31 मार्च, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के कृष्णानगर इलाके में रितु चौबे जी की फैमली के घर,
जहाँ हमारी स्पेशल गेस्ट केंद्रीय मंत्री माननीय श्री रविशंकर प्रसाद जी की धर्मपत्नी एवं पटना यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री की प्रोफेसर डॉ. माया शंकर भी शामिल हुईं.
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है 'बोलो ज़िन्दगी फाउंडेशन' ने जिसके सौजन्य से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों रितु जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.
फैमली परिचय : दिव्यांग रितु के पति भी दिव्यांग हैं जो प्राइवेट जॉब करते हैं. रितु कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज में फाइनांस एक्जक्यूटिव के पद पर कार्यरत हैं. परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. बेटा आदित्य राज ने हाल ही में केंद्रीय विधालय से मैट्रिक किया है. बेटी शताक्षी प्रिया डीएवी बीएसईबी में 8 वीं की स्टूडेंट हैं. शताक्षी को डांस का बहुत शौक है. वह शोभना नारायण कत्थक एकेडमी में विगत 4 सालों से कत्थक सीख रही है जिसकी संचालिका हैं अंजुला कुमारी. शताक्षी फ़िलहाल भारतीय नृत्य कला मंदिर एवं कालिदास रंगालय के मंचों पर कत्थक नृत्य की प्रस्तुति कर चुकी हैं.
ऋतु चौबे की कहानी - जन्म के 10 महीने बाद ही रितु को पोलियो हो गया. शुरुआत में वे हाथों के बल पर चला करती थीं लेकिन फिर लगातार कई जगहों पर ट्रीटमेंट चलता रहा तब जाकर थोड़ा बहुत चलने में सक्षम हुईं. लेकिन पोलियो एक ऐसी बीमारी है जो आजतक लाइलाज है. धीरे- धीरे समय बीतता गया फिर पढ़ाई शुरू हुई. स्कूल के दौरान भी हज़ारों मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 10 वीं के एग्जामिनेशन में फर्स्ट डिवीजन से पास हुई. मगर उसी समय पिता ने तय किया कि शादी कर देनी चाहिए क्यूंकि उनके यहाँ सभी बेटियों की शादी कम उम्र में ही करने की प्रथा थी. मैट्रिक के रिजल्ट के पहले ही शादी कर दी गई.
फिर क्या हुआ रितु के साथ...? संघर्ष की कहानी बहुत लम्बी है और रितु की कहानी को आप पूरे विस्तार से www.bolozindagi.com के कॉलम 'सशक्त नारी' में पढ़ सकते हैं कि आखिर कब आया था रितु की लाइफ में टर्निग पॉइंट और कैसे बढ़ा उनका कॉन्फिडेंस....?
हमरी स्पेशल गेस्ट एवं बोलो जिंदगी टीम के रिक्वेस्ट पर रितु की बेटी शताक्षी प्रिया ने मौके पर कत्थक नृत्य भी प्रस्तुत करके दिखाया.
संदेश: बोलो जिंदगी की स्पेशल गेस्ट डॉ. माया शंकर ने कहा कि "मैं मानती हूँ कि दिव्यांगता अपनी जगह पर है लेकिन एक दिव्यांग व्यक्ति के अंदर एक नॉर्मल व्यक्ति से ज्यादा कॉन्फिडेंस होता है और इस चीज को हम सलाम करते हैं." वहीँ रितु जी की बेटी शताक्षी का नृत्य देखकर प्रोफेसर माया शंकर जी ने कहा कि "जिस घर में संस्कृति होती है, संगीत होता है वह घर हमेशा फलता-फूलता है. हमारी कला ही हमारी विरासत है, वही हमारी पहचान है. धर्म और जाति हमारी पहचान नहीं होनी चाहिए क्यूंकि ये देश को तोड़ती हैं लेकिन वहीँ कला देश को जोड़ने का काम करता है."
स्पेशल गेस्ट के साथ बोलो जिंदगी की टीम |
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है 'बोलो ज़िन्दगी फाउंडेशन' ने जिसके सौजन्य से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों रितु जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.
फैमली परिचय : दिव्यांग रितु के पति भी दिव्यांग हैं जो प्राइवेट जॉब करते हैं. रितु कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज में फाइनांस एक्जक्यूटिव के पद पर कार्यरत हैं. परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. बेटा आदित्य राज ने हाल ही में केंद्रीय विधालय से मैट्रिक किया है. बेटी शताक्षी प्रिया डीएवी बीएसईबी में 8 वीं की स्टूडेंट हैं. शताक्षी को डांस का बहुत शौक है. वह शोभना नारायण कत्थक एकेडमी में विगत 4 सालों से कत्थक सीख रही है जिसकी संचालिका हैं अंजुला कुमारी. शताक्षी फ़िलहाल भारतीय नृत्य कला मंदिर एवं कालिदास रंगालय के मंचों पर कत्थक नृत्य की प्रस्तुति कर चुकी हैं.
ऋतु चौबे की कहानी - जन्म के 10 महीने बाद ही रितु को पोलियो हो गया. शुरुआत में वे हाथों के बल पर चला करती थीं लेकिन फिर लगातार कई जगहों पर ट्रीटमेंट चलता रहा तब जाकर थोड़ा बहुत चलने में सक्षम हुईं. लेकिन पोलियो एक ऐसी बीमारी है जो आजतक लाइलाज है. धीरे- धीरे समय बीतता गया फिर पढ़ाई शुरू हुई. स्कूल के दौरान भी हज़ारों मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 10 वीं के एग्जामिनेशन में फर्स्ट डिवीजन से पास हुई. मगर उसी समय पिता ने तय किया कि शादी कर देनी चाहिए क्यूंकि उनके यहाँ सभी बेटियों की शादी कम उम्र में ही करने की प्रथा थी. मैट्रिक के रिजल्ट के पहले ही शादी कर दी गई.
फिर क्या हुआ रितु के साथ...? संघर्ष की कहानी बहुत लम्बी है और रितु की कहानी को आप पूरे विस्तार से www.bolozindagi.com के कॉलम 'सशक्त नारी' में पढ़ सकते हैं कि आखिर कब आया था रितु की लाइफ में टर्निग पॉइंट और कैसे बढ़ा उनका कॉन्फिडेंस....?