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'बोलो ज़िन्दगी' ऑनलाइन मैगजीन के एडिटर हैं राकेश सिंह 'सोनू'

Sunday 4 August 2019

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : टीवी एंकर प्रिया सौरभ की फैमली, गोला रोड, पटना



इस वीकेंड 'बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक' के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह 'सोनू' एवं प्रीतम कुमार) पहुंची पटना के गोला रोड इलाके में टीवी एंकर प्रिया सौरभ के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में हिंदी-भोजपुरी के जानेमाने साहित्यकार, फिल्म समीक्षक व टीवी प्रेजेंटर श्री मनोज भावुक भी शामिल हुएं. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों प्रिया सौरभ की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

फैमली परिचय- प्रिया सौरभ 2010 से टीवी एंकरिंग कर रही हैं. अभी दूरदर्शन बिहार की एंकर हैं साथ ही साथ इवेंट्स में फ्रीलांस एंकरिंग भी करती हैं. हसबैंड विकास कुमार की खुद की कंस्ट्रक्शन कम्पनी है, यशी ग्रीन होम्स प्राइवेट लिमिटेड और स्वप्न बिहार प्राइवेट लिमिटेड जो पार्टनरशिप में रन कर रही है.  बेटा अंश अनय जो यूकेजी में है, हाइपर ऐक्टिव है, कभी-कभी बहुत ज्यादा परेशान कर देता है. अभी कराटे में वाइट बेल्ट होल्डर है.

प्रिया का टैलेंट - लेखन-
आस-पास की घटनाओं से प्रभावित होकर लिखना शुरू किया. ऐसे लिखने की आदत तो हमेशा से रही है लेकिन तब लिखकर डायरी में रख दिया करती थीं, लेकिन सोशल मीडिया ने जबसे अच्छा प्लेटफॉर्म मिला तबसे वहां पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हैं. लोगों से प्रशंसा भी मिलती है. सबसे ज्यादा ख़ुशी तब होती है जब आपके गुरु आपको प्रोत्साहित करें, इनके कॉलेज में थें रवि रंजन सिन्हा सर जो बिहार के चर्चित जर्नलिस्ट रह चुके हैं, वो हमेशा से प्रिया को प्रोत्साहित करते आये हैं कि "तुम्हारे लिखने का लहजा अच्छा है, आगे भी जारी रखो." प्रिया बहुत भारी भरकम शब्द नहीं इस्तेमाल करती हैं, जो बोलचाल की भाषा के शब्द हैं उसका इस्तेमाल करती हैं. तो ये चीज उनके सर को बहुत अच्छी लगी. अभी थोड़ी ज्यादा व्यस्तता है इसी वजह से दो-चार महीने से नहीं लिख पा रही हैं लेकिन लिखने का शौक इतना जल्दी छूटने से तो रहा. हमेशा कुछ लिखकर फोन में सेव कर लिया करती हैं. इनकी कविताओं में व्यंग भी है, इमोशंस भी है, आक्रोश भी है यानि हरेक मूड की कवितायेँ हैं.

बागवानी का शौक - प्रिया जब प्लांट्स खरीदने जाती हैं तो काफी रिसर्च करके जाती हैं कि घर में रखनेवाले वैसे प्लांट जो काबर्न डाई ऑक्साइड ज्यादा ऑब्जर्व करके ऑक्सीजन ज्यादा छोड़ते हैं जैसे स्नेक प्लांट, मणि प्लांट, जिनको कम सन लाइट और कम देखरेख की ज़रूरत पड़ती है. फिर वैसे प्लांट जो पूरे वर्ष आपको फूल दें जैसे गुलाब, अड़हुल आदि भी उनकी लिस्ट में होते हैं. पहले जिस घर में रहती थीं वहां सन लाइट कम आती थी, अब जब नए घर में आयी हैं तो यहाँ प्रॉपर सन लाइट है. शादी के पहले जब मायके में नाना जी के साथ रहती थीं, चूँकि नाना जी ऐग्रिकल्चर डिपार्टमेंट में बीडीओ थें. उनसे बहुत कुछ सीखा. प्रिया जी को पता है कि जब फ्लावर्स नहीं होते हैं तो कौन सा खाद डालना है, घर में हम किस तरह से खाद बना सकते हैं.... एक बहुत आसान सा खाद है जिसको अगर घर में बना लें तो महज 20 रुपये में आपके प्लांट्स बहुत अच्छा ग्रो करेंगे. जिसको सरसो खल्ली कहते हैं उसको गर्मी के दिनों में चार से पांच दिन तक और ठंढ के मौसम में 15 दिनों तक बंद डब्बे में पानी में डालकर छोड़ दें. फिर उसमे से एक पार्ट सरसो खल्ली का लिक्विड और 5 पार्ट पानी मिक्स करके आधा-आधा मग सारे प्लांट्स में डालिये फिर और कुछ भी डालने की ज़रूरत नहीं है.
       बागवानी आमतौर पर डेढ़ साल पहले से शुरू किया. इनके पास अभी 96 प्लांट के गमले लगे हैं, जिसमे अभी दस रंग के फूल वाले अड़हुल के पौधे हैं, गुलाब के लगभग सारे कलर्स हैं, स्पेशल में ब्लीडिंग हार्ट पौधा है प्रिया जी के पास. हर्बल में ऐलोवेरा, तुलसी और कढ़ी पत्ता है जो आपकी बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल नहीं डाइजेस्ट होने देता है. उसके जड़, पत्तियों से लेकर फूल तक अड़हुल का पौधा भी पूरा का पूरा मेडिसिन ही है.हम जिस सोसायटी में अभी नयी शिफ्ट हुई हैं वहां पहले से कुछ लोग प्लांटेशन करते हैं तो प्रिया ने उन्हें पूछ-पूछकर अपने पास से कोई ना कोई पौधा भेंट किया कि ये आपके पास नहीं है न तो इसे रखिये. अड़हुल का पौधा भी पूरा का पूरा मेडिसिन ही है, और इनकी बिल्डिंग में कोई भी आता है तो सबसे पहले उनका काम होता है कि वे मेरी बालकनी देखते हैं. खासकर सुबह के वक़्त तब बहुत सारा फूल खिला होता है. और सुबह-सुबह इतने फूल टूट जाते हैं जिससे भगवान की अच्छे से पूजा हो जाती है. कुछ लोग जब मेरे पौधों के बारे में पूछते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है. बहुत से लोग कहते हैं कि गमला नहीं रखेंगे, टाइम लगता है, ये दिक्कत है, वो दिक्कत है... लेकिन ऐसा नहीं है, अरे कुंआ से पानी भरना है, आपको नल खोलकर के पाइप या मग से पानी डालना है. मैं भी बहुत व्यस्त रहती हूँ, कभी-कभी दो-दो दिन हम पटना में नहीं रह पातें तो हमारे घर के प्लांट्स, फिश, बर्ड्स सबके लिए कुछ मैनेज करना पड़ता है और हम कर लेते हैं.
इसके अलावा घर सजाने का बहुत शौक है, अकेले घूमने का भी बहुत शौक है. कभी बिहार से बाहर सोलो ट्रिप पर जाने का मौका नहीं मिला लेकिन मिला तो ज़रूर जाना चाहूँगी.

