वो संघर्षमय दिन
By: Rakesh Singh 'Sonu'
पटना के मगध महिला से कॉलेज की पढ़ाई पूरी की... पढाई में मन नहीं लगता था.. क्या करना है ये ग्रेजुएशन तक मुझे नहीं पता चला. स्कूल कॉलेज में पढाई में पीछे और एक्टिंग ड्रामा में आगे रहती थी. तब एक्टिंग की तरफ शौकिया रुझान था..सीरियस तब हुई जब सोशल प्रेशर आया. पापा के दोस्तों ने टोकना शुरू कर दिया कि पिता अफसर हैं और ये क्या कर रही है?
यही क्या करूँ की तलाश मुझे दिल्ली ले गयी.दिल्ली के नाट्य थियेटर में एडमिशन नहीं हुआ क्यूंकि वहां सर्टिफिकेट माँगा गया. बड़े बड़े एक्टिंग स्कूल और नाट्य-कत्थक केंद्र में भी रिजेक्शन मिला. फिर प्रोफेशनल तो नहीं सिर्फ शौकिया प्ले करना शुरू किया गुरु सुरेन्द्र शर्मा के सानिध्य में. तब घर से पैसे मिल रहे थे. लेकिन मैं माँ-बाप का पैसा बर्बाद नहीं करना चाहती थी. फिर सोचा अब घरवालों के पैसे खर्च नहीं करुँगी. मैंने गुरु सुरेन्द्र शर्मा को असिस्ट करना शुरू किया.. तब प्ले करने पर प्रोत्साहन के तौर पर 500 -1000 मिलता था. दूरदर्शन में छोटे मोटे काम शुरू किये. गुरु ने मुझे मुंबई जाने की सलाह दी... लेकिन तब मुझे कैमरे की समझ नहीं थी. कॉन्फिडेंस नही था कि मैं टीवी में आऊं लेकिन मेरे गुरु का मुझपर बहुत भरोसा था.
2008 में मुंबई के लिए रवाना हुई अपने सपनो को पंख देने के लिए. शुरू शुरू में बहुत जोश था, लेकिन जब कभी पैसे कम होते जोश तुरंत ठंढा हो जाता था. तब गुरु फ़ोन पर बात करके उत्साहित करते. वो कहते,-" सफलता किसी एक की जागीर नहीं, तुम्हे भी हक़ है और उसे लेकर ही रहना है". फिर मैं ऑडिशन पर ऑडिशन देने लगी, ज़िन्दगी संघर्षमय थी लेकिन घर में अक्सर झूठ बोलती कि यहाँ सब ठीक है, पैसे की कोई किल्लत नहीं है. वैसे भी मैंने सच्चे दिल से भगवान से जो भी माँगा वो देर से ही सही मुझे ज़रूर मिला है. सीरियल में एक दो कैमियो करने के बाद मुझे एन. डी. टीवी इमेजिन पर 'राधा की बेटियां कुछ कर दिखाएंगी' में लीड रोल मिला. तब दिल्ली से मुंबई मुझे बेहतर लगने लगा. कई उतार चढाव आये पर हौसला बनाये रखा. उसके बाद धारावाहिक 'अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो' में ललिया के रोल ने मेरी ज़िन्दगी ही बदल दी. फिर अच्छे काम सामने से ऑफर होने लगे. एन.डी.टीवी इमेजिन पर 'स्वंयवर', स्टार प्लस पर 'महाभारत' में अम्बा का किरदार, और बिग बॉस एवं एम.टीवी.के शो 'फ़ना' से और शोहरत मिली.
No comments:
Post a Comment