कहा कि "मैं मानती हूँ कि दिव्यांगता अपनी जगह पर है लेकिन एक दिव्यांग व्यक्ति के अंदर एक नॉर्मल व्यक्ति से ज्यादा कॉन्फिडेंस होता है और इस चीज को हम सलाम करते हैं." वहीँ रितु जी की बेटी शताक्षी का नृत्य देखकर प्रोफेसर माया शंकर जी ने कहा कि "जिस घर में संस्कृति होती है, संगीत होता है वह घर हमेशा फलता-फूलता है. हमारी कला ही हमारी विरासत है, वही हमारी पहचान है. धर्म और जाति हमारी पहचान नहीं होनी चाहिए क्यूंकि ये देश को तोड़ती हैं लेकिन वहीँ कला देश को जोड़ने का काम करता है."

Tuesday, 26 March 2019

कला जागरण ने की हिन्दी नाटक 'विद्रोह' की प्रस्तुति

पटना, 26 मार्च, 2019 को कला जागरण,पटना के कलाकारों ने पुरानी और नई पीढी के टकराव को दर्शाती विद्रोह नाटक की बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति कालिदास रंगालय में की। नाटयकार सतीश प्रसाद सिन्हा लिखित विद्रोह नाटक को परिकल्पित और निर्देशित वरीष्ठ रंग निर्देशक सुमन कुमार ने किया। संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के सौजन्य से हो रहे विद्रोह नाटक की कहानी दो पीढी के बदलाव से उपजे टकराव को दर्शाती है। राधेश्याम सरकारी सेवानिवृत एक इमानदार बुजुर्ग हैं जो अपने जीवन भर की इमानदार कमाई से एक छोटा सा घर बनाते हैं। अपने इकलौते बेटे को पढा लिखा कर शादी उसकी पसन्द की लडकी से कर देते हैं। घर मे एक प्यारा सा पोता भी जन्म लेता है। बेटे को एक नौकरी भी मिल जाती है परंतु फैशन परस्ती और झूठी शान-बान की चाह में अपने मां-बाप के प्रति सेवा और आदर सम्मान के भाव को दरकिनार कर देता है। वे उसे बेकार और बोझ लगने लगते हैं। घर को मौर्डन बनाने के चक्कर में उन्हे कमरे से बरामदे में और बरामदे से गौराज में रख देता है। राधेश्याम की पत्नी यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाती। वह किट्ट-पार्टी की एक रात में भूख-प्यास से तडप कर प्राण त्याग देती है। राधेश्याम अकेलेपन के दंश को सहन नही कर पाते। उनके मन मे अकेलेपन की आग धधकने लगती है। वह घर को एक दबंग को बेच कर दूसरे शहर मे चले जाते हैं। वो गुमनामी की जिन्दगी जीते हुए विछुब्धावस्था में पागल की तरह मारे-मारे फिरते हैं और अपने प्राण त्याग देते हैं।परिवार को यह एहसास होता है कि गलती हुई है....

नाटक में भागीदारी निभानेवाले कलाकार :-
मंच पर लक्षमी - सुनीता भारती,    राधेश्याम  - आमीर हक

कर्मेन्दु  - नीतीश कुमार,     कांता - नेहा कुमारी

अलबर्ट  - मिथिलेश कुमार सिन्हा,  रहमत  - संजय राय

तेज बहादुर - डा.शंकर सुमन,      रोहिणी - अराध्या सिन्हा

मल्होत्रा  - राकेश कुमार(रॉकी),  जग्गा  - अनुपम कुमार

अन्य कलाकार- मनु राज,आदर्श कुमार,सितेश कुमार सिंह, सुभद्रा सिंह, मुस्कान सिन्हा, शिल्पी कुमारी,

डा.रागिनी सिन्हा, प्रियांशी, अपर्णा, प्रिया शर्मा 

मंच परे :-

संगीत     - ललित श्रीवास्तव इफेक्ट - मनु राज/अनुराग कुमार

रूपा सज्जा - हीरालाल राय  प्रकाश -उपेन्द्र कुमार/राज कुमार शर्मा  मंच सज्जा - सुनिल कुमार वस्त्र विन्यास – रीना कुमारी
प्रस्तुति प्रभारी- रोहित कुमार   
मार्गदर्शन- गणेश प्रसाद सिन्हा,अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा
नाट्यकार - सतीश प्रसाद सिन्हा         

परिकल्पना एवं निर्देशन- सुमन कुमार

Sunday, 24 March 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : पूनम आनंद जी की फैमली, रामनगरी, आशियाना दीघा रोड, पटना

24 मार्च, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व अनमोल अंशु) पहुंची पटना के रामनगरी इलाके में पूनम आनंद जी की फैमली के घर. जहाँ बोलो जिंदगी की तरफ से स्पेशल गेस्ट सामाजिक कार्यकर्ता देवयानी दुबे भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनके सौजन्य से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों पूनम आनंद जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

स्पेशल गेस्ट के साथ बोलो ज़िन्दगी की टीम 
फैमली परिचय- कवियत्री पूनम आनंद जी इस घर में इकलौती बहू बनकर आईं. वे पति, सास, ससुर बेटे, बहू और पोता-पोती के रूप में एक भरे-पूरे परिवार के साथ रहती हैं. पूनम जी आरा की रहनेवाली हुईं और इनका ससुराल भी आरा में ही है. ससुर श्री जी.एन. तिवारी पुलिस विभाग में थें जो 16 साल पहले रिटायर्ड हो चुके हैं. पूनम जी के पिता जी भी पुलिस विभाग में थें.



पूनम आनंद जी की फैमली 
पूनम जी के पति श्री उमेश आनंद गिरिडीह, पारसनाथ कॉलेज में मैथेमैटिक्स डिपार्टमेंट के एच.ओ.डी. हैं. परिवार में दो बेटे और दो बहुवें हैं. इनकी ननदों की शादी हो चुकी है जो इनकी बेटी सामान हैं और एक ननद का ये कन्यादान भी कर चुकी हैं. बड़े बेटे अंकित आनंद पहले आईबीएम में थें लेकिन अब जॉब छोड़कर खुद की कम्पनी चला रहे हैं. वहीँ छोटे बेटे अनिकेत आनंद एयरटेल भारती में थें जो अब जॉब छोड़कर अपनी खुद की कम्पनी चला रहे हैं.
अपनी दोनों बहुओं के साथ पूनम जी 
बड़ी बहू ऋचा रंजन कोटक महिंद्रा में डिप्टी मैनेजर थीं जो अब घर-गृहस्थी के साथ अपने पति की कम्पनी में सहयोग कर रही हैं. छोटी बहू शक्तिप्रिया पहले रेडियंट स्कूल में इंग्लिश टीचर थीं लेकिन अब अप्रैल से जे.डी.गोयनका स्कूल ज्वाइन कर रही हैं. छोटी बहू को एंकरिंग का भी शौक है, वे दूरदर्शन बिहार के किलोल कार्यक्रम में एंकरिंग कर चुकी हैं और आकाशवाणी में इंग्लिश टॉकर रह चुकी हैं. पूनम जी को एक पोता और एक पोती है जिनकी मासूमियत उन्हें आकर्षित करती है.   


