By : Rakesh Singh 'Sonu'
उसके पास हुनरवाले पंख थें लेकिन उसे उड़ने के लिए मुकम्मल आसमान नहीं मिल रहा था. लेकिन एक दिन धुंध के बादल छटें तो उसे सफलता का नीला आसमान नज़र आ गया. फिर क्या था वह अपने हौसलों भरी उड़ान से आसमान छूने निकल पड़ी.... हम बात कर रहे हैं 'स्रिया मिस इंडिया 2017' की सेकेण्ड रनरअप का ख़िताब जीत चुकीं अल्का सिंह की. वे यहाँ तक कैसे पहुंची इसके लिए आइये जानते हैं उनकी शुरुआत की कहानी.
अल्का यूँ तो बिहार से हैं लेकिन फैमली के साथ रहना होता है झाड़खंड में. माड़वाड़ी कॉलेज रांची से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन कर चुकी हैं. 12 वीं से ही मॉडलिंग कर रही हैं. इससे पहले 2016 में मिस झाड़खंड ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भी सेकेण्ड रनरअप रही हैं. अल्का 11 वीं का एक्जाम देकर ऐसे ही रूम पर बैठी हुई थीं, उतनी पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. उसी दौरान एक दिन न्यूज पेपर देखीं कि मि.एन्ड मिस झाड़खंड हो रहा है तो जाकर ऑडिशन दिया और सलेक्शन हो गया. तब अल्का की मम्मी ने इजाजत नहीं दिया लेकिन पापा ने दे दिया. उनका सेलेक्शन हाइट और एक्सप्रेशन के आधार पर ही हो गया. उस वक़्त उन्हें मॉडलिंग का कोई आइडिया भी नहीं था. फिर भी वहां ग्रूमिंग के दौरान करते-करते एक्सपीरियंस हो गया. ऑडिशन के दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी. फैमली ने बारिश को लेकर जाने से मना किया. लेकिन अल्का ने जाने की जिद की. तब एक पड़ोस के अंकल ने कहा- "ठीक है बेटा, चलो मैं तुम्हें स्कूटी से लेकर चलता हूँ." फिर बारिश में वे भीगते हुए वहां पहुंचीं. फॉर्म भरकर ऑडिशन दिया. वहां बोला गया कि तुम्हें और ज्यादा ग्रूम करना पड़ेगा क्यूंकि इसमें तुम काफी लूज हो. ग्रूमिंग के दौरान सारी लड़कियां अल्का के बारे में बोलतीं- "इससे मॉडलिंग नहीं हो पायेगा. ये क्या मॉडलिंग करेगी?" तब वे एक कोने में बैठकर रोया करती थीं कि मेरे से सचमुच ये सब नहीं हो पायेगा. सर से डांट भी पड़ती थी. उन्हें कोई अपना इंटरव्यू देने को कहता तो वे माइक लेते ही एकदम कांपने लगती थीं. नर्वस होकर कुछ बोल ही नहीं पाती थीं.
फिर एक दिन उनके पैरेंट्स को कहा गया कि "इसको ले जाएँ ये नहीं कर पायेगी मॉडलिंग." तब पैरेंट्स ने अल्का से कहा- "ठीक है, ये वाला कर लो, नेक्स्ट टाइम से मत करना और पढ़ाई पर ध्यान देना." तब ग्रूमिंग के दौरान जब अल्का घर से सुबह 10 बजे जो जातीं तो शाम 5 बजे वापस आतीं. फिर वहां से आकर फ्रेश होकर खुद से प्रैक्टिस करतीं कि कैसे चलना है. ग्रूमिंग एक हफ्ता चला. घर पर आईने में देखकर बोलने की प्रैक्टिस करती थीं. जैसे उनसे कोई सवाल कर रहा हो. शो के एक दिन पहले अल्का ने बहुत मेहनत की. फिर वह अच्छे परफॉर्मेंस की वजह से मिस झाड़खंड सेकेण्ड रनर अप चुन ली गयीं. तब उनसे सवाल किया गया था कि "अगर आप मिस झाड़खंड बनी और आपको मौका मिला तो नारियों के हित में आप क्या करेंगी?" अल्का का जवाब था - "मैं एक एक्ट्रेस बनूँगी, इस दौरान मैं वो स्टोरी सामने लाऊंगी जिससे समाज में महिलाओं की छवि सम्मानजनक बने." शायद अल्का का जवाब उन्हें पसंद आया और उनका रैंप वॉक भी सही हुआ था. फिर वहां मौजूद ऑडियंश से पूछा गया कि "इनमे से विनर, फर्स्ट एन्ड सेकेण्ड रनरअप किसे बनाया जाये?" क्यूंकि इसमें पब्लिक का भी सपोर्ट होता है. पब्लिक ने सेकेण्ड रनरअप के लिए अल्का का नाम लिया.
