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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Sunday, 10 February 2019

फैमली ऑफ़ द वीक : मधु जायसवाल फैमली, कुर्जी, पटना

'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' के सौजन्य से जायसवाल फैमली को आकर्षक
 गिफ्ट भेंट करतीं बोलो ज़िंदगी की स्पेशल गेस्ट दीप्ती 
10 फरवरी, सरस्वती पूजा की शाम 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू', प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के मस्जिद गली, कुर्जी स्थित  लॉन टेनिस की इंटरनेशनल प्लेयर मधु जायसवाल की फैमली के घर. जहाँ हमारी स्पेशल गेस्ट संत डॉमनिक सेवियोज हाई स्कूल, नासरीगंज की इकोनॉमिक्स टीचर व कवियत्री श्रीमती दीप्ती भी शामिल हुईं.



बोलो ज़िंदगी की टीम 
मधु हाल ही में तमिलनाडु में हुए मूक बधिर खेलकूद प्रतियोगिता में लॉन टेनिस स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर आयी है. नेशनल लेवल पर गोल्ड मैडल जीत चुकी मधु ने अबतक कुल 10  पदक हासिल किये हैं.

इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है रामनगरी आशियाना नगर, पटना के 'माँ वैष्णवी ज्वेलर्स' ने जिनकी तरफ से हमारी स्पेशल गेस्ट के हाथों जायसवाल फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

जायसवाल फैमली 
फैमली परिचय- मधु के पिता सुबोध जायसवाल सायकल से फेरी लगाकर मोमबत्ती व गरम-मसाले का व्यवसाय करते हैं. घर में ही वे, उनकी पत्नी बेबी देवी और भाई प्रमोद जायसवाल मिलकर मोमबत्ती और मसाला तैयार करते हैं. ऐसी आर्थिक हालत का सामना करते हुए वे अपने चार बच्चों के परिवार को संभाला करते हैं. इनके बड़े भाई की जब मानसिक स्थिति खराब हो गयी तो घर के आर्थिक हालात की वजह से छोटे भाई प्रमोद जायसवाल ने शादी कर अपना परिवार नहीं बसाया बल्कि मधु को ही अपनी बेटी मानकर वे इसी फैमली के साथ रहते हैं. जब सुबोध बचपन में बेटी को दिखाने के लिए आये दिन डॉक्टरों के यहाँ चक्कर लगाया करते तो उसी दौरान एक डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी कि इलाज से भी अब मधु का ज्यादा सुधार नहीं हो पायेगा. इसलिए उचित यही रहेगा कि जितना पैसा आप इधर बर्बाद कर रहे हैं, उससे अच्छा वह पैसा उसकी पढ़ाई पर खर्च करें. यह सुनकर मधु को घर में ही इशारों ही इशारों में पढ़ाना -लिखाना शुरू हुआ. मधु के तीन भाई हैं. बड़े भाई सूरज जिनका हाल ही में गोहाटी में जॉब लगा है. धीरज पटना से बाहर व्यवसाय कर रहे हैं तो नीरज दिल्ली में पढ़ाई कर रहे हैं.

मधु जायसवाल -  कुर्जी की रहनेवाली इंटरनेशनल लॉन टेनिस प्लेयर मधु ने हाल ही में इंटरमीडियट की परीक्षा दी है और ग्रेजुएशन में एडमिशन लेनेवाली हैं. मधु को बचपन से ही बोलने-सुनने की समस्या थी. 6 ठी कक्षा में मधु का दाखिला जेम्स इंस्टीच्यूट में कराया गया. वहां भी मधु हर क्षेत्र में आगे रहती.लेकिन मधु के लिए खेल करियर तब बना जब उसकी एक सीनियर प्लेयर शिल्पी जायसवाल जूनियर ब्रिटिश ओपन जीतकर लौटी और उसी से प्रेरित होकर मधु ने निश्चय किया कि वह भी शिल्पी की तरह चोटी की लॉन टेनिस प्लेयर बनेगी. उसके इस जज्बे को आगे बढ़ाने में जेम्स इंस्टीच्यूट के हेड एवं कोच अमलेश जी ने काफी सहायता की. चूँकि लॉन टेनिस एक महंगा खेल है और मधु के घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी.
इसलिए मधु काफी परेशान थी. लेकिन जिस जेम्स इंस्टीच्यूट में वह स्पीच थेरेपी लेती थी वहां के माध्यम से मधु को टेनिस कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए भेजा गया. वर्ष 2008  से ही मधु बिहार लॉन टेनिस एसोसिएशन पाटलिपुत्रा टेनिस कोर्ट में रेगुलर प्रैक्टिस करती आ रही है. बिहार सरकार द्वारा आयोजित खेल सम्मान समारोह में वर्ष 2012 ,13 एवं 14 में लगातार तीन बार मधु को सम्मानित किया जा चुका है.

जब हमारी स्पेशल गेस्ट दीप्ती जी ने पूछा कि "क्या मधु को बाहर आने-जाने में कभी कोई समस्या का सामना तो नहीं करना पड़ा...?" इसपर मधु ने नहीं का इशारा किया तो फिर मधु की माँ बेबी देवी ने बताया कि "ये जब खेलने के लिए बिहार से बाहर जाती है तो बहुत ख़ुशी महसूस करती है. एक बार जब ये मेरे साथ ऑटो रिक्शा में बैठकर आ रही थी उसी दरम्यान एक लड़का मेरे बगल में सटकर बैठ गया तो यह मधु को अच्छा नहीं लगा और उसने जिद करके वहां से उस लड़के को हटने पर मजबूर कर दिया."

जायसवाल फैमली ने जब 'बोलो ज़िन्दगी' से अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि "हमें इसकी शादी की भी चिंता है. हम चाहते हैं कि कास्ट उन्नीस-बीस भी हो कोई बात नहीं मगर कोई डेफ में स्पोर्ट्स वाला लड़का मिल जाता तो वो मधु के भविष्य के लिए अच्छा होता." फिर मधु के पापा ने बताया कि वे चाहते हैं कि दिव्यांगता या खेल कोटे से मधु को सरकारी नौकरी लग जाये. इसपर हमारी टीम मेंबर तबस्सुम अली ने उन्हें आश्वस्त किया कि "मैं इसकी शादी में भी सपोर्ट करुँगी और इसके जॉब के लिए विकलांग अधिकार मंच के लोगों से बात करुँगी."

सन्देश- जायसवाल फैमली के यहाँ से विदा होने से पहले बोलो जिंदगी की स्पेशल गेस्ट दीप्ती जी ने यह सन्देश दिया कि "आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप शारीरिक रूप से सक्षम हों, मानसिक सक्षमता ही हमको आगे बढाती है. कोई कमी अगर शरीर में है तो उसके चलते हम पीछे नहीं हट सकतें. और इस बात को मधु जायसवाल ने साबित किया है जो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर तक जा चुकी है."

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