शिक्षा में व्यवधान हुआ ? - जब पूनम जी की शादी हुई उनकी पढ़ाई इंटर तक हुई थी. पिताजी की अस्वस्थता की वजह से जल्दी शादी की बात चली और पहला रिश्ता यहीं आया और तय भी हो गया. उस ज़माने में कोई उन्हें देखा भी नहीं, सिर्फ लोगों से सुनकर शादी तय हो गयी. तब घर में दादा सास-ससुर भी थें और घर में भरा-पूरा बड़ा सा परिवार था. संयुक्त परिवार मिलने से सबके साथ दोस्ताना मौहाल मिला, फिर पढ़ाई पीछे और मस्ती ज्यादा होने लगी. हालांकि परिवारवाले कहते कि सब करो लेकिन पढ़ो. मगर फिर दो बच्चे और घर-गृहस्थी को देखते हुए पढ़ाई से ध्यान हट चुका था. फिर जब बच्चे बड़े हुए तो 16 साल गैप के बाद पूनम जी की पढ़ाई पूरी हुई पटना यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री ऑनर्स, ग्रेजुएशन के रूप में. उसके बाद नालंदा यूनिवर्सिटी से एम.ए. किया हिंदी में और फिर भोजपुरी से भी एम.ए. किया. उसके बाद इग्नू से न्यूट्रीशियन का कोर्स किया. अब भी मन है पढ़ने का और फ़िलहाल पी.एच.डी. करने के चक्कर में हैं. पूनम जी को इनसबके अलावा बागवानी का भी खूब शौक है.

बोलो जिंदगी के निदेशक राकेश सिंह 'सोनू' को
अपनी पुस्तक 'अर्णव' भेंट करतीं पूनम आनंद 
साहित्य के क्षेत्र में योगदान -  पूनम आनंद हिंदी और भोजपुरी दोनों लैंग्वेज में लेखन कर रही हैं. पहली पुस्तक कहानी संग्रह की थी 'दर्पण' जो लगभग 10 साल पहले आयी थी. दूसरी पुस्तक काव्यसंग्रह के रूप में 'अर्णव' आयी है जिसका हाल ही में लोकार्पण बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर राजयपाल महामहिम लाल जी टंडन ने किया था. अपने काव्यसंग्रह 'अर्णव' के शीर्षक पर प्रकाश डालते हुए पूनम जी ने बोलो जिंदगी टीम को जानकारी देते हुए बताया कि इसका अर्थ है समुन्द्र. इसके आलावा पूनम जी ने 10-20 लेखकों के साथ मिलकर कविता-कहानियों के कई साझा संग्रह की पुस्तकें भी निकाली हैं. फ़िलहाल भोजपुरी में कहानी संग्रह 'अरनिया' (जिसका अर्थ सूर्य का प्रकाश होता है) प्रकाशित होनेवाली है. पूनम जी आकाशवाणी से पिछले 10 सालों से जुड़ी हुई हैं. बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन में कार्यकारिणी सदस्य भी हैं. साहित्य और सामाजिक योगदान के लिए अबतक कई सम्मान मिल चुके हैं जिनमे साहित्य सारथी सम्मान, नारीसागर सम्मान व अंतराष्ट्रीय युवा सम्मान प्रमुख हैं. पटना, बिहार के आलावा कोलकाता, दिल्ली, गहमर(यू.पी.) आदि जगहों पर 100 से अधिक गोष्ठियों में ये अपनी कविताएं सुना चुकी हैं.

सामाजिक सरोकार - दैनिक जागरण, संगिनी क्लब में अभिभावक के पद पर जो चार लोग हैं उनमे से एक पूनम आनंद भी हैं. गरीब विद्यार्थियों के लिए ये एक काम करती हैं. जो पुस्तकें दुबारा चलती नहीं हैं उन पुस्तकों को अपने पास जमा करा लेती हैं, या ऐसा पेज जो खाली रह गया जिसे रईस घरों के बच्चे फिर दुबारा यूज नहीं करतें उनको इकट्ठा कर किसी संस्था को या बच्चों की जहाँ टीम है ले जाकर दे देती हैं. अगर समय है तो सबका पेज इकट्ठा करके खुद भी बनवा देते हैं. ये कलेक्शन हर उम्र के बच्चों का होता है. इसके अलावा पूनम जी पुराने कपड़े जो इस्तेमाल लायक हों नेकी की दीवार में संगनी की तरफ से तो रखवाती ही हैं और ऐसे भी दस-बिस महिलाओं को जोड़कर जरूरतमंदों के बीच कपड़े वितरित करती हैं. घर में अगर ड्राइवर या मेड का कोई ऐस बच्चा हो जो लगातार सम्पर्क में आ रहा हो तो उसे कम-से-कम अक्षर ज्ञान तो दे ही देती हैं कि अपने से फोन का इस्तेमाल कर सके, नंबर कहीं लगा सके, गिनती कर सके, पैसे का जोड़-घटाव कर ले कि अगर चार दिन कहीं नागा किये तो मालकिन कितना काटी कितना नहीं, ये बेसिक ज्ञान उसे होना ही चाहिए.

बोलो जिंदगी के पूछने पर कि घर-परिवार का कितना सपोर्ट मिला, तो पूनम जी कहती हैं-  "मुझे हर मोड़ पर प्रोत्साहन मेरे परिवारवालों का ही ज्यादा मिला. हम कभी ढ़ीले भी पड़ जाएँ तो घरवाले ढ़ीले नहीं होने देते हैं. ससुर जी आज भी गर्व से कहते हैं कि, पूनम देवी इतना समर्पित किसी के लिए है कि इसका कोई काम नहीं रुकेगा... सासु माँ लोगों से कहती हैं कि, देखा हमर पतोहू भात पकावत-पकावत किताबो छापे लागल....और इतना सपोर्ट देखकर फख्र होता है कि मुझे ऐसा परिवार मिला."


बोलो ज़िन्दगी की विशेष फरमाइश पर पूनम जी ने अपने पहले काव्य संग्रह 'अर्णव' से एक बहुत ही सुंदर कविता 'बेटियां' का पाठ किया.




सन्देश : बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक की स्पेशल गेस्ट देवयानी दुबे ने कहा कि "पूनम जी अपनी कविताओं के माध्यम से महिलाओं को प्रोत्साहित करती हैं कि तुम जागो,आगे बढ़ो,कभी मत डरो,पीछे मुड़कर मत देखो. तुम में कुछ कमी नहीं है, सबकुछ है क्यूंकि तुम एक माँ हो, बेटी हो,बहू हो और सबसे पहले तुम एक महिला हो. तुम जो सोचती हो उसे पूरा करो."

पूनम जी के घर पर जब बोलो ज़िन्दगी की टीम स्वादिष्ट व्यनजनों का लुत्फ़ उठा रही थी तब पूनम जी ने  बताया कि "गुलाब जामुन और अन्य व्यंजन सब हमारी बहुओं ने घर पर ही बनाया है. और अब तो दोनों ने मेरी किचेन से लगभग छुट्टी ही कर दी है."
फिर विदा लेते वक़्त पूनम जी ने हमें अपना काव्य संग्रह भी स-स्नेह भेंट किया.

Tuesday, 19 March 2019

बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के सदस्य पत्रकारों ने मनायी होली

पटना, 19 मार्च, बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन कार्यालय में मंगलवार की शाम होली मनायी गयी. होली मिलन समारोह में पत्रकारों ने एक-दूसरे को अबीर लगाकर बधाईयां दी. समारोह में पत्रकारों के साथ स्थानीय लोग भी मौजूद थे. यूनियन के महासचिव प्रेम कुमार ने लोगों से शांतिपूर्ण व सदभावनापूर्वक होली मनाने की अपील की. इस मौके पर अनिल कुमार, क्रांति कुमार, राजकिशोर सिंह, रविश कुमार मणि, दिनेश कुमार, प्रशांत कुमार, नियाज आलम, हितेश कुमार, कोमल सिंह, मुनचुन कुमार, विनय कुमार, ओम प्रकाश सिंह, रामजी कुमार, शशि उत्तम, संजीव कुमार, शेखर घोष, सुधीर कुमार आदि मौजूद थे. इस आयोजन में शामिल पत्रकार बंधुओं ने होली की मस्ती के साथ स्वादिष्ट मालपुए का आनंद भी उठाया.

