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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Sunday, 24 March 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : पूनम आनंद जी की फैमली, रामनगरी, आशियाना दीघा रोड, पटना

24 मार्च, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व अनमोल अंशु) पहुंची पटना के रामनगरी इलाके में पूनम आनंद जी की फैमली के घर. जहाँ बोलो जिंदगी की तरफ से स्पेशल गेस्ट सामाजिक कार्यकर्ता देवयानी दुबे भी शामिल हुईं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनके सौजन्य से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों पूनम आनंद जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

स्पेशल गेस्ट के साथ बोलो ज़िन्दगी की टीम 
फैमली परिचय- कवियत्री पूनम आनंद जी इस घर में इकलौती बहू बनकर आईं. वे पति, सास, ससुर बेटे, बहू और पोता-पोती के रूप में एक भरे-पूरे परिवार के साथ रहती हैं. पूनम जी आरा की रहनेवाली हुईं और इनका ससुराल भी आरा में ही है. ससुर श्री जी.एन. तिवारी पुलिस विभाग में थें जो 16 साल पहले रिटायर्ड हो चुके हैं. पूनम जी के पिता जी भी पुलिस विभाग में थें.



पूनम आनंद जी की फैमली 
पूनम जी के पति श्री उमेश आनंद गिरिडीह, पारसनाथ कॉलेज में मैथेमैटिक्स डिपार्टमेंट के एच.ओ.डी. हैं. परिवार में दो बेटे और दो बहुवें हैं. इनकी ननदों की शादी हो चुकी है जो इनकी बेटी सामान हैं और एक ननद का ये कन्यादान भी कर चुकी हैं. बड़े बेटे अंकित आनंद पहले आईबीएम में थें लेकिन अब जॉब छोड़कर खुद की कम्पनी चला रहे हैं. वहीँ छोटे बेटे अनिकेत आनंद एयरटेल भारती में थें जो अब जॉब छोड़कर अपनी खुद की कम्पनी चला रहे हैं.
अपनी दोनों बहुओं के साथ पूनम जी 
बड़ी बहू ऋचा रंजन कोटक महिंद्रा में डिप्टी मैनेजर थीं जो अब घर-गृहस्थी के साथ अपने पति की कम्पनी में सहयोग कर रही हैं. छोटी बहू शक्तिप्रिया पहले रेडियंट स्कूल में इंग्लिश टीचर थीं लेकिन अब अप्रैल से जे.डी.गोयनका स्कूल ज्वाइन कर रही हैं. छोटी बहू को एंकरिंग का भी शौक है, वे दूरदर्शन बिहार के किलोल कार्यक्रम में एंकरिंग कर चुकी हैं और आकाशवाणी में इंग्लिश टॉकर रह चुकी हैं. पूनम जी को एक पोता और एक पोती है जिनकी मासूमियत उन्हें आकर्षित करती है.   


शिक्षा में व्यवधान हुआ ? - जब पूनम जी की शादी हुई उनकी पढ़ाई इंटर तक हुई थी. पिताजी की अस्वस्थता की वजह से जल्दी शादी की बात चली और पहला रिश्ता यहीं आया और तय भी हो गया. उस ज़माने में कोई उन्हें देखा भी नहीं, सिर्फ लोगों से सुनकर शादी तय हो गयी. तब घर में दादा सास-ससुर भी थें और घर में भरा-पूरा बड़ा सा परिवार था. संयुक्त परिवार मिलने से सबके साथ दोस्ताना मौहाल मिला, फिर पढ़ाई पीछे और मस्ती ज्यादा होने लगी. हालांकि परिवारवाले कहते कि सब करो लेकिन पढ़ो. मगर फिर दो बच्चे और घर-गृहस्थी को देखते हुए पढ़ाई से ध्यान हट चुका था. फिर जब बच्चे बड़े हुए तो 16 साल गैप के बाद पूनम जी की पढ़ाई पूरी हुई पटना यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री ऑनर्स, ग्रेजुएशन के रूप में. उसके बाद नालंदा यूनिवर्सिटी से एम.ए. किया हिंदी में और फिर भोजपुरी से भी एम.ए. किया. उसके बाद इग्नू से न्यूट्रीशियन का कोर्स किया. अब भी मन है पढ़ने का और फ़िलहाल पी.एच.डी. करने के चक्कर में हैं. पूनम जी को इनसबके अलावा बागवानी का भी खूब शौक है.