हसबैंड का टैलेंट - जब बोलो ज़िंदगी ने सवाल किया कि आपके हसबैंड का कोई शौक है तो प्रिया जी बोलीं कि "हाँ उन्हें न्यूज सुनने का बहुत शौक है." फिर हमने पूछा "उनमे क्या टैलेंट है..?" तो तपाक से बोलीं - "हाँ उनका कंवेंसिंग टैलेंट गजब का है, किसी को भी कन्वेंस कर लेते हैं." फिर जब बोलो ज़िन्दगी ने खुद उनसे ही जानना चाहा तो वे फरमाएं- "टैलेंट क्रिकेट था जो समय और सिचुएशन के हिसाब से खत्म हो गया."
जब विकास कुमार की स्टडी लाइफ स्टार्ट हुई तो उन्होंने पढ़ते हुए जॉब किया था, क्रिकेट से इनको बहुत लगाव था, बिहार के लिए कलेक्शन भी हुआ था लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से ये खेलने नहीं जा पाएं. पापा चाहते थें कि हम डॉक्टर बनें लेकिन ये ऐसी पढ़ाई है जिसे एक मीडिल क्लास फैमिली अफोर्ड नहीं कर सकती और दूसरा ये कि हमारे फादर ज्वाइंट्स फैमली में थें, उनके ऊपर तब घर और छोटे चाचा की जिमेदारी थी इन्ही वजहों से कोई शौक चाहकर भी ये पूरा नहीं कर पाते थें. जब इनके पिता की नौकरी लगी तब कुछ स्थिति सुधरी, इसके बाद तो ये 12 वीं पास करने के बाद ही जॉब करने लगें. यूनिलीवर में सेल्स डिपार्टमेंट में ज्वाइन किया था, वहीँ से जॉब करते हुए पहले ग्रेजुएशन फिर एमबीए किये. जब मार्केटिंग में आएं तो मीडिया फिल्ड में भी मार्केटिंग किया, फिर 2007 में रियल स्टेट ज्वाइन किया. वहां से बढ़ते हुए इन्होने पार्टनरशिप में अपनी कम्पनी स्टार्ट की. विकास कहते हैं कि "कोशिश करता हूँ कि जिनको पता नहीं है कि क्या करना है, फ्यूचर में कुछ गोल लेकर नहीं चल रहा हैं, उनको प्रोत्साहित करता हूँ, आइडिया देता हूँ कि क्या करना चाहिए और कैसे अपने आप को आगे बढ़ाना चाहिए. अक्सर उनसे कहता हूँ कि "एक एम्बिशन लेकर चलो और जिसमे आपका इंट्रेस्ट है वो अगर आप करें तो ज्यादा बेस्ट होगा."

प्रिया सौरभ ने बोलो ज़िन्दगी टीम को अपनी बालकनी की बागवानी को दिखाया जो बहुत ही खूबसूरत लगा और फिर अपनी कुछ कविताओं को सुनाया जो सच में इमोशंस से भरी हुई थीं. उनके इस टैलेंट को देखकर हमारे स्पेशल गेस्ट मनोज भावुक जी ने प्रिया सौरभी को लेखन के कुछ टिप्स दिए और फिर बोलो ज़िन्दगी के कहने पर अपनी कुछ कविता-गजल भी सुनाई.
अब विदा लेने से पहले बोलो ज़िन्दगी टीम ने प्रिया सौरभ की फैमली को एक जगह बैठाया और प्रीतम कुमार ने उनका फैमिली पिक्चर क्लिक कर लिया.
 (इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है)








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