By : Rakesh Singh 'Sonu'
10 वीं करने के बाद जब मैंने इंटर में एडमिशन लिया था तभी मेरी शादी हो गयी. उसके बाद मैंने पढ़ाई छोड़ दिया और वैसे भी पढ़ाई में शुरू से ही मेरा इंट्रेस्ट नहीं रहा, मुझे डांस वगैरह में ज्यादा दिलचस्पी थी. बिहार के गया जिले में मेरा मायका है और ससुराल झाड़खंड के डाल्टेनगंज में. मेरे ससुर जी दरोगा थें जिनकी पोस्टिंग तब पटना में थी इसलिए शादी के बाद हम पटना ही रहने लगें. डाल्टेनगंज गांव-ससुराल में कभी हम 10-15 दिन से ज्यादा नहीं रहें. बचपन से ही मेरा नेचर रहा है लोगों की हेल्प करना इसलिए ससुराल आते ही मैं जल्द ही फैमली के साथ घुल-मिल गयी. तब सास बीमार रहती थीं तो उनकी देखभाल भी करती थी. ससुर जी ने गोतिया लोगों से काफी सुना था कि मैं गांव-घर के शादी-फंक्शन में बहुत अच्छा डांस करती हूँ. उनको बेटी नहीं है इसलिए मुझे बहू नहीं बेटी ही मानते थें. शादी बाद पटना में कभी रिलेटिव के यहाँ किसी फंक्शन में मैं डांस करते वक़्त तब भूल जाती थी कि मैं यहाँ बहू हूँ. जब शादी हुई थी मैं बहुत दुबली-पतली थी. साड़ी पहनने में दिक्कत आती थी. सास-ससुर ने बोला "सूट पहना करो." बहू वाली फीलिंग कभी महसूस ही नहीं हुई. तब पटना में दो रूम का फ़्लैट हुआ करता था. कमरे में कभी ससुर के आते ही मैं उठकर खड़ी हो जाती तो वो गुस्सा होते और कहते "खड़ी क्यों हो गयी, बैठ जाओ." किसी ने कभी रोक-टोक नहीं किया. जबकि मायके में ही थोड़ी बहुत कड़ाई थी, खासकर मेरे डांस को लेकर लेकिन मेरा डांस का शौक ससुराल में ही पूरा हुआ.
शादी के बाद लाइफ एक हाउस वाइफ की तरह नॉर्मल चलने लगी फिर मेरी बड़ी बेटी जब प्ले स्कूल में जाने लगी तो उसके स्कूल में एक कम्पटीशन हुआ था जिसमे मदर्स भी परफॉर्म की थीं. मुझे भी बोला गया था, चूँकि मैं डांस शुरू से करती थी तो मैंने बोला "अपनी फैमली से पूछकर आपको बताउंगी, अगर वो रेडी होंगे तो मैं परफॉर्म जरूर करुँगी." फर्स्ट टाइम जब डांस शो में हिस्सा लेना था तो मैं डरी हुई थी कि ससुराल वाले क्या बोलेंगे. जब पति से पूछा तो वे बोले "पहले जाकर पापा से पूछो." जब ससुर जी से इजाजत मांगी तो उन्होंने कहा- "इसमें बुराई क्या है, अगर कोई बोलेगा तो मैं देखूंगा." उनकी बात सुनकर मैं बहुत इमोशनल हो गयी थी. जब सास-ससुर का ही सपोर्ट ना मिला होता तो फिर पति चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते. मेरी फैमली से मुझे परमिशन मिल गया तो मैंने परफॉर्म किया. लोगों को बहुत पसंद आया. किसी ने सोचा नहीं था कि मैं इतना अच्छा कर पाऊँगी. वहां से थोड़ा कॉन्फिडेंस बढ़ा. वहां मेरी एक फ्रेंड बनी अरुणिमा कुमारी जो मीडिया से जुड़ी हुई थी तो उसने मुझे जी पुरवैया के एक शो 'गजब है' में इन्वाइट किया, उसमे हाउसवाइफ का स्पेशल शो आ रह था जिसमे डांस और सिंगिंग परफॉर्म करना था. उसमे मैंने डांस किया जो स्क्रीन पर मेरा पहला परफॉर्म था.
