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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Wednesday, 27 February 2019

भारतीय सेना के साहसिक कदम को सैल्यूट करते हुए युवाओं ने निकाली वीर सम्मान यात्रा

पटना, 27 फरवरी, दोपहर को पटना की सड़कों पर युवाओं की टोली होली आने के पहले ही होली मना रही थी. चेहरे पर असीमित ख़ुशी का भाव लिए युवा एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगा रहे थें....'जय भारत' और 'जय भारत की सेना' के जयघोष गूंज रहे थें....और यह नज़ारा था भारतीय सेना के साहसिक कदम को सैल्यूट करते हुए पटना के युवाओं द्वारा निकाली गयी वीर सम्मान यात्रा का जिसमे सैकड़ों की तादात में जोशीले देशभक्त युवा शामिल हुए.
विगत दिनों पुलवामा में हुए शहीदो को खोने से शोकाकुल संपूर्ण राष्ट्र द्वारा पाकिस्तान के नापाक मंसूबो के खिलाफ एकमत हो कर जो आवाज उठाया गया था, उसके फलस्वरुप जब मंगलवार को भारतीय वायुसेना के जवानों ने पाकिस्तान क्षेत्र में प्रवेश कर आतंकी अड्डो को नष्ट किया जिसमें कि लगभग 300 से अधिक आतंकी मारे गये. जिससे संपूर्ण देश में जो बदले की ज्वाला जाग्रत थी अब जाकर थोड़ी शांत हुई है.

इसी के मद्देनजर "हेल्पिंग ह्यूमन" तथा "संस्कृति फांउडेशन" के तत्वाधान में सुश्री अकांक्षा चित्रांश तथा दुर्गेश सोनू के नेतृत्व में बोरिंग रोड से वीर सम्मान यात्रा निकाली गयी जिसमे छोटी पटनदेवी से बाबा विवेक द्विवेदी जी, रवि, रमन, गौरव ,कौशल कुमार, अमित कुमार, संजीव कुमार, आशा गोयल ,गुड्डू बाबा ,विवेक विश्वास ,विनय पाठक, सीके झा, विश्व कीर्ति पंजियार, राजीव रमेश आदि की टीम के साथ सैकड़ो की तादात में युवक-युवतियाँ व बड़े-बुजुर्ग पूरे उत्साह के साथ इस वीर सम्मान यात्रा में शामिल हुए तथा भारत एवं भारतीय सेना के जयकारे लगाए. यह सम्मान यात्रा बोरिंग रोड चौराहा से राजापुर पुल, ए.एन कॉलेज, पानी टंकी होते हुए पुन: बोरिंग रोड चौराहा तक लाकर समापन किया गया.

Monday, 25 February 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : पास्टर मुंद्रिका जी की फैमली, राजीव नगर, पटना

'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' के ऑनर संतोष कु. सोनी उर्फ़ पप्पू जी
मुंद्रिका जी की फैमली को आकर्षक गिफ्ट भेंट करते हुए
 
24 फरवरी, रविवार को 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार, तबस्सुम अली व अनमोल अंशु) पहुंची पटना के राजीव नगर स्थित पास्टर मुंद्रिका जी की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट माँ वैष्णवी ज्वेलर्स के ऑनर संतोष सोनी उर्फ़ पप्पू जी भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनके सौजन्य से हमारे स्पेशल गेस्ट संतोष सोनी जी के हाथों पास्टर मुंद्रिका जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

बोलो ज़िन्दगी की टीम 
फैमली परिचय-  मुंद्रिका जी ईसाई समुदाय से जुड़कर पास्टर के रूप में समाज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. किराये के घर पर रहते हैं और किराये की ज़मीन पर ही दो जगह इनकी अपनी नर्सरी है और यही इनका फैमली बिजनेस है. नर्सरी की पूरी देखभाल इनकी पत्नी संजू सिंह करती हैं और सही मायनों में वही अब इनके द्वारा शुरू किये गए नर्सरी बिजनेस को संभाल रही हैं. इनके चार बच्चे हैं, तीन लड़की और एक लड़का. बड़ी बेटी रूबी अभी मैट्रिक का इक्जाम दे रही हैं.

पास्टर मुंद्रिका जी की फैमली 
कब से कर रहे हैं नर्सरी का बिजनेस ? - बेगूसराय से ताल्लुक रखनेवाले मुंद्रिका जी 2000 में पटना आकर बस गएँ. बागवानी का शौक भी था तो इसी विषय से कानपुर यूनिवर्सिटी, इलाहबाद से ग्रेजुएशन करने के बाद इन्होने नर्सरी का छोटा व्यवसाय शुरू कर दिया. तब पटना में जगह मिलना भी मुश्किल था. इन्हें आधे कट्ठा ज़मीं के लिए भी 8 साल इंतज़ार करना पड़ा. तब कृष्णानगर में कोई ज़मीन दिया वहां से स्टार्ट कियें. अभी दो जगह नर्सरी है, एक यहाँ राजीव नगर में तो दूसरा है बंदर बगीचा में. एक और काम ये निजी या सार्वजनिक रूप से कॉन्टेक्ट पर करते हैं, शहर में पलांटेशन और गार्डेन, लॉन, पार्क के सौंदर्यीकरण का काम.

