10 मार्च, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के आनंदपुरी स्थित महिला उधमी जनक किशोरी जी की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट बिहार के जानेमाने फिल्म निर्देशक किरणकांत वर्मा जी भी शामिल हुए. किरणकांत जी ने कई बेहतरीन भोजपुरी फिल्मों का निर्देशन किया है, जिनमे रवि किशन स्टारर 'हमार देवदास' खासी लोकप्रिय हुई थी. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनके सौजन्यसे हमारेस्पेशल गेस्ट के हाथों जनक किशोरी जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.
फैमली परिचय- महिला उद्धमी एवं सोशल एक्टिविस्ट जनक किशोरी जी के पति अमोद कुमार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया में असिस्टेंट इंजीनियर हैं. एक बेटा और एक बेटी हैं जो फ़िलहाल करियर को लेकर आउट ऑफ़ बिहार हैं. बेटा अर्पित भारद्वाज आईआईटी बीएचयू में एमटेक फ़ाइनल ईयर कर रहे हैं. उन्हें स्कॉलरशिप के लिए लन्दन,जापान और अमेरिका के जॉर्जिया यूनिवर्सिटी से ऑफर आ रहे हैं. बेटी अंजलि भरद्वाज पुणे में आर्मी मेडिकल कॉलेज में सेकेण्ड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं. वो बास्केटबॉल प्लेयर भी हैं जिसमे कई अवार्ड जीत चुकी हैं.
बेटे और बेटी का शौक संगीत के प्रति भी है. बेटा अर्पित पटना के रविंद्र भवन से 6 साल का तबला वादन का कोर्स कर चुका है जिसमे कई मैडल भी प्राप्त किये हैं. बेटी अंजलि 6 साल क्लासिकल सिंगिंग की तालीम भी ले चुकी हैं. अंजलि जहाँ कराटे में ब्लैक बेल्ट है तो बेटे ब्राउन बेल्ट हासिल कर चुके हैं. जनक किशोरी जी के ससुर श्री रामसेवक शर्मा भी आर्मी से रिटायर्ड हैं. पूर्व में पाकिस्तान के साथ हुए दोनों युद्ध में जिसमे हमारे देश को विजय हासिल हुई थी तब सेना में ये भी शामिल थें जिसके लिए उन्हें मैडल भी मिला था और उसका गर्व उन्हें आज भी है. जनक किशोरी जी का मायका और ससुराल दोनों ही पटना के आनंदपुरी मोहल्ले में ही है. वैसे इनके ससुराल का पुस्तैनी घर गायघाट के पास है लेकिन वे 10 -15 सालों से ससुरालवालों के साथ आनंदपुरी में ही किराये के घर में रहती हैं.
क्या करती हैं जनक किशोरी जी - संस्था श्री सच्चा कला केंद्र के माध्यम से अपने आसपास की गरीब महिलाओं को बुलाकर निःशुल्क मिथिला पेंटिंग, कसीदाकारी, संगीत, अगरबत्ती, मोमबत्ती, फेब्रिक पेंटिंग, जैम-जेली, अचार, पापड़ सहित कई चीजें बनाना सिखाती हैं. फिर वो महिलाएं सीखकर खुद आत्मनिर्भर बनती हैं. जनक जी महिलाओं को सिर्फ कला के जरिये ही सशक्त नहीं करतीं बल्कि उन्हें हर तरह से सशक्त बनाने के लिए लगातार जुटी हुई हैं. हर साल अपनी सहयोगियों के साथ मिलकर आनदपुरी में सत्संग का आयोजन करती हैं. महिलाओं द्वारा आयोजित एवं महिलाओं पर केंद्रित इस सत्संग की कथा वाचिका भी साध्वी होती हैं. इसके आलावा वे महिलाओं के लिए सावन महोत्सव, होली व दीवाली महोत्सव सहित कई आयोजन करती हैं. प्रयवरण और प्रदूषण के प्रति जागरूकता अभियान चलाती हैं. मतदाता जागरूकता अभियान भी बोरिंग रोड इलाके में चला चुकी हैं. हाल ही में पॉलीथिन बैन किये जाने पर राजपुल से बोरिंग कैनाल रोड तक पॉलीथिन का इस्तेमाल कितना हानिकारक है इसको लेकर जागरूकता फैला चुकी हैं. उनका मानना है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता है.