ये कॉन्टेस्ट जीतने के बाद भी उनकी मम्मी ने कहा- "ठीक है, ये शो कर ली अब घर पर बैठो और पढ़ाई करो. बैंकिंग, टीचिंग वगैरह की तैयारी करो." अल्का ने तब तो हाँ कर दी लेकिन उनके भी कुछ सपने थें. उसके बाद वे घरवालों को मनाकर कई शो करने लगीं. प्रोफेशनल मॉल्ड्लिंग शो करना स्टॉर्ट कर दिया. जिसमे हाइवे फैशन शो, हाईव, प्रतिभा, यामहा आदि कंपनियों के लिए डिजायनर फैशन शो रांची में किया.
उनके साथ एक लड़की जिसने मिस झाड़खंड कॉन्टेस्ट में पार्टिशिपेट किया था उसने अल्का को 'स्रिया मिस्टर एन्ड मिस इण्डिया' कॉन्टेस्ट के बारे में बताया. वो उसमे फर्स्ट रनरअप का ख़िताब जीतकर आयी थी. उस कॉन्टेस्ट में अल्का वाइल्ड कार्ड एंट्री के तहत गयी थीं. क्यूंकि वो लड़की जो वहां से जीतकर आई तो वह ऐसी किसी भी मॉडल को प्रेजेंट कर सकती थी जिसपर उसे विश्वास हो कि वो यहाँ तक पहुँच सकती है. तो उस हिसाब से अल्का को उसमे भेजा गया. वहां भी ग्रूम वैगेरह किया गया. उस शो का ऑडिशन भी रांची, उत्तराखंड इत्यादि लगभग हर स्टेट में हुआ था. अल्का पहली बार ऐसे किसी बड़े ब्यूटी कॉन्टेस्ट में हिस्सा ले रही थीं. फ़ाइनल जयपुर में हुआ.
इस कॉन्टेस्ट का लेवल बहुत बड़ा था. इसलिए अल्का शुरुआत में इतनी नर्वस फील करने लगी कि ऐसा महसूस हुआ कि अब छोड़ दें. फिर भी कोरियोग्राफर सर बोलते थें "हिम्मत रखो, सब ठीक होगा." अल्का बताती हैं "जब फ़ाइनल दिन आया तो हम सभी लड़कियों की आँख से आंसू निकल रहा था कि क्या होगा क्या नहीं, सब डरी हुई थीं." फिर टॉप 10 हुआ, उसमे अल्का का सलेक्शन हुआ. टॉप 5 में उन्हें ऐसा लग रहा था कि पता नहीं होगा कि नहीं होगा. वे चेयर पर बैठी थीं, फिर सबसे लास्ट में उनका नाम आया. उसके बाद वे टॉप 3 में पहुंचीं. हर राउंड में सवाल पूछे जा रहे थें. अल्का एक-एक स्टेप पार करतीं जा रही थीं. फ़ाइनल राउंड में अल्का को सेकेण्ड रनरअप चुना गया.
इस कामयाबी से मिले कॉन्फिडेंस ने अब अल्का के जीने के मायने बदल दिए हैं. हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने मॉडल अल्का सिंह को झारखंड स्टेट यूथ सेक्रेटरी के रूप में मनोनीत किया है. 'बोलो जिंदगी' ने जब सवाल किया कि "अब आगे क्या इरादा है...?" तो अल्का कहती हैं "लोगों की उम्मीदें मुझसे बढ़ गयी हैं खासकर मेरे झाड़खंड वासियों की. अभी पटना में एक फिल्म की शूटिंग चल रही है क्यूंकि अब मैंने एक्टिंग फिल्ड में जाने का मन भी बना लिया है."
