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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Saturday 6 May 2017

रेणु जी को महिला मित्र समझकर मेरी पत्नी मुझपर शक करने लगी थी : श्याम शर्मा,वरीय चित्रकार व चेयरमैन,ऐडवाइसरी कमिटी,नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट,नई दिल्ली

जब हम जवां थें
By: Rakesh Singh 'Sonu'



मेरा जन्म उतर प्रदेश, मथुरा के एक छोटे से कस्बे गोवर्धन में हुआ था. आगे की शिक्षा के लिए मैं बरेली चला आया जहाँ मेरे पिता जी का प्रिंटिंग प्रेस था. इंटरमीडिएट करने के बाद मेरा कला के क्षेत्र में प्रवेश हुआ.जब मैं ग्रेजुएशन करने लखनऊ आया तो ये पहला मौका था जब मैं घर छोड़कर हॉस्टल में रहा. मथुरा में पैदा होने की वजह से मैं प्याज और लहसुन नहीं खाता था लेकिन हॉस्टल के मेस में बिना प्याज के कोई सब्जी बनती ही नहीं थी. शुरू के बहुत से दिन मैंने चना खाकर गुजारे. लेकिन मुझे हॉस्टल में रहना था तो मेस में खाना ही था. फिर मैं धीरे धीरे अभ्यस्त हुआ और इस तरह से प्याज मेरे जीवन में परोक्ष रूप से प्रवेश कर गया. कला शिक्षा के दौरान ही मेरी शादी हो गयी थी जब मैं चौथे साल का विद्यार्थी था. जब कला महाविधालय में शिक्षक के रूप में पटना आया तब पत्नी भी साथ आयीं. हमलोग किराये के मकान में रहने लगें. अचानक मैं कॉलेज से लेट आने लगा. पत्नी पूछती कहाँ गए थें तो मैं धीरे से कह देता रेणु जी से मिलने. वो नाराज हो जातीं. रेणु जी को मेरी कोई महिला मित्र समझकर मेरी पत्नी मुझपर शक करने लगीं. ये रेणु जी से मिलने का किस्सा लम्बे अरसे तक चला और मैं पत्नी की नाराजगी को यूँ ही झेलता रहा.
     जब मेरी पत्नी ने 'आषाढ़ का एक दिन' पहला नाटक किया तो वहां अचानक जाने माने कहानीकार फणीश्वर नाथ 'रेणु' जी से उनकी मुलाक़ात हो गई. तब उनकी समझ में आया कि रेणु जी कौन हैं और मैं अक्सर किससे मिलने जाता था. पहले तो पत्नी शर्मिंदा हुईं कि इन्ही रेणु जी की वजह से वो कितनी बार मुझपर अपना गुस्सा दिखा चुकी थीं. फिर अपनी इस नादानी पर वो मन ही मन मुस्करायीं. ये जीवन का एक सुखद अनुभव रहा जो कभी कभी अकेले में मुझे गुदगुदा देता है.

प्रस्तुति : राकेश सिंह 'सोनू' 

2 comments:

  1. Hahahahahaaaa ..... Namaste Sir .... Very nice message through this incident .... 🙏🙏🙏

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