कैसे जुड़ें ईसाई समाज से? -  क्रिश्चन समाज से मुंद्रिका जी 1991 में जुड़ें. इस समाज की एक बात इन्हे बहुत आकर्षित कर गयी कि चाहे छोटा-बड़ा हो, गरीब-अमीर हो सबको एक बराबर सम्मान मिलता है. यहाँ कोई ऊंच-नीच, भेदभाव नहीं है. यही बातें इनके दिल को छू गयीं इसलिए वे क्रिश्चन समुदाय से जुड़ गएँ. मुंद्रिका जी ने बताया कि "एक धर्म परिवर्तन होता है और एक होता है मन यानि हृदय परिवर्तन. तो मैंने धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि स्वेच्छा से मन परिवर्तन किया है और परमेश्वर के बताये मार्ग पर बढ़ता गया. मैंने महसूस किया है कि सच्चे लोगों का साथ परमेश्वर कभी नहीं छोड़ता है."

तब क्या हुआ था चमत्कार ? -  बोलो ज़िन्दगी के साथ विशेष बातचीत में पास्टर मुंद्रिका जी ने एक दिलचस्प वाक्या सुनाते हुए कहा कि "हमारी ज़िन्दगी में भी एक बहुत बड़ी समस्या आयी थी 1992  में और उस वक़्त हम मधेपुरा में रहते थें. वहां भी हमारा चार एकड़ में नर्सरी था. वहां के स्थानीय ग्रामीण लोगों द्वारा हमें सताए जाने कि एक योजना बनायीं गयी क्यूंकि हम बेगूसराय से नए-नए आकर वहां बसे थें और अपना व्यवसाय शुरू किये थें. उनकी योजना थी एकजुट होकर हमें मारपीटकर वहां से रातों-रात भगा देने की. उसी रोज हमारे पास रात में एक परमेश्वर का दास आया था और उसने कहा कि -आप पति-पत्नी चिंतित ना हों, आपको कुछ नहीं होगा, हम ईश्वर से आपके लिए प्रार्थना करेंगे, आप पति- पत्नी जाकर आराम से सो जाइये... फिर मेरे घर के गेट के पास बैठकर वह प्रार्थना करने लगा और उसने पूरी रात जागकर हमारे लिए प्रभु से प्रार्थना की.
'बोलो ज़िन्दगी' के साथ बातचीत करते हुए पास्टर मुंद्रिका जी 
और आधी रात को ही स्थानीय ग्रामीणों ने हमारे घर पर हमला कर दिया. हमें तंग करने के लिए कुल 70-80 लोग जमा हो गएँ. लेकिन एक चमत्कार हुआ कि जिधर से वे लोग हमपर अटैक करना चाहते थें हमारी बाउंड्री के अंदर उधर से हमारी रक्षा के लिए कुछ पवित्र आत्माएं (स्वर्ग दूत) आ गयीं और हर 10 फिट पर हमलावर गांववालों को रोकने के लिए वो खड़ी हो गयीं. उन्हें देखकर हमलावर ग्रामीण लोग भयभीत हो कर वापस लौट गएँ. ग्रामीण लोगों को यही लगा कि हमने अपनी सुरक्षा के लिए पहले से ही भाड़े पर कुछ आदमियों की व्यवस्था कर रखी है. इस घटना ने मुझे अंदर तक झकजोड़ कर रख दिया और तभी से मुझे ईश्वर के प्रति विश्वास और बढ़ गया कि दुनिया में परमेश्वर के दूत हैं जो परमेश्वर के अनुयाइयों की रक्षा करते हैं. उसके बाद कई घटनाएं और चमत्कार मेरे जीवन में घटित होते गएँ. उस विश्वास के तहत आगे बढ़ने की वजह से हम आज एक पादरी के रूप में काम कर रहे हैं. जिसके तहत हम घर-घर लोगों के बीच में जाते हैं, कभी लोग हमें बुलाते हैं और उनकी समस्याओं, बीमारियों को जानकर उसे दूर करने के लिए हम प्रर्थना करते हैं और प्रर्थना के द्वारा वे चंगे होते हैं. तो कह सकते हैं कि परमेश्वर लोगों को जीवन में शांति देता है और वही शांति दिलाने के बीच का काम हमलोग करते हैं.