'पुरोधालय' में बुजुर्गों ने खेली होली

पटना,19 मार्च, लगभग दो वर्षों से निशुल्क बुजर्गों की सेवा में नागेश्वर कॉलोनी पटना में स्थित 'पुरोधालय' में मंगलवार की शाम बुजुर्गों ने होली मिलन समारोह हर्षोलास के साथ मनाया. संस्था के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री रामदेव यादव ने उपस्थित होकर आयोजन को पूर्णतः खुशनुमा और रंगीन बनाया. समारोह में संस्था के सदस्यों के साथ और भी कई बुजुर्गों ने उपस्थिति दर्ज की. सांस्कृतिक कार्यक्रम में गीत, संगीत, हास्य-व्यंग की कवितायेँ, पारम्परिक धुन पर होली गीत के साथ फ़िल्मी होली गीतों की झड़ी एक के बाद एक होती रही. मीठे नमकीन पकवान के साथ गुलाल-अबीर का भी दौर चलता रहा.


उपस्थित लोगों में पुरोधालय के सचिव प्रणय कुमार सिन्हा, अवधेश जी, कृष्णा जी, विजय कुमार, शंकर साह, गुड्डी, सोनी, सुषमा, रमा देवी, माया देवी आदि मौजूद रहें. कार्यक्रम के अंत में ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर परिर्कर के निधन की चर्चा कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक प्रियदर्शी ने की और उनके प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए 2 मिनट का मौन रखा. होली मिलन समारोह में बुजुर्गों को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उम्र पचपन का है लेकिन दिल बचपन का है.

Sunday, 17 March 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : मोनिका प्रसाद जी की फैमली, पाटलिपुत्र कॉलोनी, पटना


17 मार्च, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार तबस्सुम अली) पहुंची पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी में गौरैया क्रियेशन्स की ऑनर मोनिका प्रसाद जी की फैमली के घर. जहाँ हमारी स्पेशल गेस्ट ए.एन. कॉलेज पटना की वाइस प्रिंसिपल एवं ज्योग्राफी डिपार्टमेंट की एच.ओ.डी. प्रो.पूर्णिमा शेखर सिंह भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनके सौजन्य से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों मोनिका प्रसाद जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

स्पेशल गेस्ट के साथ बोलो ज़िन्दगी की टीम 
फैमली परिचय- मोनिका प्रसाद जी का मायका यू.पी. में है. इनके पति यशेंद्र प्रसाद फिल्ममेकर एवं राइटर हैं. वे जी पुरवैया, पटना में क्रिएटिव हेड व जी टेलीफिल्म्स, मुंबई में डायरेक्टर-प्रोड्यूसर रह चुके हैं. मुंबई में ज्योग्राफी एन्ड एनवायर्नमेंटल स्टडीज के लेक्चरर रह चुके हैं. इन्होने व्यक्ति, परिवार एवं समाज को सनातन धर्म से सुसंस्कृत एवं सुसंगठित करने हेतु 'आर्यकृष्टि वैदिक साधना विहार चैरिटेबल ट्रस्ट' की स्थापना भी की है.



 मोनिका जी के बेटे वेदेंद्र प्रसाद रेडिएंट स्कूल में 10 वीं के स्टूडेंट हैं और अभी बोर्ड एक्जाम दे रहे हैं. मोनिका जी के ससुर जी श्री आर.एस. प्रसाद स्टेटिस्टिक्स डिपार्टमेंट में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर थें. मोनिका जी की सास नहीं हैं, इनकी शादी के पहले ही उनका देहांत हो चुका था. फैमली परिचय देने के साथ ही मोनिका जी ने बताया कि "मेरी सासु माँ ने जो संस्कार इस घर में शुरू कर रखे थें उसको मैंने यहाँ आकर जारी रखें. यहाँ है कि सुबह उठकर पहले नहाकर, पूजाकर के ही कुछ काम करना है जबकि मेरे मायके का सिस्टम कुछ और था लेकिन मैंने एडजस्ट किया और वही आदत बाद में मुझे बहुत अच्छी लगने लगी. मैं प्योर वेजिटेरियन हूँ और मेरे मायके में प्याज-लहसुन तक नहीं यूज होता है तो भगवान की कृपा से मुझे ऐसा ससुराल मिला जहाँ के लोग प्याज-लहसुन तक नहीं खाते हैं."


बोलो ज़िन्दगी के साथ अपने संस्मरण साझा करतीं मोनिका प्रसाद 

गौरैया क्रियेशन्स की शुरुआत कैसे हुई ? -
पिछले साल अगस्त महीने में मैंने पॉलीथिन नहीं आने देने के लिए अपने लिए घर में कुछ बैग्स बनायें. उसको लेकर जब हम बाजार गएँ और सब्जियां लेने लगें तो देखा कि घर में पॉलीथिन बहुत कम आ रही हैं. फिर लोगों ने पूछा कि यह बहुत अच्छी चीज है, क्या मार्केट में मिल रहा है..?  तो मेरे दिमाग में आइडिया आया कि पॉलीथिन को रिप्लेस करने के लिए इस प्रोडक्ट को मार्किट में लाना चाहिए और यहाँ पॉलीथिन बैन होने के बहुत पहले से ही मैंने इसकी शुरुआत कर दी थी.
ये बैग्स कॉटन और जूट के बने होते हैं जो इको फ्रेंडली हैं. शुरू में अपने आइडिया को लेकर मैं एक लेडिस के ग्रुप में गयी और उन्हें बताया तो उन्होंने कहा कि प्रोडक्ट लेकर आओ हम देखते हैं. अगले दिन हम लेकर गएँ तो जितनी लेडिस थीं सबने मुझसे खरीदा. वहां से जो रिस्पॉन्स मुझे मिला तो आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. जूट कैनवास के बने बैग 100 रूपए में सेल करती हूँ. 150 रूपए के सेट में 5 छोटे बैग्स होते हैं. एक मीडियम साइज वाला बैग 200 रूपए में और सबसे बड़ा साइज वाला बैग सात पैकेट वाला जो मल्टीपर्पस होता है उसका रेट है 350 रूपए. जूट कैनवास के बैग की खासियत है कि वो जल्दी फटेंगे ही नहीं. इसमें यूज होनेवाले मैटेरियल्स कुछ हम कोलकाता से मंगवाते हैं तो बाकि पटना में ही मिल जाते हैं.





गौरैया क्रियेशन्स ही नाम क्यों? -  मोनिका जी ने बोलो जिंदगी टीम को बताया कि "मैं चूँकि बिना नाम के इसको स्टार्ट करनेवाली थी, लेकिन पति की सलाह पर मैंने इसे ब्रांड के रूप में पेश किया. तब गौरैया नाम रखने पर मोहर लगी क्यूंकि इसके माध्यम से देश से लुप्त हो रही गौरैया पक्षी को बचाने का सन्देश भी जा रहा था. फिर बैग्स पर छपने वाले स्लोगन बनें जो हिंदी के अलावा डिफरेंट लैंग्वेज जैसे जर्मन, फ्रेंच, चाइनीज़ आदि में लिखे होते हैं. लोगों को जागरूक करनेवाले कुछ स्लोगन यूँ हैं, "खुद को बचाएं, धरती बचाएं. कॉटन-जूट कैनवास के बैग अपनाएं." "आई प्रोटेक्ट अर्थ, से नो टू प्लास्टिक." "प्लास्टिक त्यागें, खुद बचें धरती बचाएं, हमेशा पर्यावरण संरक्षी झोले अपनाएं." मेरा  मानना है कि पॉलीथिन जो गवर्नमेंट बंद कर रही है उससे अच्छा है कि उससे पहले हमें खुद एक स्टेप आगे बढ़ना होगा और कोई ऐसी चीज यूज करनी चाहिए कि हमें प्लास्टिक उपयोग ना करना पड़े. हम कहीं बैठते हैं तो वहाँ भी लोगों को अवेयर करते हैं कि प्लास्टिक मत यूज करें, घर से अपना बैग लेकर जाएँ."

