31 अगस्त, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना में दिव्यांगजन हेतु बाधारहित परिसर का राज्य आयुक्त निशक्ततता (दिव्यांगजन) की अध्यक्षता में अंकेक्षण व निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर औटिज्म स्पेक्ट्रम डिसौडर (स्वलिनता संबंधी विकार) पर एम्स,पटना की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य आयुक्त निशक्ततता, बिहार डॉ॰ शिवाजी कुमार ने कहा कि "किसी भी तरह की दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। दिव्यांगजन भी समान जन जैसा कार्य कर सकते हैं। हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए को दिव्यांगजन भी हमारे समाज का ही हिस्सा हैं।" औटिज्म पीड़ित माता-पिता को संबोधित करते हुए बताया कि "आपके बच्चे में असीम संभावनाएँ हैं। अबतक जितने भी शोध हुए या जितने भी उपकरण निर्मित हुए उनमें औटिज्म पीड़ित लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जरूरत इस बात की हैं कि उनमें मौजूद गुणों को समय पर परख कर कौशल विकास कराया जाये। इस समस्या से पीड़ित लोगों को उनके अभिभावकगण को भी विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता होती हैं ताकि वह अपने बच्चों की उचित देखरेख कर सके।" इसके साथ ही डॉ॰ कुमार ने राज्य में दिव्यांगजन के लिए चलाये जा रहे विभिन्न योजनाओं की जानकारी एम्स,पटना के चिकित्सकों, प्रोफेशनल व विद्यार्थियों को दिया। अपने संबोधन के बाद पूरे संस्थान का निरिक्षण सह दिव्यांगजन की सुग्मता हेतु बाधारहित परिसर का अंकेक्षण किया।
इस अवसर पर डॉ॰ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक ने विभिन्न विभागों के चिकित्सकों से समन्वय स्थापित कर दी जाने वाली सुविधाओं पर चर्चा की। मानसिक रोग विभाग,एम्स,पटना के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार व शिशु रोग विभाग,एम्स, पटना के डॉ॰ लोकेश तिवारी से भी राजधानी पटना के मनोवैज्ञानिक डॉ॰ मनोज कुमार ने चर्चा में बताया कि "औटिज्म पीड़ित माता-पिता को काफी बारीक़ प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अर्ली इंटरवेशन तकनीक इस दिशा में कारगर पहल कर सकता है। माता-पिता के साथ ग्रामीण इलाकों में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक इसकी जागरूकता आवश्यक रुप से होनी चाहिए। सभी चिकित्सकों को इसपर मिलकर काम करने से समाज में इसका व्यापक असर होगा।" आज के इस महत्वपूर्ण दौरे की अध्यक्षता में राज्य आयुक्त निशक्ततता (दिव्यांगजन), बिहार द्वारा शिशु विभाग,मानसिक रोग विभाग, भौतिक चिकित्सा व पुनर्वास विभाग के विभागाध्यक्ष के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देशन दिये गये। एम्स,पटना के निदेशक के साथ भी महत्वपूर्ण मिंटिग कर दिव्यांगजन के सर्टिफिकेट बनाने व एक ही दिन में किसी भी दिव्यांगजन को प्रमाणपत्र बनाने में मदद करने का अह्वावान किया गया। इस अवसर पर बिहार के विभिन्न जिलों से प्रबुद्ध नागरिकों, कानूनविद्,मेडिकल स्टुडेन्टस व पीड़ित व उनके अभिभावकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।
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