बागवानी के बारे में जानकारी देती हुईं संजू सिंह 



पास्टर मुंद्रिका जी की पत्नी संजू सिंह कहती हैं - शुरू में हसबैंड नर्सरी का सारा काम देखते थें और मैं सिर्फ सहयोग करती थी लेकिन अब मैं ही नर्सरी संभालती हूँ और इससे जुड़ा बाहर का काम हसबैंड देखते हैं.







नर्सरी में कम-से-कम हज़ार प्रजाति के प्लांट हैं जो समय के अनुसार तैयार किया जाता है. हर्बल प्लांट में एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा,तुलसी,बच इत्यादि प्लांट लोगों के स्वास्थ के लिए कारगर हैं. मेरे पास फ्लावर में एक नया प्रजाति है, अजरेलिया जो बहुत कम नज़र आता है और महंगा भी होता है. 





सन्देश- मुंद्रिका जी की फैमली के यहाँ से विदा होने से पहले 'बोलो जिंदगी' के स्पेशल गेस्ट संतोष सोनी उर्फ़ पप्पू जी ने यह सन्देश दिया कि "वे युवा व्यवसायी जो कुछ अलग हटकर करना चाहते हैं उनसे हम यही कहना चाहेंगे कि अच्छे बिजनेस के चार मन्त्र हैं, पहला है ईमानदारी, दूसरा समझदारी, तीसरा है समय पर काम और चौथा है आप जो बोलते हैं वही करें. अगर आप ये चारो मन्त्र जानकर अमल में लाएंगे तो गली के किसी कोने में रहेंगे आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता."
 



Sunday, 24 February 2019

बिहार में 14 जगहों पर रक्तदान के जरिये देश के शहीदों को नमन

मोकामा में 'यूथ फॉर स्वराज' का ब्लड डोनेशन कैम्प  
पटना, 24 फरवरी, पीड़ित मानवता में पीड़ितों के दर्द को बड़ी शिद्दत से महसूस करने वाले अपने बिहार ने 24 फरवरी, रविवार को 14 जगहों पर पुलवामा के वीर शहीदों को श्रद्धा के फूल  अर्पित कियें.


बिहार के इतिहास में पहली बार बिहार के रक्तदानवीरों ने कुल 14 जगहों पर रक्तदान कैंप का आयोजन किया. आज से पहले इस तरह का भव्य आयोजन पूरे बिहार में कभी भी नहीं हुआ था.
   







मुजफ्फरपुर में 'माड़वाड़ी युवा
मंच' का ब्लड डोनेशन कैम्प 
बिहार में कुल 14 जगहों पर आयोजित रक्तदान शिविरों में अपने बिहार के रक्तदानवीरों ने 1000 से ऊपर यूनिट ब्लड डोनेट कर मानवता की अद्भुत मिसाल कायम की है. अभी तक जो आंकड़े आये है वो इस प्रकार है -


मुज़फ़्फ़रपुर (माड़वाड़ी युवा मंच) 166 यूनिट
मोकामा (यूथ फॉर स्वराज) 61 यूनिट
पटना (यू ब्लड बैंक)  55 यूनिट
पूर्णिया 240 यूनिट 
बिहिया  151 यूनिट
नौगछिया 142 यूनिट 

इस अभूतपूर्व,ऐतिहासिक और भव्य आयोजन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देने वाले सभी लोगों को 'बोलो ज़िन्दगी' का नमन.

पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि हेतु पटना के युवाओं ने किया 55 यूनिट रक्तदान


"उनके हौसले का मुकाबला ही नहीं है कोई
जिनकी कुर्बानी का कर्ज हम पर उधार है
आज हम इसीलिए खुशहाल हैं क्यूंकि
सीमा पे जवान बलिदान को तैयार हैं"


पटना, 24 फरवरी (रविवार),बिहार यंग मेंस इंस्टीट्यूट ,फॉर टेबल टेनिस ,खुदाबख्श लाइब्रेरी के नज़दीक सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक 'यू ब्लड बैंक' ग्रुप के सौजन्य से पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि सह स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ जिसका नेतृत्व किया यू ब्लड बैंक की शिखा मेहता ने.


आज के इस रक्तदान शिविर में 55 यूनिट खून इकट्ठा किया गया और उन सभी रक्तवीर एवं रक्त वीरांगनाओं ने अपना एक यूनिट खून दान कर पुलवामा में शहीद हुए जवानों को याद किया. आज के सभी रक्त दाताओं को यू ब्लड बैंक परिवार ने दिल से सेल्यूट किया.