प्रो. पूर्णिमा शेखर को गौरैया क्रियेशन्स के जूट बैग दिखातीं हुईं मोनिका प्रसाद 
पहचान कब मिली ? - मोनिका जी बताती हैं, "पिछले साल के सितंबर में पटना के ज्ञान भवन में महिला उद्योग मेला लगा था उसके पहले हम अपने प्रोडक्ट को व्हाट्सअप पर सर्कुलेट कर चुके थें. फिर महिला उद्योग मेले की अध्यक्ष उषा झा ने मुझसे कॉन्टेक्ट किया और मुझे मेले में फ्री ऑफ़ कॉस्ट टेबल अरेंज करके दिया जहाँ हम पांच दिनों तक अपना प्रोडक्ट्स बनाकर सेल के लिए रखें. वहाँ बहुत अच्छे रिस्पॉन्स के बाद मेरे काम को एक पहचान मिली और मैंने होम डिलीवरी शुरू कर दी. अब मुझे कई जगहों से डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए बैग्स बनाने के ऑर्डर मिलने लगे हैं. जब मेरे प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ने लगी है तो मैं कुछ स्थानीय जरूरतमंद महिलाओं को स्वरोजकर देने लगी. जिन महिलाओं के घर में सिलाई मशीन है उन्हें फोनकर के घर बुलाती हूँ. वे आती हैं तो मैं कटिंग करके मैटेरियल और धागा दे देती हूँ, फिर वे घर ले जाकर सिलकर मुझे दे देती हैं.

कहाँ-कहाँ सप्लाई हो रहा है ? - मोनिका जी कहती हैं, "अभीतक मेरा इको फ्रेंडली बैग पटना से बाहर मुंबई, गुड़गांव और इंडिया से बाहर अमेरिका, जर्मनी, इस्राइल तक जा चुका है. वहाँ तक पहुँचने की वजह सोशल मीडिया है. फेसबुक के जरिये लोगों ने देखा और व्हाट्सअप पर सर्कुलेट हुआ. विदेश वाले कस्टमर्स ने मेरे प्रोडक्ट को फेसबुक पर देखा और फिर इंडिया गए अपने फ्रेंड से मंगवा लिया. इंडिया में तो कुरियर के माध्यम से मैं भेजती हूँ लेकिन अब ऑनलाइन मार्केटिंग की शुरुआत करने की योजना है.

इसके साथ-साथ मैं सेमिनार व यूनिवर्सिटी के लिए जूट के कॉन्फ्रेंस बैग भी बनवा रही हूँ . सबसे बड़ा ऑर्डर मुझे श्री सीमेंट्स वालों की तरफ से 1000 बैग्स का मिला था जो उन्होंने डिस्ट्रीब्यूशन के लिए बनवाया था. और ये हमने अन्य महिलाओं के सहयोग से तीन-चार दिन में बनवाये थें. स्थानीय महिलाएं भी बैग्स सिलकर खुश हैं और बराबर उनका फोन आता है कि भाभी जी और ऑर्डर कब आ रहे हैं."






सन्देश : बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक की स्पेशल गेस्ट प्रो. पूर्णिमा शेखर सिंह ने मोनिका जी के प्रयास की सराहना करते हुए अपने सन्देश में कहा कि, "प्लास्टिक की बुराइयां देखते हुए कि यह किस तरह से पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहा है, अब यह समय की मांग हो गयी है कि प्लास्टिक को 'नो' कहा जाये. क्यूंकि यदि हमारा पर्यावरण सुरक्षित है तो हम भी सुरक्षित हैं. तो इस कड़ी में मोनिका जी ने जो इको फ्रेंडली बैंग्स का निर्माण शुरू किया है वो काबिले तारीफ है. यह कम आय वाली महिलाओं को स्वरोजगार भी मुहैया कराते हुए महिला उधमिता की सार्थक मिसाल भी पेश कर रही हैं."

मोनिका जी की फैमली से विदा लेते वक़्त यशेंद्र प्रसाद जी ने बोलो जिंदगी को इस बात का शुक्रिया कहा कि चूँकि वे खुद  ए.एन. कॉलेज, ज्योग्राफी ऑनर्स के स्टूडेंट रह चुके हैं तो आज गुरु के रूप में कॉलेज की ज्योग्राफी डिपार्टमेंट की एच.ओ.डी. प्रो. पूर्णिमा शेखर मैम का स्पेशल गेस्ट बनकर उनके घर पर आना बहुत ही सरप्राइजिंग कर गया.

बिहार के विपुल को शिक्षा महाकुम्भ मे मिला उत्कृष्ट उपलब्धि सम्मान

पटना, 17 मार्च, प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश मे मौर्य बंधुत्व क्लब के द्वारा आयोजित दो दिवसीय शिक्षा महाकुम्भ मे बिहार राज्य से सारण ज़िले के विपुल शरण को उनके द्वारा किये जा रहे शिक्षा के क्षेत्र मे उत्कृष्ट कार्यों के लिए देश के जाने-माने वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर सी. एम. नौटियाल के हाथों उत्कृष्ट उपलब्धि सम्मान से नवाज़ा गया.
ज्ञात हो कि विपुल को ये सम्मान उनके और उनकी टीम द्वारा संचालित स्किल माइंड्स फाउंडेशन के विभिन्न प्रोजेक्ट्स और शैक्षणिक जागरूकता अभियानों के लिए दिया गया है.  विपुल, लोगो के बीच अपने नये-नये सोशल एक्सपेरिमेंट और शिक्षा के क्षेत्र मे नवाचार को लेकर हमेशा से ही चर्चा मे रहते हैं .
हाल ही मे विपुल की प्रसिद्धि उनके नये पहल 'शिक्षा पे चर्चा' को लेकर काफी बढ़ी है . शिक्षा पे चर्चा अब बड़ा रूप लेता हुआ दिखाई देने लगा है . विपुल बताते हैं कि ये सफलता उनके टीम की बदौलत है . उनकी टीम से उन्होंने प्रियतम अभिनव,  बसंत सिंह,  मृणाल कश्यप, रवि भूषण कुमार और मार्गदर्शन मंडली से श्री दिनेश कुमार,  राजेश सिंह  और रवि प्रकाश का नाम बताते हुये इन सब को धन्यवाद ज्ञापित किया.
इस सम्मान को विपुल ने अपने माता-पिता और अपने सभी साथियों को समर्पित किया है .
बताते चले कि विपुल को इससे पहले हाल ही मे हुये दक्षिण एशियाई युवा सम्मेलन 2018 जो कि कोलंबो श्रीलंका मे हुआ था वहाँ भारत का प्रतिनिधि चुनकर भेजा गया, साथ ही उन्हें पीपल्स च्वाइस लीडर अवार्ड 2018 से भी  नवाज़ा गया.
इसके पहले भी विपुल को बिहार एक्सेलेंसी अवार्ड 2017, भारत लीडरशिप अवार्ड 2018, एहसास प्रेरक अवार्ड 2018, इंडिआज़ यूथ आइकॉन अवार्ड 2018, यंग अचीवर अवार्ड 2018 और भी कई सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है.