तीन साल पहले मुझे सुपर डीआईडी मॉम्स के बारे में पता चला तो मैंने सोचा मैं ऑडिशंस नहीं दूंगी क्यूंकि मैंने कभी डांस सीखा नहीं था बस टीवी देखकर कॉपी करती थी. तो फिर मेरी फ्रेंड अरुणिमा ने मोटिवेट किया कि तुम कर सकती हो. लेकिन मैंने कहा- "मॉम्स बहुत बड़ी चीज है, ये मेरे बस की बात नहीं है". मैं खुद-ब-खुद पीछे हट गयी मगर मेरी फ्रेंड मेरे घर आयी और मुझे समझाई कि एक बार ट्राई करने में क्या हर्ज है. आज मैं जो कुछ भी हूँ इसमें उसका बड़ा हाथ है. फिर मैंने उसी रात खुद से माधुरी का एक सॉन्ग रेडी किया. सुबह ऑडिशन देने गयी जहाँ जजेस ने मेरी बहुत तारीफ की और मैं ऑडिशन के फर्स्ट फिर सेकेण्ड राउंड में सेलेक्ट हुई. वहां उन्होंने बोला कि "नीलम आप अच्छा कर सकती हो, अभी थर्ड राउंड कोलकाता ऑडिशन है, आपके पास कम-से-कम एक महीना टाइम है. आप किसी डांस एकेडमी को ज्वाइन करो और सीखो ताकि और बेहतर हो जाये." फिर मैंने एकेडमी ज्वाइन कर डांस सीखना शुरू किया. फैमली से काफी सपोर्ट मिला. हसबैंड और पूरी फैमली आज भी चाहती है कि मैं आगे बढूं. वहां से एक महीने बाद मैंने थर्ड राउंड क्वालीफाई किया. फिर मुझे चौथे राउंड के लिए वहीं कोलकाता बुलाया गया. फिर पांचवे राउंड के लिए मुंबई ऑडिशन देने गयी जो टीवी पर टेलीकास्ट होता है. वहां जजेस में गोविंदा, टेरिस और गीता जी थीं. मेरा डांस उन्हें बहुत पसंद आया. बस मेरे में कमी थी एक्सप्रेशंस की. मैंने लाइफ में कभी उतना बड़ा स्टेज नहीं देखा था, सपने में भी नहीं सोचा था कि स्टूडियो राउंड तक पहुंचूंगी. एक्सप्रेशंस की कमी की वजह से मैं वहां से आउट हो गयी. फिर मेरे अंदर जुनून बढ़ा कि मैं कर सकती हूँ.
उसके बाद मैंने बहुत सारे शो किये, हिंदी एलबम किये. मैंने पुलिस फाइल किया जो बिग गंगा पर आता था. फिर मैं महुआ के भौजी न. वन में सेलेक्ट हुई थी. मेरा टिकट वगैरह सब रेडी था लेकिन जाने के एक दिन पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया तो मैं नहीं जा पायी. उसके बाद कई छोटे-मोटे काम करती रही. फिर फाइनली बिग मेमसाब सीजन 8 शुरू हुआ तो मैंने उसमे पार्टिसिपेट किया. मैं तब नहीं करना चाहती थी क्यूंकि मेरा उस समय काम चल रहा था. कई स्कूल में एनवल फंक्शन थें. चूँकि मैं कोरियोग्राफर हूँ तो मैंने काफी सारे स्कूल का काम उठा रखा था. 2016 से मेरा खुद का कंकड़बाग में 'सना बॉर्न टू डांस एकेडमी' चल रहा है. तभी मुझे बिग गंगा से कॉल आया कि ऑडिशंस है तो मैं सोच में पड़ गयी कि मैं जाऊं या न जाऊं. स्कूल वाला काम जरुरी था, क्यूंकि मैंने एडवांस ले रखा था. फिर मैंने शूटिंग के एकदम लास्ट डे जाकर ऑडिशन दिया. ऑडिशन में सेलेक्ट हो गयी. एक दिन पहले अपने काम से मैं इतनी थकी हुई थी कि मुझे ऐसा लगा मैं एक राउंड भी क्लियर नहीं कर पाऊँगी. लेकिन जब मैंने फर्स्ट राउंड क्वालीफाई कर लिया तो फिर मुझे लगा कि नहीं, मुझे यहाँ आना ही चाहिए था. अब जब मैं आ चुकी हूँ तो पीछे नहीं हटूंगी. मेरी डांस की तारीफ हुई.