मेडिकल टीम :- महावीर कैंसर संस्थान फुलवारी शरीफ ,पटना
यू ब्लड बैंक ग्रुप, पटना, बिहार 

Monday, 18 February 2019

आज उठी है आवाज़ द्वारा पुलवामा शहीदों को समर्पित किया गया कवि सम्मेलन


पटना, 17 फरवरी, आज उठी है आवाज़ मासिक अखबार की ओर से आयोजित कार्यक्रम, 'आओ कुछ अल्फाज़ कहें' पुलवामा शहीदों को समर्पित किया गया। पटना साहित्य सम्मलेन में आयोजित इस कार्यक्रम के संयोजक थें अश्विनी कुमार कविराज व संचालक रहीं अभिलाषा सिंह.
            सर्वप्रथम राष्ट्रगान गाया गया तथा शहीदों के लिए मौन रखा गया. मुख्य अतिथि के रूप में डॉ• गुरु रहमान ने पुलवामा के शहीदों को नमन करते हुए और देश के युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि "जाति, धर्म और मजहब से ऊपर उठकर राष्ट्र सेवा को तत्पर रहे। उन्होने कहा कि सबसे पहले देश के गद्दारों का सफाया करना जरुरी है ताकि राष्ट्र अक्षुण्ण बना रहे।" कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ के वरुण कुमार सिंह ने कहा कि "राष्ट्र शहीदों के साथ खड़ा है और हर सम्भव मदद की जाएगी और इसका बदला लिया जाएगा।" उन्होने इस कार्यक्रम के प्रति युवाओं के प्रयास की सराहना की एवं आशीर्वाद दिया।
प्रतिभागी को सम्मानित करते अश्विनी कविराज 
इस अवसर पर आवाज़ के जहानाबाद संस्करण एवं पटना संस्करण के फरवरी माह के अंक का लोकार्पण किया गया। जहानाबाद संस्करण के सम्पादक अमृतेश कुमार मिश्र इस अवसर पर मौज़ूद रहे। विशिष्ठ अतिथियों में तारीफ़ नियाजी रामपुरी, विभा रानी श्रीवास्तव, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, नरेंद्र देव और सुनील कुमार मौज़ूद रहें।

द्वितीय सत्र में हुआ कवि सम्मेलन

सुपर-30 फिल्म के चाइल्ड आर्टिस्ट घनश्याम, सूरज, नवीन, सन्नी, कृष्ण, रौशन आदि बच्चों ने अपनी भावनाएँ रखी। सलमान द्वारा ऐ वतन गीत प्रस्तुत किया गया जिसने महफ़िल को भावपूर्ण बना दिया।
         
औरंगाबाद के ओज कवि कुश सिंह आज़ाद 'भारत' ने 'चुप्पी तोड़ो कूच कर जाओ युद्ध करो अब मोदी जी, दुश्मन को रण में पटको ऐसा प्रबंध करो अब मोदी जी' सुनाया। दिल्ली के तारीफ़ नियाजी ने सुनाया 'बचा लो अपना हिंदुस्तान.....', अमित कश्यप द्वारा 'रंग दे बसंती चोला....' गाकर देशभक्ति में लोगों को झूमा दिया। अमृतेश मिश्र द्वारा, 'बुरी नज़रें भी मेरा खाक कुछ बिगाड़ेंगी, माँ के हाथ से टिका लगा निकलते है'.......सुनाया। इस अवसर पर परवेज़, नैतिक, साइस्ता अंजुम, शिवांगी सौम्या, मीरा श्रीवास्तव, अंकित मौर्य, रजनीश कुमार गौरव, शिवम झा, शिवम कुमार, शुभम सहाय, गोपाल जी गुप्ता, अभिषेक आज़ाद, शैलेश वर्मा, सुशांत सिंह, शाहिद रज़ा, हिमांशु गौरव, अनमोल सावर्ण, विकास कुमार सिंह, स्तुति झा, निधि कुमारी, सुबोध कुमार सिन्हा, इरशाद फतेह, सलमान आदि ने भी काव्यपाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन अश्विनी कुमार कविराज ने किया। 

Saturday, 16 February 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : प्राची झा फैमली, महेन्द्रू, पटना


'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' के सौजन्य से प्राची झा की फैमली को गिफ्ट
भेंट करतें बोलो ज़िंदगी के स्पेशल गेस्ट मुकेश हिसारिया

16 फरवरी की शाम
'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के महेन्द्रू मोहल्ले में प्राची झा की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में सोशल एक्टिविस्ट मुकेश हिसारिया भी शामिल हुयें. उभरती हुई युवा कवियत्री प्राची झा का हाल ही में 101 कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है 'अस्तित्व मेरा खास' जिसका लोकार्पण होना बाकी है. अबतक 500 से अधिक कविताएं लिख चुकीं प्राची की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं और 50 से अधिक कवि-सम्मेलनों में ये शिरकत भी कर चुकी हैं. प्राची ज्यादातर नारी प्रधान कवितायेँ लिखती हैं और उसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है...