किन्नर और दिव्यांगों ने खेली अबीर और फूलो के साथ होली

पटना, 17 मार्च, युवा आवास सभागार में बिहार विकलांग अधिकार मंच , किन्नर अधिकार मंच ,  बिहार विधिक लोक मंच पटना के संयुक्त तत्वाधान में किन्नर और दिव्यांगों द्वारा होली महोत्सव का आयोजन किया गया. मौके पर पटना के जाने-माने चिकित्सक डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव मधु मंजरी, अधिवक्ता मो० घन्नी सर, साकेत आनंद , कुमार विवेक, संजय राणा, समाजसेवी निता सिन्हा , भरत कौशिक , राकेश कुमार पटेल , गुडू कुमार ,धनंजय कुमार, गौतम यादव, सुधीर पासवान, नवीन झा, आलोक कुमार, सौरव भारती पासवान के अलावे दीपिका, पायल, रागिनी, शिवानी, रंजीता, छाया तिवारी, रिचा राजपूत आदि की प्रमुख उपस्थिति रही. दिव्यांगों और किन्नरो के संग होली महोत्सव में अबीर और फूलो के साथ होली खेली गयी जहाँ लोगों ने पर्यावरण को बचाने के लिए भी संकल्प लिया.
अतिथियों ने कहा कि यह बिहार का पहला होली महोत्सव हो रहा है जिसमें समाज के वंचित वर्ग या दिव्यांगों एवं किन्नरों के अलावे महिलाएं, युवा, छात्र / छात्राएं, अधिवक्ता , समाज सेवी , पत्रकार , कलाकार , मीडिया कर्मी आदि ने होली की खुशियों में शामिल होकर महोत्सव को ऐतिहासिक बनाया.
होली महोत्सव में कलाकार के रूप में सुनील कुमार अभियंता , सरबजीत भाटिया, अरुण गौतम ने अपनी कलाकारी की छाप छोड़ी.
      मौके पर आयोजकों और अतिथियों को भारी संख्या में पौधा लेकर संकल्प दिलाया गया कि पर्यावरण को बचाना है, स्वस्थ समाज को बनाना है. साथ ही सभी अतिथियों को पौधा देकर सम्मानित भी किया गया. इस आयोजन को सफल बनाने में लखन कुमार, लक्ष्मण कुमार, मनोज कुमार, पप्पू कुमार आदी का भी योगदान रहा.

Saturday, 16 March 2019

सामाजिक संस्थाओं ने रेनबो होम्स के बच्चों के साथ मनाया 'रंगोत्सव'

पटना, 16 मार्च, संस्कृति फाउंडेशन, माँ पटनदेवी गौ मानस सेवा संस्थान और हेल्पिंग ह्यूमन के सहयोग से पटना के बोरिंग रोड में आज रेनबो होम्स परिवार के बच्चे- बच्चियों के साथ होली मिलन का समारोह आयोजित किया गया। आकांक्षा चित्रांश ,बाबा विवेक द्विवेदी और दुर्गेश सोनू के अनुसार इस होली मिलन समारोह में पूरे बिहार से सामाजिक कार्यो में अव्वल रहने वाले लोगों ने भाग लिया।सबसे पहले पुलवामा हमले में शहीद लोगों को श्रद्धांजलि देकर एक मिनट का मौन रखकर और देशभक्ति गीत गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अवसर पर रेनबो होम्स के बच्चों द्वारा देशभक्ति के गानों पर कार्यक्रम भी हुआ।
     
इस अवसर पर टीम अभिमन्यु के सदस्य, माया कौशल्या फाउंडेशन के सदस्य और मधु मंजरी, कौशल शर्मा, ,कुमार पीयूष राज, अमित कुमार, सुमन सौरव ,ऋषिकेश कुशवाहा, वरुण कुमार वर्मा, डॉ मनोज केसरी, संजय प्रकाश यादव, रामाशीष यादव, सुमित गुप्ता, कौशलेंद्र कुमार, गोपीचंद ,राजीव रंजन जी ने बच्चे बच्चियों का हौसलावर्धन किया। बच्चे- बच्चियों को उपहार भी दिए गए और उन्हें अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया गया। पटना कोतवाली के डीएसपी डॉक्टर राकेश कुमार जी  ने बच्चों के लिए स्केटिंग शू और कपड़ों का वितरण किया।
           इस अवसर पर सामाजिक मुद्दों पर लिखी किताब "उड़ान" के लेखक संजीव कुमार ने कहा कि "ये बहुत अच्छी पहल है और पूरे भारत मे हर पर्व त्योहार पर इस तरह के बिना परिवार के बच्चों को शामिल कर पारिवारिक प्यार देने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि ये बच्चे ही भारत के भविष्य हैं।"
     इस अवसर पर शामिल होकर बच्चों को अपना प्यार और आशीष देने के लिए सभी लोगों को संस्कृति फाउंडेशन, श्री पटनदेवी गौ मानस सेवा संस्थान और हेलपिंग ह्यूमन की तरफ से धन्यवाद दिया गया।

Sunday, 10 March 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : जनक किशोरी जी की फैमली, आनंदपुरी, पटना

10 मार्च, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के आनंदपुरी स्थित महिला उधमी जनक किशोरी जी की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट बिहार के जानेमाने फिल्म निर्देशक किरणकांत वर्मा जी भी शामिल हुए. किरणकांत जी ने कई बेहतरीन भोजपुरी फिल्मों का निर्देशन किया है, जिनमे रवि किशन स्टारर 'हमार देवदास' खासी लोकप्रिय हुई थी. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनके सौजन्यसे हमारेस्पेशल गेस्ट के हाथों जनक किशोरी जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

जनक किशोरी जी की फैमली 
फैमली परिचय- महिला उद्धमी एवं सोशल एक्टिविस्ट जनक किशोरी जी के पति अमोद कुमार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया में असिस्टेंट इंजीनियर हैं. एक बेटा और एक बेटी हैं जो फ़िलहाल करियर को लेकर आउट ऑफ़ बिहार हैं. बेटा अर्पित भारद्वाज आईआईटी बीएचयू में एमटेक फ़ाइनल ईयर कर रहे हैं. उन्हें स्कॉलरशिप के लिए लन्दन,जापान और अमेरिका के जॉर्जिया यूनिवर्सिटी से ऑफर आ रहे हैं. बेटी अंजलि भरद्वाज पुणे में आर्मी मेडिकल कॉलेज में सेकेण्ड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं. वो बास्केटबॉल प्लेयर भी हैं जिसमे कई अवार्ड जीत चुकी हैं.
बेटे और बेटी का शौक संगीत के प्रति भी है. बेटा अर्पित पटना के रविंद्र भवन से 6 साल का तबला वादन का कोर्स कर चुका है जिसमे कई मैडल भी प्राप्त किये हैं. बेटी अंजलि 6 साल क्लासिकल सिंगिंग की तालीम भी ले चुकी हैं. अंजलि जहाँ कराटे में ब्लैक बेल्ट है तो बेटे ब्राउन बेल्ट हासिल कर चुके हैं. जनक किशोरी जी के ससुर श्री रामसेवक शर्मा भी आर्मी से रिटायर्ड हैं. पूर्व में पाकिस्तान के साथ हुए दोनों युद्ध में जिसमे हमारे देश को विजय हासिल हुई थी तब सेना में ये भी शामिल थें जिसके लिए उन्हें मैडल भी मिला था और उसका गर्व उन्हें आज भी है. जनक किशोरी जी का मायका और ससुराल दोनों ही पटना के आनंदपुरी मोहल्ले में ही है. वैसे इनके ससुराल का पुस्तैनी घर गायघाट के पास है लेकिन वे 10 -15 सालों से ससुरालवालों के साथ आनंदपुरी में ही किराये के घर में रहती हैं.

बोलो जिंदगी के साथ बातचीत करतीं जनक किशोरी जी 
क्या करती हैं जनक किशोरी जी -  संस्था श्री सच्चा कला केंद्र के माध्यम से अपने आसपास की गरीब महिलाओं को बुलाकर निःशुल्क मिथिला पेंटिंग, कसीदाकारी, संगीत, अगरबत्ती, मोमबत्ती, फेब्रिक पेंटिंग, जैम-जेली, अचार, पापड़ सहित कई चीजें बनाना सिखाती हैं. फिर वो महिलाएं सीखकर खुद आत्मनिर्भर बनती हैं. जनक जी महिलाओं को सिर्फ कला के जरिये ही सशक्त नहीं करतीं बल्कि उन्हें हर तरह से सशक्त बनाने के लिए लगातार जुटी हुई हैं. हर साल अपनी सहयोगियों के साथ मिलकर आनदपुरी में सत्संग का आयोजन करती हैं. महिलाओं द्वारा आयोजित एवं महिलाओं पर केंद्रित इस सत्संग की कथा वाचिका भी साध्वी होती हैं. इसके आलावा वे महिलाओं के लिए सावन महोत्सव, होली व दीवाली महोत्सव सहित कई आयोजन करती हैं. प्रयवरण और प्रदूषण के प्रति जागरूकता अभियान चलाती हैं. मतदाता जागरूकता अभियान भी बोरिंग रोड इलाके में चला चुकी हैं. हाल ही में पॉलीथिन बैन किये जाने पर राजपुल से बोरिंग कैनाल रोड तक पॉलीथिन का इस्तेमाल कितना हानिकारक है इसको लेकर जागरूकता फैला चुकी हैं. उनका मानना है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता है.