बोलो जिंदगी के निदेशक राकेश सिंह 'सोनू' को
अपनी पुस्तक 'अर्णव' भेंट करतीं पूनम आनंद 
साहित्य के क्षेत्र में योगदान -  पूनम आनंद हिंदी और भोजपुरी दोनों लैंग्वेज में लेखन कर रही हैं. पहली पुस्तक कहानी संग्रह की थी 'दर्पण' जो लगभग 10 साल पहले आयी थी. दूसरी पुस्तक काव्यसंग्रह के रूप में 'अर्णव' आयी है जिसका हाल ही में लोकार्पण बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर राजयपाल महामहिम लाल जी टंडन ने किया था. अपने काव्यसंग्रह 'अर्णव' के शीर्षक पर प्रकाश डालते हुए पूनम जी ने बोलो जिंदगी टीम को जानकारी देते हुए बताया कि इसका अर्थ है समुन्द्र. इसके आलावा पूनम जी ने 10-20 लेखकों के साथ मिलकर कविता-कहानियों के कई साझा संग्रह की पुस्तकें भी निकाली हैं. फ़िलहाल भोजपुरी में कहानी संग्रह 'अरनिया' (जिसका अर्थ सूर्य का प्रकाश होता है) प्रकाशित होनेवाली है. पूनम जी आकाशवाणी से पिछले 10 सालों से जुड़ी हुई हैं. बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन में कार्यकारिणी सदस्य भी हैं. साहित्य और सामाजिक योगदान के लिए अबतक कई सम्मान मिल चुके हैं जिनमे साहित्य सारथी सम्मान, नारीसागर सम्मान व अंतराष्ट्रीय युवा सम्मान प्रमुख हैं. पटना, बिहार के आलावा कोलकाता, दिल्ली, गहमर(यू.पी.) आदि जगहों पर 100 से अधिक गोष्ठियों में ये अपनी कविताएं सुना चुकी हैं.

सामाजिक सरोकार - दैनिक जागरण, संगिनी क्लब में अभिभावक के पद पर जो चार लोग हैं उनमे से एक पूनम आनंद भी हैं. गरीब विद्यार्थियों के लिए ये एक काम करती हैं. जो पुस्तकें दुबारा चलती नहीं हैं उन पुस्तकों को अपने पास जमा करा लेती हैं, या ऐसा पेज जो खाली रह गया जिसे रईस घरों के बच्चे फिर दुबारा यूज नहीं करतें उनको इकट्ठा कर किसी संस्था को या बच्चों की जहाँ टीम है ले जाकर दे देती हैं. अगर समय है तो सबका पेज इकट्ठा करके खुद भी बनवा देते हैं. ये कलेक्शन हर उम्र के बच्चों का होता है. इसके अलावा पूनम जी पुराने कपड़े जो इस्तेमाल लायक हों नेकी की दीवार में संगनी की तरफ से तो रखवाती ही हैं और ऐसे भी दस-बिस महिलाओं को जोड़कर जरूरतमंदों के बीच कपड़े वितरित करती हैं. घर में अगर ड्राइवर या मेड का कोई ऐस बच्चा हो जो लगातार सम्पर्क में आ रहा हो तो उसे कम-से-कम अक्षर ज्ञान तो दे ही देती हैं कि अपने से फोन का इस्तेमाल कर सके, नंबर कहीं लगा सके, गिनती कर सके, पैसे का जोड़-घटाव कर ले कि अगर चार दिन कहीं नागा किये तो मालकिन कितना काटी कितना नहीं, ये बेसिक ज्ञान उसे होना ही चाहिए.

बोलो जिंदगी के पूछने पर कि घर-परिवार का कितना सपोर्ट मिला, तो पूनम जी कहती हैं-  "मुझे हर मोड़ पर प्रोत्साहन मेरे परिवारवालों का ही ज्यादा मिला. हम कभी ढ़ीले भी पड़ जाएँ तो घरवाले ढ़ीले नहीं होने देते हैं. ससुर जी आज भी गर्व से कहते हैं कि, पूनम देवी इतना समर्पित किसी के लिए है कि इसका कोई काम नहीं रुकेगा... सासु माँ लोगों से कहती हैं कि, देखा हमर पतोहू भात पकावत-पकावत किताबो छापे लागल....और इतना सपोर्ट देखकर फख्र होता है कि मुझे ऐसा परिवार मिला."


बोलो ज़िन्दगी की विशेष फरमाइश पर पूनम जी ने अपने पहले काव्य संग्रह 'अर्णव' से एक बहुत ही सुंदर कविता 'बेटियां' का पाठ किया.




सन्देश : बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक की स्पेशल गेस्ट देवयानी दुबे ने कहा कि "पूनम जी अपनी कविताओं के माध्यम से महिलाओं को प्रोत्साहित करती हैं कि तुम जागो,आगे बढ़ो,कभी मत डरो,पीछे मुड़कर मत देखो. तुम में कुछ कमी नहीं है, सबकुछ है क्यूंकि तुम एक माँ हो, बेटी हो,बहू हो और सबसे पहले तुम एक महिला हो. तुम जो सोचती हो उसे पूरा करो."

पूनम जी के घर पर जब बोलो ज़िन्दगी की टीम स्वादिष्ट व्यनजनों का लुत्फ़ उठा रही थी तब पूनम जी ने  बताया कि "गुलाब जामुन और अन्य व्यंजन सब हमारी बहुओं ने घर पर ही बनाया है. और अब तो दोनों ने मेरी किचेन से लगभग छुट्टी ही कर दी है."
फिर विदा लेते वक़्त पूनम जी ने हमें अपना काव्य संग्रह भी स-स्नेह भेंट किया.

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