उसमे 96 प्रतिभागी थें. बिहार, यू.पी., झाड़खंड, दिल्ली आदि बहुत जगहों से कॉंटेस्टेंट आये थें. लास्ट फिनाले चार लोगों के बीच हुआ. अभिनेता विनय आनंद जी होस्ट कर रहे थें. वहां नॉर्मली लोग मस्ती में डांस करते थें मगर मेरा ये था कि जब गाना बजता मैं दुनियादारी भूल जाती थी, मैं गाने की धुन में खो जाती थी. सबसे ज्यादा डर मुझे सवाल-जवाब राउंड से लगता था. एक सवाल था डॉट ने डॉट को डॉट से डॉट-डॉट-डॉट... इस तरीके के जितने भी सवाल आते तब मैं जितने भी भगवान हैं सबको याद कर लेती थी. एक गेम राउंड जो कि पार्टनर के साथ खेलना था. घर का कोई मेल सदस्य पार्टनर हो सकता था तो मैंने उस गेम में अपने हसबैंड बाला जी को पार्टनर के रूप में चुना. गेम में एक कुकिंग राउंड भी था जिसमे मैं नर्वस हो जाती थी क्यूंकि मुझे खाना बनाने का उतना शौक नहीं है, जबकि मुझसे अच्छा तो मेरे हसबैंड खाना बना लेते हैं.
10 वीं करने के बाद जब मैंने इंटर में एडमिशन लिया था तभी मेरी शादी हो गयी. उसके बाद मैंने पढ़ाई छोड़ दिया और वैसे भी पढ़ाई में शुरू से ही मेरा इंट्रेस्ट नहीं रहा, मुझे डांस वगैरह में ज्यादा दिलचस्पी थी. बिहार के गया जिले में मेरा मायका है और ससुराल झाड़खंड के डाल्टेनगंज में. मेरे ससुर जी दरोगा थें जिनकी पोस्टिंग तब पटना में थी इसलिए शादी के बाद हम पटना ही रहने लगें. डाल्टेनगंज गांव-ससुराल में कभी हम 10-15 दिन से ज्यादा नहीं रहें. बचपन से ही मेरा नेचर रहा है लोगों की हेल्प करना इसलिए ससुराल आते ही मैं जल्द ही फैमली के साथ घुल-मिल गयी. तब सास बीमार रहती थीं तो उनकी देखभाल भी करती थी. ससुर जी ने गोतिया लोगों से काफी सुना था कि मैं गांव-घर के शादी-फंक्शन में बहुत अच्छा डांस करती हूँ. उनको बेटी नहीं है इसलिए मुझे बहू नहीं बेटी ही मानते थें. शादी बाद पटना में कभी रिलेटिव के यहाँ किसी फंक्शन में मैं डांस करते वक़्त तब भूल जाती थी कि मैं यहाँ बहू हूँ. जब शादी हुई थी मैं बहुत दुबली-पतली थी. साड़ी पहनने में दिक्कत आती थी. सास-ससुर ने बोला "सूट पहना करो." बहू वाली फीलिंग कभी महसूस ही नहीं हुई. तब पटना में दो रूम का फ़्लैट हुआ करता था. कमरे में कभी ससुर के आते ही मैं उठकर खड़ी हो जाती तो वो गुस्सा होते और कहते "खड़ी क्यों हो गयी, बैठ जाओ." किसी ने कभी रोक-टोक नहीं किया. जबकि मायके में ही थोड़ी बहुत कड़ाई थी, खासकर मेरे डांस को लेकर लेकिन मेरा डांस का शौक ससुराल में ही पूरा हुआ.