बोलो जिंदगी की टीम 
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों प्राची झा की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

 
फैमली परिचय- प्राची झा इंटरनेशनल स्कूल में 12 वीं की स्टूडेंट हैं. प्राची की माँ रूबी झा हाउसवाइफ हैं, पिता अनिल कुमार झा कम्पटीशन बुक्स पब्लिकेशन लाइन में हैं. मधुबनी जिले से बिलॉन्ग करनेवाले अनिल झा जी के पिता पहले यहीं कोर्ट में काम करते थें, फ़िलहाल रिटायरमेंट के बाद मधुबनी गांव में रहते हैं. इनके छोटे बेटे यानि प्राची के छोटे भाई अंकित कुमार झा अभी 10 वीं में हैं और इस बार बोर्ड एक्जाम देनेवाले हैं.

प्राची झा की फैमली 
कैसे बनी प्राची झा कवियत्री ? -  कविताएँ तो प्राची बचपन से लिखती थीं लेकिन उनकी कविताओं में महिलाओं का दर्द तब से उभरने लगा जब खुद वे एक हादसे की शिकार हुईं. इससे पहले 8 वीं क्लास में वे जिस स्कूल में थीं तो उस स्कूल के 10 वीं क्लास के एक सीनियर लड़के ने उनसे छेड़खानी की. जब प्राची ने इसका विरोध किया तो लड़के ने धमकी देते हुए सीनियर होने का रौब दिखाया और उन्हें 'लड़की' होने की औकात तक याद दिलाई. जब प्राची इसकी शिकायत स्कूल के प्रिंसिपल से करने गईं तो उल्टा प्राची को ही स्कूल प्रसाशन की तरफ से सुनने को मिला कि "अगर तुम्हें किसी लड़के ने कुछ बोल भी दिया तो यह नहीं भूलना चाहिए कि तुम एक 'लड़की' हो." उसके बाद प्रिंसिपल का रवैया यह था कि अगर प्राची माफी मांगेगी तभी आगे से स्कूल आ सकती है. लेकिन प्राची ने बिना अपनी गलती के माफी मांगने की बजाए खुद ही स्कूल जाना बंद कर दिया. वो ऐसा दौर था जब प्राची मानसिक रूप से टूटकर बिखर सकती थीं लेकिन उसने कभी अपनी हिम्मत को टूटने नहीं दिया और अपने हक़ की लड़ाई लड़ती रहीं. नतीजतन सच्चाई की जीत हुई और स्कूल के प्रिंसिपल को प्राची से माफी मांगनी पड़ी. इन सब चीजों ने प्राची के मन में इतना प्रभाव डाला कि वे नारी मन की वेदना और समाज के इस पक्षपाती रूप को खुलकर अपनी कविताओं के जरिये सामने लाने लगीं.


प्राची झा की फैमली ने 'बोलो ज़िन्दगी' से अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि "जब यह हादसा प्राची के साथ घटा तो हमसब ना सिर्फ मानसिक रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भी काफी परेशान हुए. प्राची के पिता का इसी टेंशन को लेकर बीच में काम-धंधा भी चौपट हुआ था क्यूंकि अपने काम पर से ध्यान हटाकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और उनके साथ अचानक खड़ी हुई समस्या पर ही उनका सारा ध्यान केंद्रित हो गया."

प्राची को लेकर क्या कहते हैं उनके माँ-बाप-  जब हमारी टीम मेंबर तबस्सुम अली ने प्राची की माँ से सवाल किया कि "अपने हक़ की लड़ाई लड़ती हुई प्राची अब जब अपनी खुद की पहचान बनाने में अग्रसर है तो ऐसे में आपको तो अपनी बेटी पर फख्र होता होगा..?" इसपर प्राची की माँ रूबी झा कहती हैं, "ऐसी बेटी हर घर में होनी चाहिए जिससे हर माँ-बाप अपने को खुशनसीब समझेंगे. हर चीज में ये अच्छी है चाहे वो पढ़ाई-लिखाई से संबंधित हो, या घर-परिवार को जोड़ने की बात हो, या कहीं भी बोल्डनेस की बात हो या फिर ईमानदारी की बात हो तो ऐसी बेटी हर घर में होनी चाहिए." वहीँ प्राची के पिता अनिल झा कहते हैं कि "शुरू-शुरू में जब प्राची कवितायेँ लिखती थी तो हमने उसके टैलेंट पर उतना गौर नहीं किया था लेकिन जब वह कवि गोष्ठियों में जाकर सराहना पाने लगी तब हमने पाया कि उसकी कविताओं का स्तर अपने समकक्ष लड़के-लड़कियों से कहीं ऊपर है. फिर हमने भी प्राची को प्रोत्साहित करना शुरू किया.