शुरुआत कैसे हुई ? - जनक जी साइंस की स्टूडेंट रही हैं. केमेस्ट्री से ग्रेजुएशन करने के बाद डॉक्टर बनने का इरादा था लेकिन तब इनकी माँ का पैर फ्रैक्चर हो गया, वो चलफिर नहीं पा रही थीं. चार बहनों में सबसे छोटी यही थीं बाकि बहनों की शादी हो चुकी थी और तब भाई भी बाहर पढ़ाई कर रहा था. फिर उनके देखभाल को लेकर आगे की पढ़ाई नहीं कर पायीं. लेकिन बचपन से ही कला के क्षेत्र में रुझान बढ़ता गया. शुरू में जब ये घर से बाहर निकलतीं तो आस-पड़ोस के लोग हँसते थें, लेकिन अब वही इनके सामाजिक कार्यों को देख खुश होते हैं. शुरुआत में ससुर जी को थोड़ा एतराज था इनको ये सब काम करने से, रिश्तेदार भी बोलते कि क्या कर रही हो ऑफिसर की बेटी हो क्या सड़क पर घूमती हो, अचार-पापड़ बेचती हो...? लेकिन जनक ने किसी की नहीं सुनीं बस अपने दिल की करती गयीं. लेकिन जब इनके प्रयासों की वजह से अख़बारों में इनके ऊपर खबर छपने लगी तब किसी को फिर कोई शिकायत नहीं रही. पति भी इनकी रूचि देखकर इनका सहयोग करने लगें.

 श्री सच्चा कला केंद्र की शुरुआत -  जब बचे स्कूल चले जाते तो खाली समय जनक को बैठना पसंद नहीं आता था तभी मन में आया कि खुद के बदौलत समाज के लिए कुछ किया जाये. पहले खुद जनक जी खादी ग्रामउद्धोग से हैंडमेड चीजें बनाना सीखीं फिर दूसरों को सिखाने की सोची. पहले ऑफिस नहीं था तो मेहँदी उत्सव हॉल से अपना काम बहुत सालों तक चलायीं. सॉस, जैम, जेली, अचार, मुरब्बा की ट्रेनिंग देने से संस्था की शुरुआत हुई. अब अपनी संस्था की तरफ से ये पटना के बाहर वैशाली इत्यादि दूसरे जिलों में जाकर भी महिलाओं को सिखाती हैं.

जनक किशोरी जी के घर पर बोलो जिंदगी की टीम 
मनाची फ़ूड प्रोडक्ट - बेटे का घर का नाम मन्ना है, बेटी का चीची तो इनके नाम को जोड़कर ही जनक ने अपनी कम्पनी रजिस्टर्ड करवाई मनाची फ़ूड प्रोडक्ट के नाम से. इनका सपना है कि इनका ब्रांड इंटरनेशनल मार्केट में भी लॉन्च हो. 8-10 सालों से बिहार महिला उद्योग मेला में इनके फ़ूड प्रोडक्ट के स्टॉल लगते रहे हैं. पिछले साल ज्ञान भवन में आयोजित उद्योग मेले में इनको ज्यादा सेल करने के लिए स्पेशल अवार्ड भी मिला. जैसे-जैसे कस्टमर डिमांड करते गएँ जनक जी वैसे ही अपने प्रोडक्ट को तैयार करती गयीं. मेले में सबसे ज्यादा आंवला मुरब्बा, अचार, बड़ी-पापड़, तीसी के लड्डू का सेल होता है. जनक बताती हैं कि कहीं भी जाते हैं और कुछ खाते हैं तो ध्यान से देखते हैं कि इसमें क्या क्या है, फिर खुद से एक्सपेरिमेंट करते हैं. इनके प्रोडक्ट का सेल पटना के अलावा, गोपालगंज, रांची,दिल्ली इत्यादि जगहों पर हो रहा है. इनके साथ वैसी महिलाएं जुडी हैं जो अपने बच्चों को अच्छे कोचिंग में पढ़ना चाहती हैं, लेकिन फ़ीस बहुत जयादा है, फैमली उतना एफोर्ट नहीं कर पा रही तो वे खुद सीखकर अपना बिजनेस शुरू करती हैं ताकि बच्चों को अच्छा एडुकेशन दे सकें.

सत्संग की शुरुआत - 2008 तक सत्संग इनके पिताजी लोग करवाते थें फिर इन्होने खुद महिलाओं के साथ मिलकर इसकी जिम्मेदारी संभाल ली. इसबार मार्च के अंतिम सप्ताह में आनंदपुरी के राधाकृष्ण उत्सव हॉल में हनुमान कथा पाठ करा रही हैं और इसबार सत्संग आयोजन का 25 वां साल हो जायेगा. जनक जी शादी के पहले से ही 1994  में गुरु से दीक्षा लेकर सत्संग आयोजन में जुड़ गयी थीं.



इंटरव्यू के दौरान ही जनक किशोरी जी ने अपने हाथ से बनाये कुछ व्यंजनों तीसी के लड्डू, आंवले का मुरब्बा को पेश किया जो बहुत ही टेस्टी थें.
बातचीत के दरम्यान जब बोलो जिंदगी टीम को पता चला की जनक किशोरी जी को भी म्यूजिक का बहुत शौक है, वे गिटार और हारमोनियम में भी पारंगत हैं तो फरमाइश करने पर उसी वक़्त गिटार पर एक भक्ति गीत की मधुर धुन बजाकर सुनाई.


सन्देश : जनक किशोरी जी की फैमली से विदा लेने के पहले हमारे स्पेशल गेस्ट फिल्म निर्देशक किरणकांत वर्मा जी ने अपने सन्देश में कहा कि "पिछले 45 सालों से मैं जिस आनंदपुरी मोहल्ले में रह रहा हूँ मुझे नहीं पता था कि यहाँ हमारे बीच कितने टैलेंट छुपे हैं. जैसा कि जनक किशोरी जी खुद अपने बलबूते उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़ी हैं, कितनी घरेलु महिलाओं को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं और साथ- साथ समाजसेवा के कामों में भी अग्रसर हैं जो बहुत ही सराहनीय है. मैं इनसे कहना चाहूंगा कि इन सारे कार्यों को करते हुए संगीत के प्रति जो रूचि है उसे भी मत छोड़िये और इस क्षेत्र को भी आगे बढ़ाते रहिये."




Saturday, 9 March 2019

महिला ऑटो रिक्शा स्वाभिमान रैली : (8 मार्च, अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष)

पटना, 8 मार्च की सुबह बोलो ज़िन्दगी फाउंडेशन एवं स्कॉलर्स अबोड स्कूल के संयुक्त तत्वाधान में 'महिला ऑटो रिक्शा स्वाभिमान रैली' का आयोजन किया गया, जिसमे पटना जिला महिला/पुरुष ऑटो चालक संघ का पूरा सहयोग रहा.
इको पार्क गेट न. एक से 8 महिला ऑटो रिक्शा चालक और उसमें जागरूकता वाले स्लोगन की तख्ती लेकर बैठनेवाली यूथ फ़ॉर स्वराज की लड़कियों को मुख्य अतिथि पद्मश्री सुधा वर्गीज ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यूथ फॉर स्वराज टीम की लड़कियां जागरूकता वाले बैनर की कई तख्तियां लिए खड़ीं नज़र आयीं, तख्तियों पर निम्नलिखित स्लोगन लिखे थें जिनमे प्रमुख है- "आतंक के खिलाफ आवाज उठाएंगी,जरुरत पड़ने पर हम बेटियां भी बॉर्डर पर जाएँगी...", "जो देश के दुश्मनों के दाँत खट्टे कर रहे हैं, वो वीर जवान नारी की कोख से ही जन्म ले रहे हैं...", " ऑटो रिक्शा ही नहीं नारी ट्रेन और प्लेन भी चला रही है, सिर्फ परिवार ही नहीं नारी राज्य और देश चला रही है...." इत्यादि.