शुरुआत कैसे हुई ? - जनक जी साइंस की स्टूडेंट रही हैं. केमेस्ट्री से ग्रेजुएशन करने के बाद डॉक्टर बनने का इरादा था लेकिन तब इनकी माँ का पैर फ्रैक्चर हो गया, वो चलफिर नहीं पा रही थीं. चार बहनों में सबसे छोटी यही थीं बाकि बहनों की शादी हो चुकी थी और तब भाई भी बाहर पढ़ाई कर रहा था. फिर उनके देखभाल को लेकर आगे की पढ़ाई नहीं कर पायीं. लेकिन बचपन से ही कला के क्षेत्र में रुझान बढ़ता गया. शुरू में जब ये घर से बाहर निकलतीं तो आस-पड़ोस के लोग हँसते थें, लेकिन अब वही इनके सामाजिक कार्यों को देख खुश होते हैं. शुरुआत में ससुर जी को थोड़ा एतराज था इनको ये सब काम करने से, रिश्तेदार भी बोलते कि क्या कर रही हो ऑफिसर की बेटी हो क्या सड़क पर घूमती हो, अचार-पापड़ बेचती हो...? लेकिन जनक ने किसी की नहीं सुनीं बस अपने दिल की करती गयीं. लेकिन जब इनके प्रयासों की वजह से अख़बारों में इनके ऊपर खबर छपने लगी तब किसी को फिर कोई शिकायत नहीं रही. पति भी इनकी रूचि देखकर इनका सहयोग करने लगें.
श्री सच्चा कला केंद्र की शुरुआत - जब बचे स्कूल चले जाते तो खाली समय जनक को बैठना पसंद नहीं आता था तभी मन में आया कि खुद के बदौलत समाज के लिए कुछ किया जाये. पहले खुद जनक जी खादी ग्रामउद्धोग से हैंडमेड चीजें बनाना सीखीं फिर दूसरों को सिखाने की सोची. पहले ऑफिस नहीं था तो मेहँदी उत्सव हॉल से अपना काम बहुत सालों तक चलायीं. सॉस, जैम, जेली, अचार, मुरब्बा की ट्रेनिंग देने से संस्था की शुरुआत हुई. अब अपनी संस्था की तरफ से ये पटना के बाहर वैशाली इत्यादि दूसरे जिलों में जाकर भी महिलाओं को सिखाती हैं.
मनाची फ़ूड प्रोडक्ट - बेटे का घर का नाम मन्ना है, बेटी का चीची तो इनके नाम को जोड़कर ही जनक ने अपनी कम्पनी रजिस्टर्ड करवाई मनाची फ़ूड प्रोडक्ट के नाम से. इनका सपना है कि इनका ब्रांड इंटरनेशनल मार्केट में भी लॉन्च हो. 8-10 सालों से बिहार महिला उद्योग मेला में इनके फ़ूड प्रोडक्ट के स्टॉल लगते रहे हैं. पिछले साल ज्ञान भवन में आयोजित उद्योग मेले में इनको ज्यादा सेल करने के लिए स्पेशल अवार्ड भी मिला. जैसे-जैसे कस्टमर डिमांड करते गएँ जनक जी वैसे ही अपने प्रोडक्ट को तैयार करती गयीं. मेले में सबसे ज्यादा आंवला मुरब्बा, अचार, बड़ी-पापड़, तीसी के लड्डू का सेल होता है. जनक बताती हैं कि कहीं भी जाते हैं और कुछ खाते हैं तो ध्यान से देखते हैं कि इसमें क्या क्या है, फिर खुद से एक्सपेरिमेंट करते हैं. इनके प्रोडक्ट का सेल पटना के अलावा, गोपालगंज, रांची,दिल्ली इत्यादि जगहों पर हो रहा है. इनके साथ वैसी महिलाएं जुडी हैं जो अपने बच्चों को अच्छे कोचिंग में पढ़ना चाहती हैं, लेकिन फ़ीस बहुत जयादा है, फैमली उतना एफोर्ट नहीं कर पा रही तो वे खुद सीखकर अपना बिजनेस शुरू करती हैं ताकि बच्चों को अच्छा एडुकेशन दे सकें.