उसके पास हुनरवाले पंख थें लेकिन उसे उड़ने के लिए मुकम्मल आसमान नहीं मिल रहा था. लेकिन एक दिन धुंध के बादल छटें तो उसे सफलता का नीला आसमान नज़र आ गया. फिर क्या था वह अपने हौसलों भरी उड़ान से आसमान छूने निकल पड़ी.... हम बात कर रहे हैं 'स्रिया मिस इंडिया 2017' की सेकेण्ड रनरअप का ख़िताब जीत चुकीं अल्का सिंह की. वे यहाँ तक कैसे पहुंची इसके लिए आइये जानते हैं उनकी शुरुआत की कहानी.
अल्का यूँ तो बिहार से हैं लेकिन फैमली के साथ रहना होता है झाड़खंड में. माड़वाड़ी कॉलेज रांची से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन कर चुकी हैं. 12 वीं से ही मॉडलिंग कर रही हैं. इससे पहले 2016 में मिस झाड़खंड ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भी सेकेण्ड रनरअप रही हैं. अल्का 11 वीं का एक्जाम देकर ऐसे ही रूम पर बैठी हुई थीं, उतनी पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. उसी दौरान एक दिन न्यूज पेपर देखीं कि मि.एन्ड मिस झाड़खंड हो रहा है तो जाकर ऑडिशन दिया और सलेक्शन हो गया. तब अल्का की मम्मी ने इजाजत नहीं दिया लेकिन पापा ने दे दिया. उनका सेलेक्शन हाइट और एक्सप्रेशन के आधार पर ही हो गया. उस वक़्त उन्हें मॉडलिंग का कोई आइडिया भी नहीं था. फिर भी वहां ग्रूमिंग के दौरान करते-करते एक्सपीरियंस हो गया. ऑडिशन के दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी. फैमली ने बारिश को लेकर जाने से मना किया. लेकिन अल्का ने जाने की जिद की. तब एक पड़ोस के अंकल ने कहा- "ठीक है बेटा, चलो मैं तुम्हें स्कूटी से लेकर चलता हूँ." फिर बारिश में वे भीगते हुए वहां पहुंचीं. फॉर्म भरकर ऑडिशन दिया. वहां बोला गया कि तुम्हें और ज्यादा ग्रूम करना पड़ेगा क्यूंकि इसमें तुम काफी लूज हो. ग्रूमिंग के दौरान सारी लड़कियां अल्का के बारे में बोलतीं- "इससे मॉडलिंग नहीं हो पायेगा. ये क्या मॉडलिंग करेगी?" तब वे एक कोने में बैठकर रोया करती थीं कि मेरे से सचमुच ये सब नहीं हो पायेगा. सर से डांट भी पड़ती थी. उन्हें कोई अपना इंटरव्यू देने को कहता तो वे माइक लेते ही एकदम कांपने लगती थीं. नर्वस होकर कुछ बोल ही नहीं पाती थीं.
फिर एक दिन उनके पैरेंट्स को कहा गया कि "इसको ले जाएँ ये नहीं कर पायेगी मॉडलिंग." तब पैरेंट्स ने अल्का से कहा- "ठीक है, ये वाला कर लो, नेक्स्ट टाइम से मत करना और पढ़ाई पर ध्यान देना." तब ग्रूमिंग के दौरान जब अल्का घर से सुबह 10 बजे जो जातीं तो शाम 5 बजे वापस आतीं. फिर वहां से आकर फ्रेश होकर खुद से प्रैक्टिस करतीं कि कैसे चलना है. ग्रूमिंग एक हफ्ता चला. घर पर आईने में देखकर बोलने की प्रैक्टिस करती थीं. जैसे उनसे कोई सवाल कर रहा हो. शो के एक दिन पहले अल्का ने बहुत मेहनत की. फिर वह अच्छे परफॉर्मेंस की वजह से मिस झाड़खंड सेकेण्ड रनर अप चुन ली गयीं. तब उनसे सवाल किया गया था कि "अगर आप मिस झाड़खंड बनी और आपको मौका मिला तो नारियों के हित में आप क्या करेंगी?" अल्का का जवाब था - "मैं एक एक्ट्रेस बनूँगी, इस दौरान मैं वो स्टोरी सामने लाऊंगी जिससे समाज में महिलाओं की छवि सम्मानजनक बने." शायद अल्का का जवाब उन्हें पसंद आया और उनका रैंप वॉक भी सही हुआ था. फिर वहां मौजूद ऑडियंश से पूछा गया कि "इनमे से विनर, फर्स्ट एन्ड सेकेण्ड रनरअप किसे बनाया जाये?" क्यूंकि इसमें पब्लिक का भी सपोर्ट होता है. पब्लिक ने सेकेण्ड रनरअप के लिए अल्का का नाम लिया.