 
विशिष्ट अतिथि प्रो. पूर्णिमा शेखर एवं डॉ. बी. प्रियम ने भी मौके पर उपस्थित होकर महिला ऑटो चालकों का उत्साहवर्धन किया. यह ऑटो रिक्शा रैली इको पार्क गेट नं. 1 से  चलकर हड़ताली चौक से इनकमटैक्स गोलंबर फिर बापू सभागार से गुजरते हुए गांधी मैदान कारगिल चौक पर चलकर समाप्त हुई. इसमे पटना जिला महिला/पुरुष ऑटोरिक्शा चालक संघ का पूरा सपोर्ट मिला.

   





तत्पश्चात रैली के समापन पर सभी महिला ड्राइवरों और यूथ फॉर स्वराज की लड़कियों को बोलो जिंदगी फाउंडेशन के निदेशक राकेश सिंह 'सोनू' एवं 'मेक ए न्यू लाइफ फाउंडेशन' एन.जी.ओ. की निदेशक तबस्सुम अली ने सम्मानित किया. वहीँ स्कॉलर्स एबोड स्कूल की प्राचार्या डॉ. बी. प्रियम द्वारा मौके पर सभी 8 महिला ऑटो चालकों को प्रोत्साहन राशि भी दिया गया जिससे उनका और उत्साहवर्धन हो सके. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बोलो ज़िंदगी के निदेशक राकेश सिंह सोनू, कार्यक्रम प्रभारी प्रीतम कुमार, बोलो ज़िंदगी के सचिन, विशाल, अनिल कुमार एवं विशेष तौर पर तबस्सुम अली और संजीव कुमार का योगदान रहा.
इस कार्यक्रम के आयोजक बोलो जिंदगी फाउंडेशन के निदेशक राकेश सिंह 'सोनू' ने बताया कि "अगर सशक्त नारी की बात होती है तो पटना में ये ऑटो रिक्शा चलानेवाली तमाम महिलाएं महिला सशक्तिकरण की अद्भुत मिसाल हैं. इनके साहस और जिजीविषा को देखकर समाज की अन्य वंचित-पीड़ित महिलाएं भी इनसे प्रेरित होकर आगे बढ़ेंगी. बहुत लोग इनको ऑटो रिक्शा चलाते देखकर हँसते भी होंगे लेकिन आज ये महिलाएं हंसी की नहीं बल्कि सम्मान की पात्र हैं. और इसी को साबित करने के उद्देश्य से आज महिला दिवस के अवसर पर 'महिला ऑटो रिक्शा स्वाभिमान रैली' निकली है." 
मुख्य अतिथि पदमश्री सुधा वर्गीज ने कहा कि "महिलाएं ऑटो रिक्शा नहीं चला सकतीं ये जो मिथ है उसे तोड़कर आज ये महिलाएं सामने आई हैं. महिला ऑटो चालकों के स्वभिमान को बढ़ाने का यह प्रोग्राम है जिसके लिए इसके आयोजक की सोच की सराहना की जानी चाहिए."
     
डॉ. बी. प्रियम ने कहा कि "मैं भी एक महिला हूँ मैंने भी संघर्ष किया है तो मैं समझ सकती हूँ इन ऑटो चालक महिलाओं का संघर्ष. पहले महिलाएं कार व बाइक तो चला रही थीं लेकिन ऑटो चलाना बहुत हिम्मत का काम है इसलिए हमलोगों ने सोचा इनको आज के दिन सम्मानित किया जाए."

प्रो. पूर्णिमा शेखर ने कहा कि "नॉन ट्रेडिशन क्षेत्र में आनेवाली ये महिलाएं खुद तो आत्मविश्वास से लवरेज हो ही रही हैं, आर्थिक रूप से भी उनको स्वतंत्रता मिल रही है। लेकिन इनसे अन्य महिलाओं को भी काफी प्रोत्साहन मिल रहा है

Tuesday, 5 March 2019

यंग इंडिया चेंज मेकर्स डे 2019

पटना, 4 मार्च 2019, सोमवार को स्किल माइण्ड्स फ़ाउंडेशन की तरफ से फ़ाउंडेशन डे, यंग इंडिया चेंज मेकर्स डे के तौर पर सत्यम इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी , गौरी चक पटना मे मनाया गया । इस कार्यक्रम मे देश के विभिन्न राज्यों मे अपने अपने क्षेत्र मे उत्कृष्ट कार्य करने के लिए 100 परिवर्तनकर्ताओं तथा पहलकर्ताओं को स्किल माइण्ड्स फ़ाउंडेशन और श्री कृष्ण एकलव्य परिवार की तरफ से सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बॉलीवुड कलाकार सत्यकाम आनंद रहे । विशिष्ट अतिथि के रूप मे कुमार दीपक (Environment Officer, UNDP) मुकेश हिसारिया (Social Activist) शामिल हुये । चंपारण से माननीय अतिथि मुन्ना कुमार,  डॉ स्वयंभू सलभ, छपरा से डॉ प्रियंका शाही, , वेदिक शक्तिस सीईओ जूही चौहान, मिस दिवा 2018 सुनन्दा सिंह, यू ट्यूबर एनएस की दुनिया चैनल से निशांत सोनी और जूरी मेम्बर के रूप मे दिनेश कुमार (शिक्षाविद), राजेश कुमार (भूतपूर्व सैनिक, भारतीय सेना) तथा रवि प्रकाश (संस्थापक, लाइफ प्लस प्लस) ने भी इस कार्यक्रम मे शिरकत की । कई और गणमान्य शिक्षाविद, सामाजिक उद्यमी, पार्यवारणविद, कॉलेज प्रबंधन के प्रबंध निदेशक, प्राचार्य तथा वरिष्ठ शिक्षक भी शामिल हुये ।
स्किल माइण्ड्स फ़ाउंडेशन के संस्थापक विपुल शरण ने बताया स्किल माइण्ड्स एक गैर लाभकारी संस्था है जो शिक्षा, कौशल, रोजगार तथा उद्यमिता के क्षेत्र मे जागरूकता फैला कर लोगो को इनसे संबन्धित अवसरों के बारे मे बताती है तथा श्री कृष्ण एकलव्य परिवार के संस्थापक श्री प्रियतम अभिनव ने बताया की हम शिक्षा के सही महत्व का संचार करते हुये गुरुकुल पद्धति अपना कर विद्यार्थियों को एक ज़िम्मेवार डॉक्टर बनाने की ओर प्रयासरत है । इस कार्यक्रम को करने का मुख्य उद्देश्य देश मे हो रहे परिवर्तन की कतार मे उन सभी लोगो को प्रोत्साहित करने का है जिन्हे आज हर वर्ग का साथ मिल रहा है और उनके अंदर कुछ अलग कर के बदलाव बनने का जुनून सवार है । कार्यक्रम के दौड़ान ट्री मैन के नाम से प्रसिद्ध श्री गजाधर गोंड, तथा बिहार महिला उद्योग संघ की प्रेसिडेंट श्रीमती उषा झा को लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से नवाजा गया ।   
सम्मानित होने वाले लोगो मे शिक्षा, कौशल, रोजगार, उद्यमिता, कृषि, पार्यवारण, तथा मनोरंजन के क्षेत्र के उभरते चेहरे दिखे ।
विश्व प्रसिद्ध नृत्य प्रदर्शन देने वाली वर्ल्ड रेकॉर्ड होल्डर डांसर अंकिता बाजपायी के पुलवामा शहीदों को समर्पित परफॉर्मेंस ने सब का दिल जीत लिया । कॉलेज के छात्रों ने अपनी कलाओं से सब का मन मोह लिया । कार्यक्रम मे सत्यम शिवम सुंदरम ग्रुप के चेयरमैन श्री शंकर सिंह, हाइयर एडुकेशन सेक्शन के प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार सिंह, मिस दीवा 2018 सुनन्दा सिंह, सीए राजेंद्र चचान, सीए नबील होबाइरा, बृजेश सिंह, गौतम सवर्ण, सीए राजेंद्र चचान, आरा से दिनेश कुमार सिन्हा तथा अन्य कई हस्ती भी शामिल हुये ।