शादी के बाद लाइफ एक हाउस वाइफ की तरह नॉर्मल चलने लगी फिर मेरी बड़ी बेटी जब प्ले स्कूल में जाने लगी तो उसके स्कूल में एक कम्पटीशन हुआ था जिसमे मदर्स भी परफॉर्म की थीं. मुझे भी बोला गया था, चूँकि मैं डांस शुरू से करती थी तो मैंने बोला "अपनी फैमली से पूछकर आपको बताउंगी, अगर वो रेडी होंगे तो मैं परफॉर्म जरूर करुँगी." फर्स्ट टाइम जब डांस शो में हिस्सा लेना था तो मैं डरी हुई थी कि ससुराल वाले क्या बोलेंगे. जब पति से पूछा तो वे बोले "पहले जाकर पापा से पूछो." जब ससुर जी से इजाजत मांगी तो उन्होंने कहा- "इसमें बुराई क्या है, अगर कोई बोलेगा तो मैं देखूंगा." उनकी बात सुनकर मैं बहुत इमोशनल हो गयी थी. जब सास-ससुर का ही सपोर्ट ना मिला होता तो फिर पति चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते. मेरी फैमली से मुझे परमिशन मिल गया तो मैंने परफॉर्म किया. लोगों को बहुत पसंद आया. किसी ने सोचा नहीं था कि मैं इतना अच्छा कर पाऊँगी. वहां से थोड़ा कॉन्फिडेंस बढ़ा. वहां मेरी एक फ्रेंड बनी अरुणिमा कुमारी जो मीडिया से जुड़ी हुई थी तो उसने मुझे जी पुरवैया के एक शो 'गजब है' में इन्वाइट किया, उसमे हाउसवाइफ का स्पेशल शो आ रह था जिसमे डांस और सिंगिंग परफॉर्म करना था. उसमे मैंने डांस किया जो स्क्रीन पर मेरा पहला परफॉर्म था.
तीन साल पहले मुझे सुपर डीआईडी मॉम्स के बारे में पता चला तो मैंने सोचा मैं ऑडिशंस नहीं दूंगी क्यूंकि मैंने कभी डांस सीखा नहीं था बस टीवी देखकर कॉपी करती थी. तो फिर मेरी फ्रेंड अरुणिमा ने मोटिवेट किया कि तुम कर सकती हो. लेकिन मैंने कहा- "मॉम्स बहुत बड़ी चीज है, ये मेरे बस की बात नहीं है". मैं खुद-ब-खुद पीछे हट गयी मगर मेरी फ्रेंड मेरे घर आयी और मुझे समझाई कि एक बार ट्राई करने में क्या हर्ज है. आज मैं जो कुछ भी हूँ इसमें उसका बड़ा हाथ है. फिर मैंने उसी रात खुद से माधुरी का एक सॉन्ग रेडी किया. सुबह ऑडिशन देने गयी जहाँ जजेस ने मेरी बहुत तारीफ की और मैं ऑडिशन के फर्स्ट फिर सेकेण्ड राउंड में सेलेक्ट हुई. वहां उन्होंने बोला कि "नीलम आप अच्छा कर सकती हो, अभी थर्ड राउंड कोलकाता ऑडिशन है, आपके पास कम-से-कम एक महीना टाइम है. आप किसी डांस एकेडमी को ज्वाइन करो और सीखो ताकि और बेहतर हो जाये." फिर मैंने एकेडमी ज्वाइन कर डांस सीखना शुरू किया. फैमली से काफी सपोर्ट मिला. हसबैंड और पूरी फैमली आज भी चाहती है कि मैं आगे बढूं. वहां से एक महीने बाद मैंने थर्ड राउंड क्वालीफाई किया. फिर मुझे चौथे राउंड के लिए वहीं कोलकाता बुलाया गया. फिर पांचवे राउंड के लिए मुंबई ऑडिशन देने गयी जो टीवी पर टेलीकास्ट होता है. वहां जजेस में गोविंदा, टेरिस और गीता जी थीं. मेरा डांस उन्हें बहुत पसंद आया. बस मेरे में कमी थी एक्सप्रेशंस की. मैंने लाइफ में कभी उतना बड़ा स्टेज नहीं देखा था, सपने में भी नहीं सोचा था कि स्टूडियो राउंड तक पहुंचूंगी. एक्सप्रेशंस की कमी की वजह से मैं वहां से आउट हो गयी. फिर मेरे अंदर जुनून बढ़ा कि मैं कर सकती हूँ.