सत्संग की शुरुआत - 2008 तक सत्संग इनके पिताजी लोग करवाते थें फिर इन्होने खुद महिलाओं के साथ मिलकर इसकी जिम्मेदारी संभाल ली. इसबार मार्च के अंतिम सप्ताह में आनंदपुरी के राधाकृष्ण उत्सव हॉल में हनुमान कथा पाठ करा रही हैं और इसबार सत्संग आयोजन का 25 वां साल हो जायेगा. जनक जी शादी के पहले से ही 1994 में गुरु से दीक्षा लेकर सत्संग आयोजन में जुड़ गयी थीं.
इंटरव्यू के दौरान ही जनक किशोरी जी ने अपने हाथ से बनाये कुछ व्यंजनों तीसी के लड्डू, आंवले का मुरब्बा को पेश किया जो बहुत ही टेस्टी थें.
बातचीत के दरम्यान जब बोलो जिंदगी टीम को पता चला की जनक किशोरी जी को भी म्यूजिक का बहुत शौक है, वे गिटार और हारमोनियम में भी पारंगत हैं तो फरमाइश करने पर उसी वक़्त गिटार पर एक भक्ति गीत की मधुर धुन बजाकर सुनाई.
सन्देश : जनक किशोरी जी की फैमली से विदा लेने के पहले हमारे स्पेशल गेस्ट फिल्म निर्देशक किरणकांत वर्मा जी ने अपने सन्देश में कहा कि "पिछले 45 सालों से मैं जिस आनंदपुरी मोहल्ले में रह रहा हूँ मुझे नहीं पता था कि यहाँ हमारे बीच कितने टैलेंट छुपे हैं. जैसा कि जनक किशोरी जी खुद अपने बलबूते उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़ी हैं, कितनी घरेलु महिलाओं को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं और साथ- साथ समाजसेवा के कामों में भी अग्रसर हैं जो बहुत ही सराहनीय है. मैं इनसे कहना चाहूंगा कि इन सारे कार्यों को करते हुए संगीत के प्रति जो रूचि है उसे भी मत छोड़िये और इस क्षेत्र को भी आगे बढ़ाते रहिये."
जनक किशोरी जी की फैमली |
बेटे और बेटी का शौक संगीत के प्रति भी है. बेटा अर्पित पटना के रविंद्र भवन से 6 साल का तबला वादन का कोर्स कर चुका है जिसमे कई मैडल भी प्राप्त किये हैं. बेटी अंजलि 6 साल क्लासिकल सिंगिंग की तालीम भी ले चुकी हैं. अंजलि जहाँ कराटे में ब्लैक बेल्ट है तो बेटे ब्राउन बेल्ट हासिल कर चुके हैं. जनक किशोरी जी के ससुर श्री रामसेवक शर्मा भी आर्मी से रिटायर्ड हैं. पूर्व में पाकिस्तान के साथ हुए दोनों युद्ध में जिसमे हमारे देश को विजय हासिल हुई थी तब सेना में ये भी शामिल थें जिसके लिए उन्हें मैडल भी मिला था और उसका गर्व उन्हें आज भी है. जनक किशोरी जी का मायका और ससुराल दोनों ही पटना के आनंदपुरी मोहल्ले में ही है. वैसे इनके ससुराल का पुस्तैनी घर गायघाट के पास है लेकिन वे 10 -15 सालों से ससुरालवालों के साथ आनंदपुरी में ही किराये के घर में रहती हैं.