Saturday, 2 March 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : फौजी लांस नायक स्व. डी.पी. सिंह की फैमली, खरंजा रोड, दानापुर

फौजी फैमली को आकर्षक गिफ्ट भेंट करते हुए संजय कुमार पांडेय 
2 फरवरी, शनिवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार तबस्सुम अली) पहुंची खरंजा रोड, दानापुर स्थित फौजी लांस नायक स्व. धुनेश्वर प्रसाद सिंह की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट रिटायर्ड फौजी व सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पांडेय भी शामिल हुयें.




बोलो जिंदगी टीम





इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनके सौजन्यसे हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों स्व.धुनेश्वर प्रसाद जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

लांस नायक स्व. धुनेश्वर प्रसाद सिंह की फैमली













फैमली परिचय-  लांस नायक स्व. धुनेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी फूलसुंदरी देवी का सुसराल आरा में है. इनके तीन बच्चे हैं, दो बेटा और एक बेटी. बेटी की शादी कर चुकी हैं. इनकी तबियत खराब रहने की वजह से बड़े बेटे पवन जो प्राइवेट जॉब करते हैं कि जल्दी शादी करा दी गयी थी. पवन के तीन बच्चे हैं. फूलसुंदरी देवी के छोटे बेटे श्रवण कुमार अभी गोरखपुर के इको बैंक में पोस्टेड हैं.



फूल सुंदरी देवी खुद एक फौजी परिवार से हैं इसलिए फौजियों का दुःख-दर्द बखूबी समझती हैं. देश के मौजूदा हालात पर उन्होंने 'बोलो ज़िन्दगी' से कहा कि "सेना का कोई भी फौजी भाई जब देश के लिए शहीद होता है तो बड़ा दुःख होता है जैसे लगता है मेरा ही परिवार का कोई चला गया. हमारे देश ने कभी किसी के साथ नाजायज नहीं किया है. अभी जो भी प्रतिक्रिया इधर से हुई है वो भी बहुत ज़रूरी था करना.

क्या हुआ था स्व. लांस नायक धुनेश्वर सिंह जी के साथ ? - आज से करीब 24 साल पहले लांस नायक धुनेश्वर प्रसाद सिंह जब शिमला में फ़ौज की ड्यूटी पर थें, एक रोज ड्यूटी पर जाते वक़्त दुर्घटनावश उनकी गाड़ी ड्राइवर सहित खाई में गिर गयी और उनका देहांत हो गया. तब उनके साथ उनकी पत्नी और तीनों बच्चे शिमला में ही थें. बड़ा बेटा पांच साल का था, बेटी तीन साल की तो छोटा बेटा महज डेढ़ साल का था.



क्या बताया स्व.फौजी की पत्नी ने ? -  "मैं शिमला में ही थी तो मुझे तो उसी क्षण इस हादसे की खबर मिल गयी लेकिन बाकी परिवारवालों को बाद में पता चला. तब टेलीग्राम का जमाना था तो वहां से टेलीग्राम के जरिये सन्देश मिला कि मेरे पति के साथ ऐसा हादसा हो गया है. घर में बीमार बुढ़ी सास थीं इसलिए किसी ने उस वक़्त उनको कुछ नहीं बताया. फिर बाकी के परिवारवाले यह खबर सुनकर हमारे पास तुरंत शिमला चले आएं. वे मुझे और बच्चों को लेकर हमेशा के लिए मेरे ससुराल आरा चले आएं. उस वक़्त मेरा बच्चा बहुत छोटा था नहीं तो मेरे पति की जगह पर उसकी जॉब लग गयी रहती. जब बेटा बड़ा हुआ और उसे भी सेना में जाने का मन हुआ तो उसकी कम हाइट एक वजह बन गयी. फिर काफी दौड़-भाग करने के बाद कुछ नतीजा नहीं निकला तो मैंने ही जाना छोड़ दिया. लड़के तो अब जॉब कर रहे हैं लेकिन तब पेंशन के सहारे ही जिंदगी आगे बढ़ रही थी. पति कहा करते थें कि हम जितने में हैं उसी हिसाब से बच्चों को लायक बनाएंगे."
   


सन्देश- लांस नायक स्व. धुनेश्वर प्रसाद सिंह की फैमली से विदा लेने से पहले हमारे स्पेशल गेस्ट पूर्व फौजी संजय कुमार पांडेय जी ने अपने सन्देश में यही कहा कि "अपने कार्यकाल के दौरान 7-8 साल हमने भी जम्मू-कश्मीर में बिताया है और आतंक को बहुत करीब से देखा है. हमारे देश की जनता को अपनी आर्मी पर पूरा भरोसा है. हमारे देश का उद्देश्य है आतंकवाद को जड़ से खत्म करना. और उसी के तहत जो हाल ही में एयरफोर्स का सर्जिकल स्ट्राइक हुआ है वो हम सब देशवासियों के लिए ख़ुशी की बात है. क्यूंकि हमारी सेना ने पाकिस्तान की सेना को निशाना नहीं बनाया बल्कि पाकिस्तान की जमीं पर पल रहे आतंकवादियों को अपना निशाना बनाया. हालाँकि युद्ध या लड़ाई में नुकसान हमारा भी होगा लेकिन विरोधियों को उचित जवाब देना भी ज़रूरी है ताकि हमारे देश की सेना का आत्मविश्वास ना डगमगाए."



Friday, 1 March 2019

बुजुर्गों के लिए आयोजित हुआ निशुल्क मेगा हेल्थ चेकअप कार्यक्रम

पटना, गुरुवार 28 फरवरी को नागेश्वर कालोनी में कार्यरत पुरोधालय परिसर के तत्वाधान में हेल्थ लाइन एवं साईं हेल्थ केयर एण्ड वेलनेस सेन्टर के संयुक्त प्रयास से निशुल्क मेगा हेल्थ चेकअप कार्यक्रम किया गया।







 इस हेल्थ कैंप में चकारम,बुद्धा कॉलोनी, मंदिरी, राजापुर जैसे निकट के मुहल्लो के बुजुर्ग महिला-पुरुषों ने उपस्थित होकर लाभ पाया। चर्चित डाक्टरों में डॉ राजीव कुमार सिंह , डॉ सुभाष और डॉ सिद्धार्थ ने कुल 80 मरीजों की चिकित्सा की और मरीजों के उपयोग के लिए निर्धारित दवाईयों का मुफ्त वितरण किया। पुरोधालय के अध्यक्ष अशोक प्रियदर्शी ने डॉक्टरों को पुष्पगुच्छ प्रदानकर उनका स्वागत किया और समारोह का उदघाटन किया।













संस्था के संरक्षक और हेल्थ लाइन के अध्यक्ष अवधेश कुमार, पुरोधालय के सचिव प्रणय कुमार सिन्हा, समन्वयक मो. मोदस्सीर, ओमप्रकाश, इन्द्र देव सिंह, गुड्डी, विजय कुमार, संजय कुमार सिन्हा, 90 वर्षीय रामचंद्र गुप्ता आदि भी इस शुभ मौके पर उपस्थित थे.

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"जिस तरह से मनचले बाइक पर घूमते हुए राह चलती महिलाओं के गले से चैन छीनते हैं, उनकी बॉडी टच करते हैं तो ऐसे में यदि आज ये महिला...