क्या कहती है प्राची ? - चार साल पहले दूसरे स्कूल में जिस टाइम मेरे साथ ये घटना घटी मैं 3 महीने स्कूल नहीं गयी तो उसी दरम्यान मेरे छोटे भाई को जो तब 6 ठी में था उसे तंग किया गया ताकि मेरे हौसले टूट जाएँ और मैं चुप बैठ जाऊं. जब प्रिंसिपल के माफ़ी मांगने के बाद मैंने फिरसे स्कूल जाना शुरू किया तो उस दौरान उक्त स्कूल में कुछ लेडीज टीचर मुझपर कमेंट करती थीं, जानबूझकर एक्जाम्स में मेरे मार्क्स काटती थीं क्यूंकि उन्हें लगता था कि उसकी वजह से दूसरे बच्चे भी जागरूक हो रहे हैं, वे चुप नहीं बैठेंगे. उन्होंने मेरे हौसलों को तोड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन मैंने फाइट किया और बात आयी गयी हो गयी. फिर भी आजतक वो टिस मेरे मन में बैठी हुई है कि मैं गलत नहीं थी तो मेरे साथ इतना गलत क्यों हुआ..? इसलिए मैं और लड़कियों को भी जागरूक करना चाहूंगी कि जो मेरे साथ हुआ फिर किसी के साथ ना हो." 

जब बोलो ज़िन्दगी के स्पेशल गेस्ट मुकेश हिसारिया ने प्राची से उसकी कोई कविता सुनने की इच्छा जाहिर कि तो प्राची ने लड़कियों को मोटिवेट करनेवाली एक कविता सुनाई.... प्राची ने बताया कि एक्जाम के बाद वह अपनी पहली कविता संग्रह की किताब का लोकार्पण करना चाहती है. तब मुकेश हिसारिया ने आस्वाशन दिया कि अगर लोकार्पण में कोई दिक्कत आये तो उन्हें बताएं वे सहयोग करेंगे. 



सन्देश- प्राची झा की फैमली के यहाँ से विदा होने से पहले बोलो जिंदगी के स्पेशल गेस्ट मुकेश हिसारिया जी ने एक वाक्या सुनाते हुए यह सन्देश दिया कि "सीतामढ़ी की डॉली झा जो अभी बैंगलोर में कार्यरत हैं, जब दिसबंर 2016 में उनके पिता का ऑपरेशन हो रहा था और उन्हें ए निगेटिव ब्लड की सख्त जरूरत थी. किसी माध्यम से वो हमतक पहुंची थीं और हमलोगों ने ए निगेटिव ब्लड डोनेट करवाया था. फिर बैंगलोर जाने के बाद डॉली झा ने अपने ऑफिस के लोगों को जोड़कर एक ग्रुप बनाया और रक्तदान की मुहीम को छेड़ दिया. और आज ठीक उससे मिलता जुलता उदाहरण हमारे बीच है प्राची झा के रूप में जिसके हौसलों की वजह से मुझे लगता है अन्य दूसरे विद्यार्थी भी अपने हक़ के प्रति जागरूक होंगे. मैं कहना चाहूंगा कि आज जो बच्चे चुप हैं उन्हें भी अपने साथ हुए अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए आगे आना चाहिए, अपने दिल की बात को सामने रखना चाहिए."
 

Wednesday, 13 February 2019

डायरी - लाइफ टाइम तुम्ही मेरी वैलेंटाइन रहोगी 'प्रिय'

जानता हूँ प्रिय❤😘 आज वैलेंटाइन डे💘 है... मगर तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम💝 सिर्फ एक दिन या एक हफ्ते का मोहताज नहीं है. सिर्फ तीन किताबें और कुछ अचीवमेंट तुम्हें समर्पित कर देने भर तक ही मेरा प्रेम💝 सीमित नहीं हो सकता बल्कि मेरे हर कदम, सोच व इरादों में तुम बसी हुई हो. 
        प्रिय❤😘 मेरे हित में तो यही रहता कि मुझ जैसे इमोशनल लड़के को कभी प्रेम ही नहीं होता, तुम्हारी तरह कभी कोई लड़की मेरी ज़िंदगी में आई ही नहीं होती. लेकिन अब जब यह हसीन हादसा हो चुका है तो बोलो प्रिय❤😘 मैं क्या करूँ? उसूलों का पक्का जो ठहरा, जब किसी के साथ दोस्ती, दुश्मनी या कोई अन्य रिश्ता मैं पूरी शिद्दत से निभाता हूँ फिर तुमसे तो स्नेह💝 वाला रिश्ता जोड़ लिया है मैंने... तो इसे भी पूरी शिद्दत से ही निभाउंगा ना मैं. क्योंकि तुमसे किया मेरा हर कमिटमेंट मुझे याद है और अपने हिस्से का कमिटमेंट तो मुझे निभाना ही होगा वरना अपनी ही नज़रों में गिर जाऊँगा.
 