बोलो जिंदगी के साथ बातचीत करतीं जनक किशोरी जी |
शुरुआत कैसे हुई ? - जनक जी साइंस की स्टूडेंट रही हैं. केमेस्ट्री से ग्रेजुएशन करने के बाद डॉक्टर बनने का इरादा था लेकिन तब इनकी माँ का पैर फ्रैक्चर हो गया, वो चलफिर नहीं पा रही थीं. चार बहनों में सबसे छोटी यही थीं बाकि बहनों की शादी हो चुकी थी और तब भाई भी बाहर पढ़ाई कर रहा था. फिर उनके देखभाल को लेकर आगे की पढ़ाई नहीं कर पायीं. लेकिन बचपन से ही कला के क्षेत्र में रुझान बढ़ता गया. शुरू में जब ये घर से बाहर निकलतीं तो आस-पड़ोस के लोग हँसते थें, लेकिन अब वही इनके सामाजिक कार्यों को देख खुश होते हैं. शुरुआत में ससुर जी को थोड़ा एतराज था इनको ये सब काम करने से, रिश्तेदार भी बोलते कि क्या कर रही हो ऑफिसर की बेटी हो क्या सड़क पर घूमती हो, अचार-पापड़ बेचती हो...? लेकिन जनक ने किसी की नहीं सुनीं बस अपने दिल की करती गयीं. लेकिन जब इनके प्रयासों की वजह से अख़बारों में इनके ऊपर खबर छपने लगी तब किसी को फिर कोई शिकायत नहीं रही. पति भी इनकी रूचि देखकर इनका सहयोग करने लगें.
श्री सच्चा कला केंद्र की शुरुआत - जब बचे स्कूल चले जाते तो खाली समय जनक को बैठना पसंद नहीं आता था तभी मन में आया कि खुद के बदौलत समाज के लिए कुछ किया जाये. पहले खुद जनक जी खादी ग्रामउद्धोग से हैंडमेड चीजें बनाना सीखीं फिर दूसरों को सिखाने की सोची. पहले ऑफिस नहीं था तो मेहँदी उत्सव हॉल से अपना काम बहुत सालों तक चलायीं. सॉस, जैम, जेली, अचार, मुरब्बा की ट्रेनिंग देने से संस्था की शुरुआत हुई. अब अपनी संस्था की तरफ से ये पटना के बाहर वैशाली इत्यादि दूसरे जिलों में जाकर भी महिलाओं को सिखाती हैं.
जनक किशोरी जी के घर पर बोलो जिंदगी की टीम |
सत्संग की शुरुआत - 2008 तक सत्संग इनके पिताजी लोग करवाते थें फिर इन्होने खुद महिलाओं के साथ मिलकर इसकी जिम्मेदारी संभाल ली. इसबार मार्च के अंतिम सप्ताह में आनंदपुरी के राधाकृष्ण उत्सव हॉल में हनुमान कथा पाठ करा रही हैं और इसबार सत्संग आयोजन का 25 वां साल हो जायेगा. जनक जी शादी के पहले से ही 1994 में गुरु से दीक्षा लेकर सत्संग आयोजन में जुड़ गयी थीं.
बातचीत के दरम्यान जब बोलो जिंदगी टीम को पता चला की जनक किशोरी जी को भी म्यूजिक का बहुत शौक है, वे गिटार और हारमोनियम में भी पारंगत हैं तो फरमाइश करने पर उसी वक़्त गिटार पर एक भक्ति गीत की मधुर धुन बजाकर सुनाई.
सन्देश : जनक किशोरी जी की फैमली से विदा लेने के पहले हमारे स्पेशल गेस्ट फिल्म निर्देशक किरणकांत वर्मा जी ने अपने सन्देश में कहा कि "पिछले 45 सालों से मैं जिस आनंदपुरी मोहल्ले में रह रहा हूँ मुझे नहीं पता था कि यहाँ हमारे बीच कितने टैलेंट छुपे हैं. जैसा कि जनक किशोरी जी खुद अपने बलबूते उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़ी हैं, कितनी घरेलु महिलाओं को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं और साथ- साथ समाजसेवा के कामों में भी अग्रसर हैं जो बहुत ही सराहनीय है. मैं इनसे कहना चाहूंगा कि इन सारे कार्यों को करते हुए संगीत के प्रति जो रूचि है उसे भी मत छोड़िये और इस क्षेत्र को भी आगे बढ़ाते रहिये."
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