उसके बाद मैंने बहुत सारे शो किये, हिंदी एलबम किये. मैंने पुलिस फाइल किया जो बिग गंगा पर आता था. फिर मैं महुआ के भौजी न. वन में सेलेक्ट हुई थी. मेरा टिकट वगैरह सब रेडी था लेकिन जाने के एक दिन पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया तो मैं नहीं जा पायी. उसके बाद कई छोटे-मोटे काम करती रही. फिर फाइनली बिग मेमसाब सीजन 8 शुरू हुआ तो मैंने उसमे पार्टिसिपेट किया. मैं तब नहीं करना चाहती थी क्यूंकि मेरा उस समय काम चल रहा था. कई स्कूल में एनवल फंक्शन थें. चूँकि मैं कोरियोग्राफर हूँ तो मैंने काफी सारे स्कूल का काम उठा रखा था. 2016 से मेरा खुद का कंकड़बाग में 'सना बॉर्न टू डांस एकेडमी' चल रहा है. तभी मुझे बिग गंगा से कॉल आया कि ऑडिशंस है तो मैं सोच में पड़ गयी कि मैं जाऊं या न जाऊं. स्कूल वाला काम जरुरी था, क्यूंकि मैंने एडवांस ले रखा था. फिर मैंने शूटिंग के एकदम लास्ट डे जाकर ऑडिशन दिया. ऑडिशन में सेलेक्ट हो गयी. एक दिन पहले अपने काम से मैं इतनी थकी हुई थी कि मुझे ऐसा लगा मैं एक राउंड भी क्लियर नहीं कर पाऊँगी. लेकिन जब मैंने फर्स्ट राउंड क्वालीफाई कर लिया तो फिर मुझे लगा कि नहीं, मुझे यहाँ आना ही चाहिए था. अब जब मैं आ चुकी हूँ तो पीछे नहीं हटूंगी. मेरी डांस की तारीफ हुई.
उसमे 96 प्रतिभागी थें. बिहार, यू.पी., झाड़खंड, दिल्ली आदि बहुत जगहों से कॉंटेस्टेंट आये थें. लास्ट फिनाले चार लोगों के बीच हुआ. अभिनेता विनय आनंद जी होस्ट कर रहे थें. वहां नॉर्मली लोग मस्ती में डांस करते थें मगर मेरा ये था कि जब गाना बजता मैं दुनियादारी भूल जाती थी, मैं गाने की धुन में खो जाती थी. सबसे ज्यादा डर मुझे सवाल-जवाब राउंड से लगता था. एक सवाल था डॉट ने डॉट को डॉट से डॉट-डॉट-डॉट... इस तरीके के जितने भी सवाल आते तब मैं जितने भी भगवान हैं सबको याद कर लेती थी. एक गेम राउंड जो कि पार्टनर के साथ खेलना था. घर का कोई मेल सदस्य पार्टनर हो सकता था तो मैंने उस गेम में अपने हसबैंड बाला जी को पार्टनर के रूप में चुना. गेम में एक कुकिंग राउंड भी था जिसमे मैं नर्वस हो जाती थी क्यूंकि मुझे खाना बनाने का उतना शौक नहीं है, जबकि मुझसे अच्छा तो मेरे हसबैंड खाना बना लेते हैं.
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