    जब तुमसे प्रेम💝 हुआ सोचता था कि तुम्हें कैसे बताऊंगा, घरवालों-दुनियावालों को बताने की हिम्मत कहाँ से लाऊंगा ? लेकिन आज सबको पता चल गया है और यह हिम्मत तुम्हारे प्यार ने ही तो दी मुझे. मैंने महसूस किया सबको अपनी पड़ी है. किसी को स्टेटस की चिंता, किसी को कास्ट की चिंता, किसी को धन-दौलत की चिंता तो किसी को दुनिया-समाज की चिंता है. पर क्या किसी ने यह टटोलने की कोशिश की कि मैं किस हाल में हूँ, मेरा दिल क्या चाहता है? मैं लाखों-करोड़ों कमा लूँ, खूब नाम-शोहरत बना लूँ तो भी क्या फायदा...क्या इन सब चीजों से मेरा दिल हमेशा के लिए खुश रह पाएगा, क्या मैं इन चीजों के सहारे जिंदगी भर चैन की सांस ले पाऊँगा...? नहीं प्रिय❤😘 क्योंकि बहुत पहले ही मुझे इसका एहसास हो गया था कि मेरे मुस्कुराने की वजह तुम ही हो.
 
मैं याद नहीं रखना चाहता कि लोगों ने मेरी चाहत का कितना मज़ाक उड़ाया है. मेरी हास्यप्रद बातें सुनकर तुम्हारे लबों पर जो मुस्कुराहट खिलती थी मैं बस वही क्षण याद रखना चाहता हूँ. मेरी उदासी दूर करने के लिए तुम्हारे जो मीठे बोल मेरे कानों में गूंजते थें मैं बस वही याद रखना चाहता हूँ. हर चैलेंजिंग काम में मुझे प्रोत्साहित करने के लिए तुम्हारी तरफ से जो Wish आती थी मैं बस वही याद रखना चाहता हूँ...
    मैं यह भी जानता हूँ प्रिय❤😘 कि जब भी कभी तुम अपने हृदय💗 को स्पर्श करोगी तो उसकी धड़कनों में मेरा नाम तुम्हें अवश्य सुनाई देगा लेकिन तुम उसे अनसुना कर दोगी, क्योंकि तुम मजबूर होगी. लेकिन मैं दुनिया-जहान से लड़ते हुए, दर्द भरे आंसुओं को पीते हुए भी तुम्हें चाहता रहूँगा क्योंकि मैं भी तो अपने दिल के हाथों मजबूर हूँ. इसलिए तुम्हें हद से ज्यादा चाहने💝 का जो जिंदगी भर का कसूर करूंगा, उसके लिए हो सके तो मुझे माफ़ कर देना...🙏🙏🙏
    हां प्रिय❤😘, मुझे बहुत दुख💔 होगा जब तुम किसी और की हो जाओगी, लेकिन खुशी इस बात की रहेगी कि मैं ज़िंदगी भर के लिए तुम्हारा ही रहूँगा...
Rakesh Singh 'Sonu' 

Sunday, 10 February 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : मधु जायसवाल फैमली, कुर्जी, पटना

'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' के सौजन्य से जायसवाल फैमली को आकर्षक
 गिफ्ट भेंट करतीं बोलो ज़िंदगी की स्पेशल गेस्ट दीप्ती 
10 फरवरी, सरस्वती पूजा की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के मस्जिद गली, कुर्जी स्थित  लॉन टेनिस की इंटरनेशनल प्लेयर मधु जायसवाल की फैमली के घर. जहाँ हमारी स्पेशल गेस्ट संत डॉमनिक सेवियोज हाई स्कूल, नासरीगंज की इकोनॉमिक्स टीचर व कवियत्री श्रीमती दीप्ती भी शामिल हुईं.



बोलो ज़िंदगी की टीम 
मधु हाल ही में तमिलनाडु में हुए मूक बधिर खेलकूद प्रतियोगिता में लॉन टेनिस स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर आयी है. नेशनल लेवल पर गोल्ड मैडल जीत चुकी मधु ने अबतक कुल 10  पदक हासिल किये हैं.

इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनकी तरफ से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों जायसवाल फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