ये कॉन्टेस्ट जीतने के बाद भी उनकी मम्मी ने कहा- "ठीक है, ये शो कर ली अब घर पर बैठो और पढ़ाई करो. बैंकिंग, टीचिंग वगैरह की तैयारी करो." अल्का ने तब तो हाँ कर दी लेकिन उनके भी कुछ सपने थें. उसके बाद वे घरवालों को मनाकर कई शो करने लगीं. प्रोफेशनल मॉल्ड्लिंग शो करना स्टॉर्ट कर दिया. जिसमे हाइवे फैशन शो, हाईव, प्रतिभा, यामहा आदि कंपनियों के लिए डिजायनर फैशन शो रांची में किया.
उनके साथ एक लड़की जिसने मिस झाड़खंड कॉन्टेस्ट में पार्टिशिपेट किया था उसने अल्का को 'स्रिया मिस्टर एन्ड मिस इण्डिया' कॉन्टेस्ट के बारे में बताया. वो उसमे फर्स्ट रनरअप का ख़िताब जीतकर आयी थी. उस कॉन्टेस्ट में अल्का वाइल्ड कार्ड एंट्री के तहत गयी थीं. क्यूंकि वो लड़की जो वहां से जीतकर आई तो वह ऐसी किसी भी मॉडल को प्रेजेंट कर सकती थी जिसपर उसे विश्वास हो कि वो यहाँ तक पहुँच सकती है. तो उस हिसाब से अल्का को उसमे भेजा गया. वहां भी ग्रूम वैगेरह किया गया. उस शो का ऑडिशन भी रांची, उत्तराखंड इत्यादि लगभग हर स्टेट में हुआ था. अल्का पहली बार ऐसे किसी बड़े ब्यूटी कॉन्टेस्ट में हिस्सा ले रही थीं. फ़ाइनल जयपुर में हुआ.
इस कॉन्टेस्ट का लेवल बहुत बड़ा था. इसलिए अल्का शुरुआत में इतनी नर्वस फील करने लगी कि ऐसा महसूस हुआ कि अब छोड़ दें. फिर भी कोरियोग्राफर सर बोलते थें "हिम्मत रखो, सब ठीक होगा." अल्का बताती हैं "जब फ़ाइनल दिन आया तो हम सभी लड़कियों की आँख से आंसू निकल रहा था कि क्या होगा क्या नहीं, सब डरी हुई थीं." फिर टॉप 10 हुआ, उसमे अल्का का सलेक्शन हुआ. टॉप 5 में उन्हें ऐसा लग रहा था कि पता नहीं होगा कि नहीं होगा. वे चेयर पर बैठी थीं, फिर सबसे लास्ट में उनका नाम आया. उसके बाद वे टॉप 3 में पहुंचीं. हर राउंड में सवाल पूछे जा रहे थें. अल्का एक-एक स्टेप पार करतीं जा रही थीं. फ़ाइनल राउंड में अल्का को सेकेण्ड रनरअप चुना गया.
इस कामयाबी से मिले कॉन्फिडेंस ने अब अल्का के जीने के मायने बदल दिए हैं. हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने मॉडल अल्का सिंह को झारखंड स्टेट यूथ सेक्रेटरी के रूप में मनोनीत किया है. 'बोलो जिंदगी' ने जब सवाल किया कि "अब आगे क्या इरादा है...?" तो अल्का कहती हैं "लोगों की उम्मीदें मुझसे बढ़ गयी हैं खासकर मेरे झाड़खंड वासियों की. अभी पटना में एक फिल्म की शूटिंग चल रही है क्यूंकि अब मैंने एक्टिंग फिल्ड में जाने का मन भी बना लिया है."
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