जायसवाल फैमली 
फैमली परिचय- मधु के पिता सुबोध जायसवाल सायकल से फेरी लगाकर मोमबत्ती व गरम-मसाले का व्यवसाय करते हैं. घर में ही वे, उनकी पत्नी बेबी देवी और भाई प्रमोद जायसवाल मिलकर मोमबत्ती और मसाला तैयार करते हैं. ऐसी आर्थिक हालत का सामना करते हुए वे अपने चार बच्चों के परिवार को संभाला करते हैं. इनके बड़े भाई की जब मानसिक स्थिति खराब हो गयी तो घर के आर्थिक हालात की वजह से छोटे भाई प्रमोद जायसवाल ने शादी कर अपना परिवार नहीं बसाया बल्कि मधु को ही अपनी बेटी मानकर वे इसी फैमली के साथ रहते हैं. जब सुबोध बचपन में बेटी को दिखाने के लिए आये दिन डॉक्टरों के यहाँ चक्कर लगाया करते तो उसी दौरान एक डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी कि इलाज से भी अब मधु का ज्यादा सुधार नहीं हो पायेगा. इसलिए उचित यही रहेगा कि जितना पैसा आप इधर बर्बाद कर रहे हैं, उससे अच्छा वह पैसा उसकी पढ़ाई पर खर्च करें. यह सुनकर मधु को घर में ही इशारों ही इशारों में पढ़ाना -लिखाना शुरू हुआ. मधु के तीन भाई हैं. बड़े भाई सूरज जिनका हाल ही में गोहाटी में जॉब लगा है. धीरज पटना से बाहर व्यवसाय कर रहे हैं तो नीरज दिल्ली में पढ़ाई कर रहे हैं.

मधु जायसवाल -  कुर्जी की रहनेवाली इंटरनेशनल लॉन टेनिस प्लेयर मधु ने हाल ही में इंटरमीडियट की परीक्षा दी है और ग्रेजुएशन में एडमिशन लेनेवाली हैं. मधु को बचपन से ही बोलने-सुनने की समस्या थी. 6 ठी कक्षा में मधु का दाखिला जेम्स इंस्टीच्यूट में कराया गया. वहां भी मधु हर क्षेत्र में आगे रहती.लेकिन मधु के लिए खेल करियर तब बना जब उसकी एक सीनियर प्लेयर शिल्पी जायसवाल जूनियर ब्रिटिश ओपन जीतकर लौटी और उसी से प्रेरित होकर मधु ने निश्चय किया कि वह भी शिल्पी की तरह चोटी की लॉन टेनिस प्लेयर बनेगी. उसके इस जज्बे को आगे बढ़ाने में जेम्स इंस्टीच्यूट के हेड एवं कोच अमलेश जी ने काफी सहायता की. चूँकि लॉन टेनिस एक महंगा खेल है और मधु के घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी.
इसलिए मधु काफी परेशान थी. लेकिन जिस जेम्स इंस्टीच्यूट में वह स्पीच थेरेपी लेती थी वहां के माध्यम से मधु को टेनिस कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए भेजा गया. वर्ष 2008  से ही मधु बिहार लॉन टेनिस एसोसिएशन पाटलिपुत्रा टेनिस कोर्ट में रेगुलर प्रैक्टिस करती आ रही है. बिहार सरकार द्वारा आयोजित खेल सम्मान समारोह में वर्ष 2012 ,13 एवं 14 में लगातार तीन बार मधु को सम्मानित किया जा चुका है.

जब हमारी स्पेशल गेस्ट दीप्ती जी ने पूछा कि "क्या मधु को बाहर आने-जाने में कभी कोई समस्या का सामना तो नहीं करना पड़ा...?" इसपर मधु ने नहीं का इशारा किया तो फिर मधु की माँ बेबी देवी ने बताया कि "ये जब खेलने के लिए बिहार से बाहर जाती है तो बहुत ख़ुशी महसूस करती है. एक बार जब ये मेरे साथ ऑटो रिक्शा में बैठकर आ रही थी उसी दरम्यान एक लड़का मेरे बगल में सटकर बैठ गया तो यह मधु को अच्छा नहीं लगा और उसने जिद करके वहां से उस लड़के को हटने पर मजबूर कर दिया."

जायसवाल फैमली ने जब 'बोलो ज़िन्दगी' से अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि "हमें इसकी शादी की भी चिंता है. हम चाहते हैं कि कास्ट उन्नीस-बीस भी हो कोई बात नहीं मगर कोई डेफ में स्पोर्ट्स वाला लड़का मिल जाता तो वो मधु के भविष्य के लिए अच्छा होता." फिर मधु के पापा ने बताया कि वे चाहते हैं कि दिव्यांगता या खेल कोटे से मधु को सरकारी नौकरी लग जाये. इसपर हमारी टीम मेंबर तबस्सुम अली ने उन्हें आश्वस्त किया कि "मैं इसकी शादी में भी सपोर्ट करुँगी और इसके जॉब के लिए विकलांग अधिकार मंच के लोगों से बात करुँगी."

सन्देश- जायसवाल फैमली के यहाँ से विदा होने से पहले बोलो जिंदगी की स्पेशल गेस्ट दीप्ती जी ने यह सन्देश दिया कि "आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप शारीरिक रूप से सक्षम हों, मानसिक सक्षमता ही हमको आगे बढाती है. कोई कमी अगर शरीर में है तो उसके चलते हम पीछे नहीं हट सकतें. और इस बात को मधु जायसवाल ने साबित किया है जो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर तक जा चुकी है."

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